सच्चे किस्म के लोगों का तो जीवन ही बेकार है !
पढ़े लिखे सब नौकर बनने को तैयार है ।
अनपढ़ नेताओ के देखो जाने कितनी कार है ।।
सच बताऊं राजनीत में एक सेक गंवार है ।
सच्चे किस्म के लोगों का तो जीवन ही बेकार है ।।
अनपढ़ करते बिजनेस अनपढ़ बन गए हीरो ।
पढ़ने लिखने वालो का रिजल्ट आ रहा जीरो ।।
युवा कर रहे आत्महत्या यही करारी हार है ।
सच्चे किस्म के लोगों का तो जीवन ही बेकार है ।।
मेहनत मजदूरी कर कोई न बन पाया प्रधान ।
बिन मेहनत वाले इस दुनिया में बहुत महान है ।।
कृषकों और मजदूरों को ही महगांई की मार है ।
सच्चे किस्म के लोगों का तो जीवन ही बेकार है ।।
छोटे आदमी रोते है मगर सुनवाई नहीं है ।
बड़ा आदमी हरदम कहता कोई महगाई नहीं है ।।
बड़े लोग क्यों सुने किसी की बड़ों बड़ों कि सरकार है ।
सच्चे किस्म के लोगों का तो जीवन ही बेकार है ।।
लेखक कवि एवं गीतकार :
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)


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