राष्ट्रनायक न्यूज

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वन प्रमंडल ने कृषि वानिकी योजना के तहत टिशू कल्चर बांस वितरित करने की बनायी योजना

छपरा(सारण)। वन प्रमंडल पदाधिकारी  रामसुंदर एम. ने बताया कि मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना का जिले में तेजी से कार्यान्वित किया जा रहा है। पहली बार सारण वन विभाग किसानों के मांग के आधार पर कृषि वानिकी योजना के तहत टिशू कल्चर बांस के पौधे वितरित करने की योजना बना रहा है। वन विभाग द्वारा भागलपुर और अररिया में टिश्यू कल्चर बांस के पौधे तैयार किये जा रहे हैं। कृषि वाणिकी योजना के तहत सारण वन प्रमंडल किसानों को बंबूसा बालकोआ, बंबूसा नूतन और बंबूसा टुल्डा प्रजाति के उच्च गुणवत्ता वाले बांस वितरित करेगा। योजना के लिए आवेदन करने के लिए किसान वन विभाग के नर्सरी या प्रमंडलीय कार्यालय, छपरा से संपर्क कर सकते हैं। किसान के लिए बांस हरा सोना है। इसका रखरखाव आसान है। क्योंकि इसमें अधिक पानी, कीटनाशक या उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। और यह किसी भी अन्य पौधे की तुलना में अधिक कार्बन-डाई- ऑक्साइड को अवशोषित करता है, प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन उगलता है।
पोपलर के पौधों का हो रहा वितरण 
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि इसके अलावा सारण प्रमंडल भी इस योजना के तहत पोपलर के पौधों का वितरण कर रहा है। पोपलर सारण-सीवान – गोपालगंज क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कृषि वानिकी फसल है। पॉप्लर की लकड़ी का इस्तेमाल छाल प्लाइवुड, बोर्ड और माचिस की तीलियां बनाने में प्रयोग किया जाता हैं, खेल से संबंधित सभी वस्तुएं और पैन्सिल बनाने में भी इस लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में यह पौधा 5-7 साल में 85 फीट या उससे भी ऊपर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है।
दिघवारा, सोनपुर, मांझी के इलाकों में किसान लगाते है बांस के पौधे 
 योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि इस वर्ष वन विभाग ने कृषि वानिकी योजना में टिश्यू कल्चर बांस को भी शामिल किया है। जिले में, दिघवारा, सोनपुर, मांझी के इलाकों में किसान आमतौर पर स्थानीय जरूरतों के लिए बांस की फसल उगाते हैं। टिश्यू कल्चर बांस की उपलब्धता से उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलेगा। कृषि वाणिकी के माध्यम से अतिरिक्त आय बढ़ाने के अलावा बांस कार्बन डाइऑक्साइड के एक महान अवशोषक के रूप में कार्य करता हैं और इस प्रकार एक हरा और स्वच्छ वातावरण प्रदान करता हैं।