महागठबंधन की ओर से मांझी में सीपीआई (एम) के नेता डॉ सत्येन्द्र यादव होगें मैदान में
रईश सुलेमान की रिर्पोट। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। सारण जिला अंर्तगत मांझी विधानसभा का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। राजद नेतृत्व वाली महागठबंधन ने अपनी सारी सहयोगी दलों के बीच सीटों की बटवारे के घोषणा पहले ही कर दी गई है। आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ेगी,कांग्रेस को 70 सीटें दी गई हैं, सीपीएम को 4 सीटें, सीपीआई को 6, सीपीआई माले को 19 सीटें दी गई हैं। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में वाम दलों के शामिल होने के बाद सभी राजनीतिक दलों के चुनावी समीकरण बदल गए है। महागठबंधन में शामिल वाम दलों में सीपीआई (एम) को 4 सीटे दी गई है। कल देर शाम सीपीआई (एम) के बिहार प्रेदेश कमिटी के द्वारा अपने सभी 4 सीटों पर अपने उम्मीदवारो की नामों की घोषणा कर दी गई। जिसमे सारण जिले अंतर्गत मांझी विधानसभा से डॉ सत्येन्द्र यादव को महागठबंधन की तरफ से मैदान में उतारा गया। यहाँ से महागठबंधन में ही शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय शंकर दुबे विधायक है लेकिन इस बार सम्भवतः यहां से वह चुनाव नही लड़ेगे। दरअसल इस सीट को जदयू का गढ़ माना जाता है। और पिछले चुनाव में महागठबंधन में जदयू भी शामिल थी। यही कारण था कि पिछले चुनाव में विजय शंकर दुबे भारी मतों से चुनाव जीते थे। दूसरे नंबर पर NDA की तरफ से लोजपा के केशव सिंह थे। इस सीट से लगातार जदयू के गौतम सिंह दो बार विधायक रहे। यानी पिछले 15 वर्षों से इस सीट पर या तो जदयू या जदयू समर्थित उम्मीदवार ही जीतते आ रहे है। लेकिन इस बार जदयू और बीजेपी साथ है। सूत्रों से प्राप्त जनकारी के अनुसार यहां से बीजेपी के राणा प्रताप सिंह NDA की तरफ से लड़ेगे। तो वही NDA से अलग होकर लोजपा के केशव सिंह की भी चुनाव लड़ने की खबरे तेज है। जो पिछले विधानसभा चुनाव में NDA के उम्मीदवार थे और लगभग बीस हज़ार वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन इसबार बिहार विधानसभा चुनाव में NDA में जदयू के शामिल होने से लोजपा सुप्रीमो और रामविलाश पासवान के पुत्र चिराग पासवान नाराज है। और उन्होंने इसबार अकेले ही 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जिसमे मांझी विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। ऐसे में NDA को यहाँ से जीत पाना मुश्किल है। आपको बताते चले की मांझी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के सारण जिले के अंतर्गत आता है। विधानसभा की आबादी में अनुसूचित जाति, मुस्लिम और यादवो की बाहुल्यता है। और इन तीनों जातियों पर सीपीआई (एम) के उम्मीदवार डॉ सत्येन्द्र यादव का बेहतरीन प्रभाव है। यही कारण है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में अकेले सीपीआई (एम) की तरफ से चुनाव लड़े और 12.39 फीसदी वोट हासिल कर के तीसरे नंबर पर रहे थें। लेकिन इस बार सीपीआई (एम) के महागठबंधन में शामिल होने के बाद दलित, मुस्लिम और यादवों का बहुत बड़ा वर्ग इनका समर्थन कर रहा है। यही कारण है कि जब से मांझी से डॉ सतेंद्र यादव की नाम के घोषणा के हुई है, तब से महागठबंधन के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है।


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