- सदर अस्पताल में मरीजों को मिल रही है शत-प्रतिशत दवा
- दवा सप्लाई चेन को किया गया है मजबूत
- बड़ी वाहनों से प्रखंड स्तर और छोटी वाहनों से हेल्थ सब-सेंटर तक पहुंचायी जा रही है दवा
- डीबीवीडीएमएस पोर्टल के माध्यम से दवा की खपत और उपलब्धता की निगरानी
छपरा। मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा के साथ दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए विभाग सजग है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में शत प्रतिशत दवा उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर कहीं दवा खत्म हो रहा तो तुरंत उपलब्ध कराया जा रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग दवा सप्लाई सिस्टम को और मजबूत किया है। जिले में 4 मुफ्त औषधि वाहन उपलब्ध हैं, जिसके माध्यम से बड़े और छोटे अस्पतालों तक दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। लेवल-वन का एक बड़ा वाहन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और अनुमंडलीय स्वास्थ्य केंद्रों तक दवा पहुंचा रही है। जबकि, तीन छोटे लेवल-टू वाहन ग्रामीण अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है। इसके लिए रूट प्लान बना गया है। इन वाहनों का प्रमुख उद्देश्य है कि हर स्तर पर अस्पतालों तक दवाएं समय पर और सही मात्रा में पहुंच सकें। सुदूरवर्ती गांवों में आवश्यक औषधियां समय पर और सुगमता से उपलब्ध कराने के लिए जीपीएस सिस्टम से लैस औषधि वाहनों की सेवा शुरू की गयी है।
स्वास्थ्य केंद्रों में शत-प्रतिशत दवा उपलब्ध
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में शत-प्रतिशत दवा उपलब्ध है। प्रत्येक मरीज को मुफ्त में हर प्रकार की दवा उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य स्तर से सदर अस्पताल को 456, अनुमंडल अस्पताल स्तर पर 312, सीएचसी स्तर पर 309, पीएचसी स्तर पर 294, एचएससी-एचडब्ल्यूसी स्तर पर 151 व एचएसी स्तर पर 32 दवाएं आवश्यक दवाएं आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। कुछ जरूरी दवाएं सरकार से उपलब्ध नहीं कराये जाने की स्थिति में निर्धारित दर पर स्थानीय बाजारों से खरीदने का भी प्रावधान है। रोगी कल्याण समिति व जिला स्तरीय क्रय कमेटी के माध्यम से भी निर्धारित सरकारी दरों पर कुछ जरूरी दवाएं बाजार से खरीदी जाती है। इस पहल का उद्देश्य समुदाय के अंतिम पंक्ति के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। विभाग का मानना है कि यदि मरीजों को समय पर दवा उपलब्ध होगी, तो इससे न केवल उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवा पर उनका विश्वास भी बढ़ेगा।
दवाओं की ऑनलाइन ट्रैकिंग प्रणाली
स्वास्थ्य विभाग ने दवाओं की उपलब्धता की निगरानी के लिए एक आधुनिक पोर्टल तैयार किया है डीभीडीएमएस और ईएमएमएस पोर्टल के माध्यम से जिला से प्रखंड स्तर पर दवाओं के स्टॉक की स्थिति को वास्तविक समय में ट्रैक किया जाता है। यह प्रणाली दवाओं की मांग और आपूर्ति की नियमित निगरानी सुनिश्चित करती है, जिससे किसी भी दवा की कमी को त्वरित रूप से पहचानकर उसे पूरा किया जा सके।
क्यूआर कोड के जरिए मिलेगी दवाओं की उपलब्धता की जानकारी
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब यह जानने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा कि कौन सी दवा उपलब्ध है और कौन सी नहीं। स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की सुविधा के लिए एक नई और तकनीकी पहल की शुरुआत की है। अब जिले के सभी अस्पतालों में क्यूआर कोड के माध्यम से दवाओं की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। इस पहल के तहत जिला अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं। मरीज अपने मोबाइल से इस कोड को स्कैन करके यह जान सकेंगे कि अस्पताल में कौन-कौन सी दवाएं उपलब्ध हैं।
गरीब और वंचित तबके के लोगों मिल रही है गुणवत्तापूर्ण इलाज
जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि समय पर मुफ्त दवाएं मिलने से न केवल मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि सरकारी अस्पतालों में लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा। विभाग की इस पहल से दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब और वंचित तबके को भी गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल रहा है।


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