राष्ट्रनायक न्यूज

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अनन्त चतुर्दशी व्रत से खोया हुआ राज्य, सुख समृद्धि व वैभव की होती है प्राप्ति: श्री श्री शैलेश गुरुजी

अनन्त चतुर्दशी व्रत से खोया हुआ राज्य, सुख समृद्धि व वैभव की होती है प्राप्ति: श्री श्री शैलेश गुरुजी

केके सिंह सेंगर। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। राष्ट्रीय युवा सन्त व आध्यात्मिकगुरु  श्रीश्री शैलेशगुरुजी ने अनन्त चतुर्दशी व्रत-पर्व निर्णय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनन्त चतुर्दशी का प्रसिद्ध व्रत (पर्व) 1 सितम्बर दिन मंगलवार को मनाया जायेगा। इसे अनन्त चौदस या अनवत व्रत के नाम से भी जाना जाता है “उदये त्रिमुहूर्त्तापि ग्राह्यानन्त व्रते तिथि: मध्यान्हे अनन्त भगवान पूजनं कथा श्रवणम अनन्त धारणम च.अर्थात-उदयकाल से लेकर 3 मुहूर्त्त तक व्याप्त चतुर्दशी में इसको करने का  शास्त्र सम्मत प्रमाण है। आज ही के दिन अनन्त भगवान का  षोड्षोपचार पूजन कलश स्थापना कर पुष्प धूप दीप नैवेद्यम आरती कर अनन्त कथा सुनने अनन्त सूत्र धागा (जो हल्दी चन्दन अष्टगंध कुमकुम से लेपन किया हो ) धारण करने के साथ आटें का मीठा पकवान चूरन (चूर्ण) अनन्त भगवान श्रीहरि विष्णु को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप परिजनों सहित ग्रहण करने का पूर्ण फलदायक विधि – विधान है।  इस व्रत के 14 वर्षो तक करने का विशेष महत्त्व है वही इस व्रत का यम नियम और श्रद्धा विश्वास के  साथ पालन करने से सुख समृद्धि खोया मान प्रतिष्ठा राज्य की प्राप्ति  के साथ कष्ट और समस्त पापों का हरण होता हैं। भक्ति और मुक्ति की प्राप्ति भी होती है.मालूम हो कि महाभारत कथा के अनुसार पाण्डव पुत्रों अर्थात पांडवों को खोयी राज्य अधिकार व मान प्रतिष्ठा सुख समृद्धि वैभव की पुनःप्राप्ति  इसी अनन्त व्रत को श्रद्धा विश्वास के साथ करने से हुई थी।

अनन्त चतुर्दशी व्रत का विशेष शुभ पूजन मुहूर्त्त:

प्रातः 5 बजकर 59 मिनट से प्रातः 8 बजकर 45 मिनट तक ही हैं  क्योंकि मङ्गलवार को चतुर्दशी तिथि प्रातः 8 बजकर 45 मिनट तक ही है .पर  आभाव में सुबह 9 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 56 मिनट तक करने का सामान्य है वही  गुलिक काल भी शुभ है ध्यान रहें मंगलवार व्रत काल में भद्रा भी हैं। व्रत का पारण अगले दिन बुधवार पूर्णिमा को प्रातः 9 बजकर 33 मिनट के पूर्व यानी पहले ही कर लें क्योंकि तिथि बदल जाएगी।