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किशनगंज: संक्रमण के दौर में संक्रमित होकर भी अपनी जिम्मेदारी सफलता पूर्वक निभायें

संक्रमण के दौर में संक्रमित होकर भी अपनी जिम्मेदारी सफलता पूर्वक निभायें

  • संक्रमण की चपेट में आने के बावजूद मजबूत हौसले के दम पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक ने जीती कोरोना से जंग
  • विषम परिस्थितियों में खुद को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती
  • संक्रमण से बचाव के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक

किशंनगंज। कोरोना संक्रमण का यह दौर हमारे स्वास्थ्य अधिकारियों के लिये अब तक बेहद चुनौतिपूर्ण रहा है. संक्रमित लोगों की देखरेख के क्रम खुद संक्रमण की चपेट में आकर उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. लेकिन अपनी जिम्मेदारियों का बोध व जनमानस की सेवा के प्रति उनके जज्बा के दम पर हम इस वैश्विक बीमारी को कड़ी चुनौती देने में अब तक बेहद सफल रहे हैं. चर्चा उस दौर की है जब जिले में महामारी अपने चरम पर था. हर दिन सैकड़ों मरीज संक्रमण की चपेट में आ रहे थे. उस मुश्किल दौर में एक ऐसे व्यक्ति जिनके कंधों पर समस्त क़िशनगंज प्रख्ंड के स्वास्थ्य प्रबंधन संबंधी जिम्मेदारियों का बोझ हो उनकी चुनौतियों का अंदाजा लगाना बेहद सहज है. हम बात कर रहे हैं क़िशनगंज प्राथ्मिक स्वस्थ्य केन्द्र के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक श्री किशोर कुमर केशरी कि जो गत माह ही संक्रमण की चपेट से बाहर निकले हैं.
अपनी आपबीती साझा करते हुए किशोर जी बताते है, लगातार कई दिन कई क्वारंटाइन सेंटर का निरीक्षण, मरीजों को उपलब्ध सुविधाओं की पड़ताल सहित सरकारी दिशा निर्देशों के अनुपालन के क्रम में अचानक एक दिन उन्हें सर्दी-खांसी के साथ-साथ हल्की बुखार का अनुभव हुआ. साधारण दवा जब बेअसर साबित हुई. तो फिर उन्होंने कोरोना जांच का निर्णय लिया. प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक अपनी ड्यूटी पर थे. इसी क्रम में उन्हें रिपोर्ट पॉजेटिव आने की सूचना मिली, तबियत और बिगरती चली गयी जिसके बाद उन्हे कोविड केयर अस्पताल मै भर्ति किया गया . पहले तो कुछ समझ नहीं आया. फिर हिम्मत बांध कर इस चुनोती से सख्ती से मुकाबला का निर्णय लिया. दिमाग में चिंता व निराशा घर कर रहा था. परिवार के लोगों के सेहद की चिंता परेशान कर रहा था. ऐसे में अस्पताल के चिकित्सक व अन्य सहकर्मियों का भरपूर सहयोग ने हिम्मत दी. उन्होंने खुद को अपने घर में क्वारंटाइन करने का निर्णय लिया. शुरूआती दो-तीन दिन बेहद मुश्किल से गुजरा. शुरू में सर्दी-खांसी व बुखार की शिकायत थी. बाद में स्वाद व गंध की अनुभूति भी खत्म हो गयी. शुरू के एक दो दिन तो बेहद बेचैनी में गुजरा बाद में धीरे धीरे सब कुछ सामान्य होता चला गया.

संक्रमण की चपेट में आने के बावजूद मजबूत हौसले के दम पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक ने जीती कोरोना से जंग:
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक किशोर जी ने कहा कि नाकारत्मक विचारों को मात देने का सबसे अच्छा तरीका है कि खुद को अपने काम मे व्यस्त रखा जाय. इसे महत्व देते हुए उन्होंने खुद को अपने काम में इस कदर व्यस्त कर लिया कि नाकारत्मक विचार उनके आस पास भी नहीं भटक सके. संक्रमण काल से उबरने में परिवार वालों का साथ तो मिल ही. मित्र, सहयोगी व अस्पताल के वरीय अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग मिला. दोस्त लगातार फोन पर हाल चाल जान रहे थे. जरूरी नसीहत और उनका सुझाव मिल रहा था. अस्पताल के चिकित्सक और अन्य सहयोगी भी लगातार संपर्क में थे. जरूरी स्वास्थ्य सुविधा समय पर मिल रहा था. जो इस विपरीत घड़ी में से उपरने में बेहद कारगर साबित हुआ.
विषम परिस्थितियों में खुद को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती, योग प्राणायाम व स्वस्थ-खानपान से दी महामारी को मात:

निराशा के आलम में खुद को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होती है. घर मे रहकर घरवालों से दूरी बनाये रखना भी आसान नहीं और जब घर मे छोटे बच्चे हों तो यह और मुश्किल हो जाता है. अस्पताल प्रबंधक विकास ने बताया कि परिजन और परिवार वालों के स्वास्थ्य के लिहाज से जरूरी मनाते हुए उन्होंने कोरेन्टीन के नियमों का सख्ती से अनुपालन किया. फिर ये महसूस होने लगा कि खुद के प्रयासों के दम पर ही इस मुश्किल घड़ी से बाहर निकल जा सकता है. साथ ही साथ महामारी को मात देने के लिये उन्होंने नियमित रूप से योग प्राणायाम को अपने जीवन मे शामिल किया. इसके अलावा खान पान में पौष्टिक और इम्युनो सिस्टम बढाने वाले खाद्यय पदार्थ को शामिल किया. नियमित रूप से हरी साग-सब्जी, फल, ताजा भोजन को प्रचुरता से अपने आहार में शामिल किया. संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में लोगों को जरूरी सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि महामारी की चपेट में आने से बचने के लिये लोगों को मास्क का सेवन, सोशल डिस्टैसिंग का ध्यान रखना तो जरूरी है ही साथ में अपने खान-पान में विटामीन सी, दूध, हरी साग-सब्जी को प्रमुखता से शामिल करते हुए योग व मेडिटेशन को अपने दैनिक जीवन में शुमार करना बेहद जरूरी है.

संक्रमण से बचाव के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक:
कोरोना का कोई इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है, इस लिये सतर्कता बरतना ही एकमात्र उपाय है। कोरोना संक्रमित के संदिग्ध लोगों के संपर्क में आने से बचें। हाथ धोने की आदत डालें। मुंह और नाक को हाथ से न छुएं। सैनिटाइजर और साबुन का इस्तेमाल करें। बाहर मास्क लगा कर ही निकलें।

कोरोन की दवाई नही बनी है इइसलिए रखें इसका भी ख्याल:

  1. व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
  2. बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
  3. साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
  4. घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
  5. आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
  6. मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें

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