आई रे आई, जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती, बारात हैं आई
लेखक- बिपिन कु शर्मा
आई रे आई, जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती, बारात हैं आई
हर तरफ है हँसी ठिठोले,
रंग-बिरंगे,जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार,
खुशियों की छाये जीवन में बहार,
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
फिर से सजेगी हर दहलीज़ फूलों से
फिर महक उठेगी रसौई पकवानों से
मिल बैठेंगे पुराने यार एक दूजे से
फिर से सजेगी महफ़िल हँसी ठहाको से
चारों तरफ होगा खुशियों का नज़ारा
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला
डलेगी रंगों की रंगोली हर एक द्वार
ऐसा हैं हमारा दीपावली का त्यौहार।
लेखक- बिपिन कु शर्मा


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