राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

कुछ इस कदर है शिक्षा की दास्तां : अमित नयन

छपरा(सारण)-  शिक्षा का मतलब केवल अच्छे रोजगार पाने से है। ये उदाहरण हमारे समाज में आज देखने को मिलते हैं। बच्चे भी शिक्षार्जन केवल नौकरियों की तलाश तक सीमित रखते हैं। वे खुद को से आगे ले जाने की जिज्ञासा अपने अंदर शायद नहीं पालते हैं। अभिभावक भी इससे जरा इत्तेफाक नहीं रखतें। वे भी बच्चों को केवल अच्छी शिक्षा देकर केवल नौकरियां की लालसा अपने अंदर पालते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक तौर पर समृद्धि तथा समाज में खुद को एक प्रतिष्ठित स्थान मिल जाए इतना ही है प्रयास करते हैं उन्हें लगता है कि केवल एकमुश्त तय मासिक राशि के होने से जीवन में उनके बच्चों को अधिक कठिनाई नहीं होगी। वे एक आरामदायक जीवन यापन कर सकते हैं। बहुत से लोग यह भी सोचते हैं ऊंचे ओहदे पर पहुंचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। जिससे उनका जीवन और आरामदायक हो जाएगा। वे यह भी सोचते हैं कि अगर वेतन से संतुष्टि नहीं मिलेगी तो वे दूसरा रूप अख्तियार कर गलत तरीके से धनार्जन का रास्ता तैयार करेंगे। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ऐसे सपने देखते हैं जोकि बहुत ही मनभावन होते हैं लेकिन वास्तविकता से काफी दूर होते हैं। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण से है। हम अपने हम अपने चारित्रिक मनोभाव द्वारा खुद के साथ-साथ समाज को चारित्रिक रूप से सुगठित कर सकते हैं। शिक्षा का बुनियादी उद्देश्य बच्चों को शिक्षित कर उनके अंदर आपसी सदभाव तथा खुद के अधिकार के प्रति जागरूक करना है। जिसके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा माहौल की आवश्यकता अवश्यंभावी है। शिक्षा का उद्देश केवल नौकरी पाने से नहीं है इसका उद्देश मनुष्य के सर्वांगीण विकास से है। हमारे अभिभावकों को यह सोचना चाहिए कि बच्चों को केवल शिक्षित कर केवल रोजगार के लिए प्रेरित न कर के उन्हें देश तथा समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी का एहसास कराना है। वे अपने बच्चों को प्रेरक कहानियां तथा उदाहरण हमेशा प्रस्तुत करें जिससे उन बच्चों के अंदर देश और समाज के प्रति कुछ करने का जज्बा पैदा हो सके। बच्चों के अंदर नैतिक विकास का होना उतना हीं आवश्यक है जितना कि उनके अंदर शैक्षणिक विकास , बौद्धिक विकास तथा शारीरिक विकास आवश्यक है। इनकी उपलब्धता के बाद हमारे समाज में भ्रष्टाचार , शोषण, बलात्कार की घटनाएं,अश्लीलता इत्यादि विकृतियों का दमन हमारे समाज से होगा।जो हमारे समाज को पूर्ण रूप से सृजित कर सकेंगे।