नहीं है साहस सारण पुलिस में जो डाल सके पशु तस्करों के गिरेवान पर हाथ
- मुजफ्फरपुर पुलिस को हाथ लगे डायरी से स्पष्ट हैं छपरा से जुड़े तार
राणा परमार अखिलेश की रिपोर्ट
छपरा(सारण)। हरित क्रांति,ऑपरेशन फ्लड जैसे शासनिक तकरीरों की तब हवा निकल जाती है कि जब पशु तस्करी का मामला सामने आता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की हनक के बावजूद अब भी पूर्वांचल में सक्रिय पशु तस्कर गिरोह का लंबा नेटवर्क पूर्वोत्तर बिहार, भूटान, बांग्लादेश म्यांमार तक है। हालिया गिरफ्तार पशु तस्कर व ट्रक चालक के पास से बरामद लेखा जोखा, मोबाइल नंबर आदि से मुजफ्फरपुर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि पशु तस्करों के तार छपरा से जुड़े हैं ।
मुजफ्फरपुर ने धर दबोचा सोनपुर पहलेजा के पशु तस्कर को
गत् शनिवार को मुजफ्फरपुर जिला के भगवानपुर चौक पर पुलिस ने दरभंगा जा रहे पशुओं से भरा ट्रक पकड़ लिया । ट्रक पर सवार दो तस्कर तो भागने में कामयाब रहे किंतु चालक को पुलिस ने धर दबोचा । गिरफ्तार चालक की शिनाख्त सारण जिले के सोनपुर थाना क्षेत्रान्तर्गत पहलेजा निवासी सुनील राय के रूप में की गई । उसके पास से बरामद डायरी छपरा, सिवान, गोपालगंज से जुड़े तार व यूपी से नेटवर्क तो दर्शाते हैं, छपरा की जांबाज पुलिस की वर्दी पर भी स्याह दाग लगा रहे हैं । बहरहाल, गिरफ्तार चालक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और भगवानपुर थानाध्यक्ष संजीव सिंह निराला ने पशुओं को गोशाला के हवाले कर दिया है। शुक्रवार को भी भगवानपुर चौक पर प्रतिबंधित मांस से लादा ऑटो पकड़ा गया है, जिसे जमीन में गाड़ दिया गया ।पुलिस ने तस्करों की सघन तालाशी की मगर सफल नहीं रही । एसएचओ निराला के अनुसार तस्कर की डायरी से माफियाओं की गर्दन तक हमारे साथ पहुंचेंगे।
बिहार में एनडीए 2 शासन काल में छपरा पुलिस ने पशु तस्करों पर हाथ जरूर डाला था।_ 22 अक्टूबर 2012 को दिघवारा पुलिस ने बैलों से भरा ट्रक यूपी 50 एफ- 2407 पकड़ा था और 23 जिंदा व एक मृत बैल था, उसमें । उसी दिन अवतार नगर पुलिस ने 20 बैलों से लदा ट्रक नंबर 44 एफ-1766 को चालक सगीर अहमद, सुल्तानपुर, यूपी तथा नयागांव पुलिस ने 22 जिंदा व एक मृत बैल सहित ट्रक व चालक महेन्द्र यादव, मऊ, यूपी को पकड़ा था, किंतु कोर्ट ने रिलीज़ कर दिया और तब से सारण पुलिस पशु तस्करों की ओर से आंखे बंद कर चुकी है। उसके पहले भी 7 मार्च 2012 को दो गायों सहित दिघवारा थाना क्षेत्र के उन्हचक में मंजूर मियां नामक पशु तस्कर पकड़ा गया था।
2005 के सोनपुर मेला में पशु आयात- निर्यात प्रतिबंधित
सनद रहे कि एनडीए प्रथम 2005 में पशुओं की तस्करी रोकने के लिए सूबे की सरकार ने पशुओं के आयात व निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब से एशिया का प्रसिद्ध पशुमेले में अन्य प्रदेशों से पशुओं का आना जाना बंद । वर्ष 2019 में तो पक्षियों के क्रय-विक्रय भी प्रतिबंधित कर दिए गए । फिर भी पशुओं की तस्करी बेरोक टोक जारी है । सबसे चिंतनीय विषय है कि अब गो रक्षक दल संगठित हो रहे हैं कहीं पूर्वाग्रह- दुराग्रह के शिकार कोई स्थानीय न बन जाए और पशु तस्कर चांदी काटते रहे क्योंकि तस्कर गिरोह में कोई एक संप्रदाय विशेष का व्यक्ति नहीं है। बहरहाल, पुलिस-प्रशासन के सामने यह भी एक चुनौती है।


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