श्याम बिहारी सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। मशरक प्रखंड अंतर्गत धर्मासती बाजार के गंडामन स्थित मीड डे मील के विषाक्त भोजन से मृत हुए बच्चों के स्मारक के पास 10वीं बरसी पर आचार्यों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सभी बच्चों के आत्मा की शांति के लिए हवन पूजन किया गया। इस अवसर पर मृतक के परिजन को कौन कहे इस श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम देखा गया। सभी लोगों ने नम आंखों से सभी मृत बच्चों पुष्प चढ़ाते हुए उनकी आत्मा के लिए भगवान से प्रार्थना की। इस अवसर पर मुख्य रूप से पटना एम्स के कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जगजीत पांडेय, भाजपा पार्टी के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुमार सिंह, भाजपा जिला प्रवक्ता त्रिभुवन तिवारी, मशरक पश्चिमी भाग के जिला परिषद सदस्य चांदनी देवी, जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामाधार सिंह, भाजपा जिला युवा मंत्री धीरज कुमार सिंह, सरपंच अजय कुमार सिंह, जजौली पंचायत का मुखिया प्रतिनिधि वरुण राय, कृष्णा तिवारी, पूर्व मुखिया मुसाफिर सिंह, डॉ पीके परमार, डॉ संतोष पांडेय, विजय मिश्रा, अधिवक्ता सत्य प्रकाश मिश्रा, शंकर ठाकुर सहित बहुत सारे लोग सम्मिलित हुए। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय एवं टेन प्लस टू विद्यालय के सभी छात्र छात्राओं ने स्मारक पर पुष्प अर्पित करते हुए बच्चों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया। इस श्रद्धांजलि सभा के कार्यक्रम में शासन प्रशासन के लोग नदारद दिखे, एक समय था जब भी वर्षी मनाई जाती थी जिला से लेकर अनुमंडल एवं प्रखंड स्तर के पदाधिकारी गण सम्मिलित होकर पुण्य आत्माओं को श्रद्धा सुमन अर्पित करते थे, लेकिन आज सिर्फ शिक्षा पदाधिकारी डॉ वीणा कुमारी को छोड़कर कोई भी पदाधिकारी नदारद दिखे। इस अवसर पर ग्रामीणों के द्वारा बिहार सरकार के प्रति नाराजगी भी दिखाया गया, उन लोगों के द्वारा कहा गया कि भले ही बिहार सरकार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी इस हादसे के समय गंडामन गांव को गोद लिए थे, लेकिन इस गांव के विकास तो हुआ लेकिन कुछ भी विकास आज भी नदारद है। लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई। आपको बताते चलें कि इतिहास के पन्नों का 16 जुलाई 2013 का काला दिन आज भी याद होने पर लोगों का दिल झकझोर कर रख देता है, जब विद्यालय में बच्चे पहुंचे थे तो उन्हें यह पता नहीं था कि मैं वापस घर नहीं जाऊंगा, विधान को कौन कहे, भगवान का यह कैसा श्राप था रसोईया के थोड़ी सी भूलने मिड डे मिल की विषाक्त भोजन से 23 बच्चों की मौत हो गई और कई दर्जन बच्चे बीमार हो गए, कुछ बच्चे तो बच गए जो विद्यालय पढ़ने के लिए पहुंच नहीं पाए थे,या कुछ वैसे बच्चे जो विद्यालय में रहकर भी विषाक्त भोजन को नहीं खाए थे, 16 जुलाई 2013 गंडामन का कोई ऐसा घर नहीं होगा जिस घर का चिराग उस दिन नहीं बुझा था। आज नम आंखों से उन बच्चों के लिए प्रार्थना करता हूं कि बच्चे जहां भी हैं भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
More Stories
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ीकरण को लेकर सीएचओ को दिया गया प्रशिक्षण
आपसी रंजिश में मुखिया के बेटे और भाई को लगी गोली, घायल, गंभीरावस्था में परिजनों ने सदर अस्पताल में कराया भर्ती
नगरा में छात्र का गला दबाकर हत्या, खेत में मिला शव