गड़खा में हड़ताली शिक्षकों का धरना, कहा: शोषण के खिलाफ मुक्ति की जंग है यह हड़ताल
गड़खा (सारण)। राज्य कर्मी की दर्जा देने की मांग को लेकर शिक्षकों ने हड़ताल के 20वें दिन भी प्रखंड के बीआरसी परिसर में धरना दिया। अध्यक्ष विजय राम ने हड़ताली शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया। पुनकाल जी एवं विजय राम के द्वारा सभी शिक्षकों को उत्साह बढ़ाने के साथ होली गीत गा कर शिक्षकों को ऊर्जा भरने का काम किया। माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुंदे मोय, एक दिन ऐसा आएगा मैं रुदूंगी तोय। वहीं धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि शिक्षक किसी लाॅलीपाप, किसी धमकी, किसी कार्रवाई से एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। शोषण के खिलाफ मुक्ति की जंग है शिक्षकों की यह हड़ताल। यह जंग हम तबतक लड़ेंगे जबतक हमें हमारा अधिकार नहीं मिल जाता। हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी। जनता के पैसे पर कुंडली मारकर बैठे नागों को हम दिखा देंगे कि राज्य का खजाना तुम्हारी बपौती नहीं, कि तुम जैसे चाहो वैसे लुटाओ। जनता की गाढ़ी कमाई से अपना वेतन, भत्ता, पेंशन जब चाहो मेज थपथपाकर बढ़ा लो और सरकारी पदों को समाप्त कर, कर्मियों से उनके वेतनमान और सेवाशर्त छीनकर उनसे बंधुआ मजदूरी कराने के उद्देश्य से घटिया नियोजन नियमावली बना दो और उनका शोषण करते रहो, यह नहीं चलेगा। जंग ताकत से नहीं जज्बे से जीती जाती है। जैसे अकूत ताकतवर कौरवों को सुविधाविहीन पांडवों ने हराया था, उसी तरह हम भी 15 साल से शिक्षकों और अन्य विभागों के कर्मियों का शोषण कर, उनके वेतन में की गयी कटौती की राशि को विकास बताने वाली, राज्य का कोष बढाने की कोई कोशिश न करनेवाली, उद्योग-धंधा विकसित करने में विफल रहनेवाली और राज्य के युवाओं को नियोजन के जाल के फांसकर उनकी जवानी चूसकर, बुढापे में बेसहारा छोड़ देने की साजिश रचनेवाली झूठी व दंभी सरकार को हर हाल में शिकस्त देंगे। जनता का पावर और शिक्षक का अनादर, अदालत के फैसलों की अवहेलना और शिक्षित युवाओं के भविष्य से खेलना क्या रंग दिखाता है, यह उन्हें इस बार पता चल जाएगा।
आपको कसम है अपने मां के दूध की। जब जंग छेड़ दिये हैं, तो या तो जंग जीतकर जाना या मिटकर जाना। जबतक हमें हमसे छीना गया वेतनमान, सेवाशर्त और सम्मान वापस नहीं मिल जाता। तबतक हम विद्यालय में नहीं लौटेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। मंच संचालन अशोक कुमार सिंह ने किया। मौके पर उपस्थित शिक्षक सुभाष राय, विनोद साह, रवि कुमार महतो, मैनुदिन अंसारी, उपेन्द्र बैठा, लाल बाबू राय, मनोज कुमार राम, रामरूप महतो, गौतम प्रसाद सिंह, राजेश कुमार, रवि कुमार महतो, संगीता देवी, कान्ति देवी, बिन्दु कुमारी, विनोद कुमार राय, विकास कुमार, रामानुजन सिंह,आदि उपस्थित थे।


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