आशीष रंजन के नेतृत्व में मना स्काउटिंग के जनक पंडित श्री राम बाजपेई जी का 140 वा जयंती समारोह
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। आज दिनांक 11/08/2020 को भारत स्काउट और गाइड सारण के द्वारा भारतीय स्काउट के जनक पंडित श्री राम बाजपेई जी का 140 वा जयंती समारोह गड़खा इकाई के बलिराम सिंह शालिग्राम सिंह ओपेन ट्रूप बसंत के लीडर एडवांस स्काउट शिक्षक आशीष रंजन सिंह के बसंत आवास पर मनाया गया । आशीष ने कहा कि 16 अगस्त 1955 में बाजपेई का निधन हो गया। स्काउट गाइड के प्रदेश प्रमुख डॉ. प्रभात कुमार भी श्रीराम बाजपेई को सर्वोच्च सम्मान का असल हकदार मानते हैं। जनपद से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी दपिदर कौर व निकहत परवीन पंडित श्रीराम बाजपेई भारत रत्न के साथ जन्म दिन डाक टिकट जारी कराने के लिए भी मुहिम शुरू की है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित पश्चिम बंगाल के कब और बुलबुल नैतिक सिंह चौहान व ऋतिका सिंह ज़िला संगठन आयुक्त भारत स्काउट और गाइड सारण श्री आलोक रंजन के निर्देशानुसार किया गया , इन्होंने कहा कि भारतरत्न ..देश का सर्वोच्च सम्मान। जिसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए दिया जाता है। भारत में स्काउट गाइड के जनक पंडित श्रीराम बाजपेई ने युवा पीढ़ी को कला कौशल में पारंगत कर अंग्रेजों से लड़ना सिखाया। विषम परिस्थितियों में समाजसेवा व खेल विधा से आत्म रक्षा की मिसाल पेश की। जिसकी बानगी आज भी स्काउट गाइड में देखी जा सकती है। लेकिन ब्रह्मलीन होने के 64 साल बाद भी काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु व स्काउट गाइड के जनक को न ही भारत रत्न मिला और न ही स्मृति में आज तक डाक टिकट जारी हुआ। वही वर्चुअल रूप से जुड़ भारत स्काउट सारण के जिला मुख्य आयुक्त डॉ दीनानाथ मिश्रा जी ने कहे की 11 अगस्त 1880 को शाहजहांपुर के बहादुर गंज मुहल्ले में जन्मे श्रीराम बाजपेई ने रद्दी अखबार की खबर पढ़कर स्काउट गाइड के लिए काम शुरू किया। विश्व स्काउट गाइड के जनक लार्ड पॉवेल भी उनसे प्रभावित हुए। उन्होंने भारत आकर बाजपेई के शिविर को देखा और सराहना की। देश आजाद होने के बाद सात नवंबर 1950 को भारत स्काउट गाइड का जन्म हुआ। 1952 में अंतरराष्ट्रीय डायरेक्टर डेम लेस्ले हवेटरी भारत पधारीं। उनकी उपस्थित में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्काउट गाइड कॉन्फ्रेस का उद्घाटन किया। इस दौरान भारत स्काउट एवं गाइड ब्यूरो को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी दे दी गई।
छपरा (सारण)। आज दिनांक 11/08/2020 को भारत स्काउट और गाइड सारण के द्वारा भारतीय स्काउट के जनक पंडित श्री राम बाजपेई जी का 140 वा जयंती समारोह गड़खा इकाई के बलिराम सिंह शालिग्राम सिंह ओपेन ट्रूप बसंत के लीडर एडवांस स्काउट शिक्षक आशीष रंजन सिंह के बसंत आवास पर मनाया गया । आशीष ने कहा कि 16 अगस्त 1955 में बाजपेई का निधन हो गया। स्काउट गाइड के प्रदेश प्रमुख डॉ. प्रभात कुमार भी श्रीराम बाजपेई को सर्वोच्च सम्मान का असल हकदार मानते हैं। जनपद से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी दपिदर कौर व निकहत परवीन पंडित श्रीराम बाजपेई भारत रत्न के साथ जन्म दिन डाक टिकट जारी कराने के लिए भी मुहिम शुरू की है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित पश्चिम बंगाल के कब और बुलबुल नैतिक सिंह चौहान व ऋतिका सिंह ज़िला संगठन आयुक्त भारत स्काउट और गाइड सारण श्री आलोक रंजन के निर्देशानुसार किया गया , इन्होंने कहा कि भारतरत्न ..देश का सर्वोच्च सम्मान। जिसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए दिया जाता है। भारत में स्काउट गाइड के जनक पंडित श्रीराम बाजपेई ने युवा पीढ़ी को कला कौशल में पारंगत कर अंग्रेजों से लड़ना सिखाया। विषम परिस्थितियों में समाजसेवा व खेल विधा से आत्म रक्षा की मिसाल पेश की। जिसकी बानगी आज भी स्काउट गाइड में देखी जा सकती है। लेकिन ब्रह्मलीन होने के 64 साल बाद भी काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु व स्काउट गाइड के जनक को न ही भारत रत्न मिला और न ही स्मृति में आज तक डाक टिकट जारी हुआ। वही वर्चुअल रूप से जुड़ भारत स्काउट सारण के जिला मुख्य आयुक्त डॉ दीनानाथ मिश्रा जी ने कहे की 11 अगस्त 1880 को शाहजहांपुर के बहादुर गंज मुहल्ले में जन्मे श्रीराम बाजपेई ने रद्दी अखबार की खबर पढ़कर स्काउट गाइड के लिए काम शुरू किया। विश्व स्काउट गाइड के जनक लार्ड पॉवेल भी उनसे प्रभावित हुए। उन्होंने भारत आकर बाजपेई के शिविर को देखा और सराहना की। देश आजाद होने के बाद सात नवंबर 1950 को भारत स्काउट गाइड का जन्म हुआ। 1952 में अंतरराष्ट्रीय डायरेक्टर डेम लेस्ले हवेटरी भारत पधारीं। उनकी उपस्थित में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्काउट गाइड कॉन्फ्रेस का उद्घाटन किया। इस दौरान भारत स्काउट एवं गाइड ब्यूरो को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी दे दी गई।


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