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विश्व पोलियो दिवस: अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए जरूर पिलाए “दो बूंद जिंदगी की”

विश्व पोलियो दिवस: अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए जरूर पिलाए “दो बूंद जिंदगी की”

  • 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है
  • डब्ल्यूएचओ ने भारत को 2014 में पोलियो मुक्त किया घोषित
  • पोलियो एक संक्रामक बीमारी है

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा (सारण)। टीकाकरण के प्रति जिम्मेदार बने और अपने बच्चों को टीकाकरण जरूर कराएं और यह संकल्प लें कि पोलियो के खिलाफ टीकाकरण कराएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पोलियो उन्मूलन के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है और हर साल इस लक्ष्य के करीब पहुंचता रहा है। डब्ल्यूएचओ ने लोगों को जागरूक करने के लिए जो कदम उठाए हैं। उससे हर व्यक्ति पोलियो को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। पोलियो के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल 24 अक्तूबर को विश्व पोलियो दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। पोलियो को कभी एक अत्यंत सामान्य संक्रामक बीमारी के रूप में जाना जाता था जिसने दुनिया भर में लाखों बच्चों के जीवन को बाधित किया था।

इसलिए मनाया जाता है पोलियो दिवस:

विश्व पोलियो दिवस की शुरूआत एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जोनास साल्क के जन्म के अवसर पर की थी, जिन्होंने पोलियोमाइलाइटिस के खिलाफ टीका विकसित किया था। यह दिवस 24 अक्टूबर को मनाया जाता है।

डब्ल्यूएचओ ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त किया घोषित:

डब्ल्यूएचओ ने देश को 27 मार्च वर्ष 2014 को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया है। भारत में 2014 के बाद अब तक पोलियो का एक भी केस नहीं मिला है। पोलियो की रोकथाम को बेहद जटिल माना जाता था, ऐसे में यह मील का पत्थर हैं, जो कि मजबूत निगरानी प्रणाली की वजह से ही मुमकिन हो सका है। हालांकि अहतियात के तौर पर पोलियो की खुराक दो बूंद जिदगी की पिलाई जा रही है। जीरो से पांच साल तक के बच्चों को नियमित रूप से पोलियो की खुराक पिलाई जा रही है।  अक्टूबर में पोलियो अभियान के तहत बच्चों को खुराक पिलाई गई थी। इसी तरह का अभियान नवंबर माह में भी चलाया जाएगा।

क्या है पोलियो:

पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक अपंग यानी विकलांग करने वाली घातक बीमारी है। पोलियो वायरस के कारण यह बीमारी होती है। व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला कर सकता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है। पक्षाघात की स्थिति में शरीर को हिलाया नहीं जा सकता और व्यक्ति हाथ, पैर या अन्य किसी अंग से विकलांग हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों और विभिन्न देशों की सरकारों की दृढ़ता के साथ टीकाकरण अभियान ने दुनिया को पोलियो से बचाया। हालांकि भारत से पोलियो मुक्त हो चुका है। लेकिन पाकिस्तान,अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केस सामने आते हैं।

पोलियो के लक्षण:

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार शर्मा  ने बताया पोलियो से संक्रमित लगभग 70-75 फीसदी लोग किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं करते हैं। संक्रमित लोगों में से लगभग 25-30 फीसदी में बुखार, गले में खराश, मतली, सिरदर्द, थकान और शरीर में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। शेष कुछ रोगियों में पोलियो के अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं, जैसे-

पैरेथेसिया- हाथ और पैर में पिन और सुई चुभने जैसा अनुभव होता है।

मेनिनजाइटिस- मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आवरण में संक्रमण।

पक्षाघात- पैर, हाथ को स्थानांतरित करने की क्षमता में कमी या अनुपस्थिति और सांस लेने की मांसपेशियों में खिंचाव।