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नव विकसित ऑपरेशन पद्धति मिनी लैप तकनीक से महिलाओं का बंध्याकरण कराना हुआ सरल और सुलभ: क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक

  • क्षेत्रीय प्रबंधन इकाई के तहत आयोजित की गई किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम:
  • नव विकसित ऑपरेशन पद्धति मिनी लैप तकनीक से महिलाओं का बंध्याकरण कराना हुआ सरल और सुलभ: क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक
  • प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सकों द्वारा खुद किया जाता है बंध्याकरण: मुख्य प्रशिक्षक
  • मिनी लैप विधि से संबंधित चिकित्सकों को किया गया प्रशिक्षित: आरपीएम

छपरा(सारण)। महिलाओं का बंध्याकरण में ‘मिनी लैप तकनीक’ का राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा 12 दिवसीय (25 जुलाई से 05 अगस्त) प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई कार्यालय के सभागार में क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा के द्वारा प्रमाण पत्र देकर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया गया। हालांकि 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सदर अस्पताल परिसर स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण सभागार में आयोजित की गई थी। इस अवसर पर क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि ने मिनी लैप नव विकसित ऑपरेशन पद्धति है। इस तकनीक से बंध्याकरण कराना बहुत ही सरल और सुलभ है। मिनी लैप यानी मामूली चीरा लगाकर नाभी के निकट एक छोटी सी चीरा लगाकर बंध्याकरण ऑपरेशन किया जाता है। क्योंकि इस ऑपरेशन में जोखिम जैसी कोई बात नहीं है और ना ही लंबी बेहोशी की नौबत आती हैं। सबसे अहम बात यह है कि ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद ही मरीज को घर जाने की अनुमति दे दी जाती है। हालांकि ऑपरेशन के बाद मरीजों को चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता में इस तकनीक की अहम भूमिका है।

प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सकों द्वारा खुद किया जाता है बंध्याकरण: मुख्य प्रशिक्षक 

मुख्य प्रशिक्षक सह सारण के सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मिनी लैप बंध्याकरण का कार्य प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सकों द्वारा खुद किया जाता है। क्योंकि इस विधि में किसी भी प्रकार की मशीनरी का नकनिकी का सहारा नही लिया जाता है। हालांकि इसके पहले नसबंदी में दूरबीन प्रणाली की प्रक्रिया से किया जाता था। जिस कारण लगभग 20 प्रतिशत नसबंदी फेल हो जाते थे। क्योंकि यह नसबंदी किसी भी स्टाफ नर्स द्वारा किया जाता था, लेकिन इस विधि द्वारा नसबंदी करने के बाद फेल होने की संभावना नही रहती है। मिनी लैप बंध्याकरण के दौरान नस को काट दिया जाता है,।जिससे बच्चा पैदा होने की कोई उम्मीद नहीं रह जाती है और यह शत प्रतिशत सफल होता है। इस तरीके से ऑपरेशन करने में मात्र 10 से 20 मिनट का समय लगता है। इसके अलावा अस्‍पताल में भी केवल 24 घंटे ही रहने की जरूरत होती है। हालांकि यह शिशु के जन्‍म के बाद भी संभव है, वैसे किसी भी समय इस तरीके से ऑपरेशन कराया जा सकता है। अगर ऑपरेशन से नसबंदी की गई है, तो इंफेक्शन का खतरा कुछ दिनों तक बना रहता है। इसलिए इस दौरान साफ- सफाई का ख्याल विशेष रूप से करना चाहिए। हालांकि किसी भी तरह की नसबंदी के बाद कुछ दिनों तक आराम करना और भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। नसबंदी के बाद कम से कम एक महीने तक महिलाओं को पति से दूर रहने की आवश्यकता होती है।

मिनी लैप विधि से संबंधित चिकित्सकों को किया गया प्रशिक्षित: आरपीएम 

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई ने 12 दिवसीय (25 जुलाई से 05 अगस्त) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ भारती सिंह और डॉ किरण ओझा द्वारा संयुक्त रूप से जिले के बनियापुर रेफरल अस्पताल की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रियंका यादव और एएनएम अनामिका कुमारी वहीं सदर अस्पताल सिवान की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ निशा कुमारी अंजली और जीएनएम रूबी कुमारी को मिनी लैप विधि से संबंधित प्रशिक्षित किया गया। सारण प्रमंडल के सभी जिलों यथा – सारण, सिवान और गोपालगंज जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधन की उपलब्धता शत प्रतिशत कराया गया है। स्थायी साधनों में मिनीलैप एवं महिला नसबंदी की सुविधा उपलब्ध है। बच्चों में अंतराल एवं अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉपर टी, गर्भ- निरोधक गोली (माला- एम एवं माला-एन), कंडोम एवं इमरजेंसी कंट्रासेपटीव पिल्स उपलब्ध है।

इस अवसर पर क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार, लेखा प्रबंधक विजय कुमार राम, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी शादान रहमान, प्रमंडलीय आशा समन्वयक संतोष कुमार सिंह, क्षेत्रीय बायो मेडिकल इंजीनियर साबित्री पंडित, कार्यालय सहायक मनोज कुमार, लेखापाल निहारिका, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, आरपीएमयू कर्मी अंकुर और रंजय सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।