बाढ़ से किसान, मजदूर तथा आम अवाम परेशान
सुभाष प्रसाद की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
पानापुर (सारण)। प्राकृतिक आपदा हमेशा ही जनमानस के लिए पीड़ादायक रहा है। वो चाहे किसी रुप में आए,इसका खमियाजा भूगतना ही पड़ता है। इसमें भी बाढ़ जैसी आपदा की बात करे तो यह सब पर भाड़ी पर जाता है। जान माल से लेकर हर जरुरी सुविधाएं प्रभावित हो जाती है। जिसका भरपाया करने में वर्षो लग जाते है। पानापुर जैसे पिछड़े इलाके के लिए यह बाढ़ किसी बड़ी त्रासदी के कम नही है। उसमें भी दो महिने में दूसरी बार बाढ़ आना अपने आप में बड़ी बात है। यह बाढ़ लोगों पर कहर बनकर टुट पड़ी है। इसके कहर से यहां के बासिंदे कराह रहे है। बर्तन, बासन से लेकर खेती-गृहस्थी व रोजी रोजगार सब चौपट हो गया है। सभी का हाल एक जैसा हो गया है। जुलाई महिने में आए बाढ़ के दौरान लोग घरो को छोड़ करीब डेढ़ महिने तक विभिन्न ऊंचे स्थलो शरण लेकर समय गुजारी थी। पानी कम होने के बाद घर लौट बाढ़ में तबाह हुए आशियाने को दुरूस्त कर चूल्का चौका का इंतजाम कर हीं रहे थे कि फिर से बाढ़ का पानी आकर उनकी तबाही की शुरुआत कर दी। जिसके बाद वे उल्टे पांव ऊंचे स्थलो पर आकर शरण ले लिए है। पिछले एक सप्ताह से वे यही ठहरे हुए जहां खाने पीने से बिजली बत्ती तमाम तरह कठिनाइयों से गुजरना पर रहा है। ऐसी स्थिति में आए इस विपदा की घड़ी में प्रशासन को दो कदम आगे बढ़कर काम करना चाहिए था परंतु प्रशासन द्वारा इनकी सुध लेने तक की जहमत नहीं उठाई गई है। जिससे ये लोग अपने आपको पूरी तरह असहाय महसूस कर रहे है। तथा अपने भग्य को दोषी मानते हुए यही कह रहे भगवान अब तु कितना सताएगा। अब तो रहम कर दे।


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