बोर्ड परीक्षा में गणित की तैयारी हेतु सैंपल पेपर होंगे मददगार: नसीम अख्तर
के के सिंह सेंगर की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं एवं 12वीं की वार्षिक परीक्षा को होने में महज दो माह का वक्त बचा है। छात्र/छात्राओं द्वारा इस सुनहले समय का भरपूर इस्तेमाल अपने अध्ययन में किया जा रहा हैं। उनके जहन में सबसे ज्यादा प्लानिंग गणित विषय में अंक लाने की होती है। शत प्रतिशत अंक लाने की इच्छा रखने वाले छात्र/छात्राओं को चाहिए कि नियमित रूप से बिहार बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड सैंपल पेपर का अभ्यास करें। गणित की परीक्षा की तैयारी के लिए सैंपल पेपर बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। यह बात बीबी राम प्लस टू स्कूल नगरा के गणित शिक्षक नसीम अख्तर ने एक विशेष भेंटवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि टेक्स्ट बुक के प्रश्नों को ज्यादा से ज्यादा हल कर उन्हें समझने की कोशिश करें और प्रीवियस ईयर के प्रश्नों को अनिवार्य रूप से हल करें। ताकि प्रश्न पत्र प्रारूप की जानकारी प्राप्त हो सकें। ज्ञातव्य हो कि गणित एक ऐसा विषय है कि प्रैक्टिस आप जितना ज्यादा करेंगे, मार्क्स उतना ही अच्छे आएंगे। दिन में कम से कम तीन से चार घण्टे गणित के प्रश्नों को हल करने में अवश्य व्यतीत करें। गणित परीक्षा में फार्मूले का भी काफी महत्व हैं। लगभग 50% प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं। जिसमें अधिकतर वस्तुनिष्ठ प्रश्न फॉर्मूला आधारित होते हैं। छात्र/छात्राओं को नियमित रूप से फार्मूले को लिखकर अभ्यास करना चाहिए। सब्जेक्टिव प्रश्नों की तैयारी हेतु इस अवधि में सेलेक्टेड/महत्वपूर्ण चैप्टर पर ही ध्यान दें तो बेहतर होगा। जिससे अधिक से अधिक प्रश्न प्रायः पूछे जाते हैं। इनका अध्ययन बारीकी से करें, तो बेहतर होगा। क्योंकि शेष के वस्तुनिष्ठ प्रश्न इन सब्जेक्टिव प्रश्नों में से ही पूछे जाते हैं। लिखने का प्रतिदिन तीन से चार घंटे अभ्यास करें। ताकि उत्तर लिखने की प्रस्तुति अच्छे ढंग से हो सकें। कॉपी साफ सुथरी लिखें तथा इसके दोनों तरफ लकीर खींचकर रफ वर्क करें। ताकि कॉपी जांचने वाले को न लगे कि आपने कोई नकल की है। प्रश्नों का हल करते वक्त समय प्रबंधन का भी ख्याल रखें। इसके लिए नमूना प्रश्न पत्रों का टाइम मैनेजमेंट के साथ अभ्यास करें। एक बात हमेशा याद रखें, गणित में प्रश्नों के उत्तर/हल जितना भी आता हो अवश्य लिखें। क्योंकि इसमें स्टेप वाइज मार्किंग होती है। प्रश्नों को हल करते समय शब्द सीमा का भी ख्याल रखें। क्योंकि शब्द सीमा में उत्तर होने से परीक्षक पर साकारात्मक असर होता हैं और वे पूरा अंक देते हैं।
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