राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

सारण में पारंपरिक विधि-विधान से गोधन कुटने की बहनों ने की रस्म अदायगी

जिले भर में पारंपरिक विधि-विधान से गोधन कुटने की बहनों ने की रस्म अदायगी

  • गोधन भईया चलले अहेरिया, खोड़लिच बहीना देली आशीष
  • रेंगनी के कांट से श्रापने और फिर पश्चाताप की हुई रस्म
  • बहनों ने भाईयों को बजरी और मिठाई खिलाकर, भाईयों को बज्र की तरह बनने की हुई कामना

के के सिंह सेंगर की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा/एकमा/मांझी (सारण) “गोधन भईया चलेलें अहेरिया खोड़लिच बहीना देली आशीष…, भइया के बढे सिर पगड़ी भौजी के मांग सिंदूर…।” जी हां तो कुछ इसी तरह के एकमा नगर पंचायत और आसपास के ग्रामीण इलाकों  के अलावा मांझी, लहलादपुर, रसूलपुर, ताजपुर, नचाप, राजापुर, मुबारकपुर, खानपुर, हरपुर, गौसपुर, भरहोपुर, गंजपर, बरवां  सहित सारण जिले भर में पारंपरिक लोक गीतों के सामूहक स्वरों के साथ बहनों व महिलाओं ने गायन करते हुए ने सोमवार की सुबह गोधन बाबा को पारंपरिक विधि-विधान से कुटने की रस्म अदायगी की। इसके बाद भाईयों को चना की बजड़ी और मिठाई खिलाकर उन्हें बज्र के समान बनने की कामना भी बहनों की ओर से की गई।

पश्चाताप की सिख देता है यह पर्व :

संजु कुमारी, प्रियंका कुमारी, रजनी, कुमारी, ब्यूटी कुमारी, मुन्नी कुमारी आदि के द्वारा इसके पूर्व भाई और हित कुटुंब के दीर्घायु जीवन के लिए सुबह श्राप कर फिर रेंगनी की कांटे से पश्चाताप की गई। रुचि सिंह के अनुसार पूरी तरह कृषि और गौ पालन की महता से जुड़ा भैया दूज का यह पर्व। गृहस्थ जीवन में कभी कभार खीस-क्रोध में अनाप-शनाप भी बोल जाते हैं तो यह पर्व उसका पश्चाताप करने की सीख देता है।

अब हुई पीड़िया की शुरूआत :

बहनें पहले श्राप देती हैं। फिर एक खास तरह के रेंगनी की कांटे से जीभ पर रख कर पश्चाताप करती हैं। पर्व के साथ पारम्परिक गीतों ने इस पर्व को जीवंतता प्रदान की है। यही कारण है कि आज से शुरू होने वाला यह पर्व पूरे एक महीने तक पीड़िया के नाम से चलेगा।

बनायी जाती है भीतिचित्र :

गाय के गोबर से बने गोधन बाबा की कुटने की रस्म के बाद इसी गोबर से पीड़िया दिवारों पर लगाईं गई। रोजाना शाम होते ही बहने गीत गायेंगी और भाइयों के दीर्घायु होने की मंगल कामना करेंगी। एक महीने बाद व्रती बहनें उपवास रख कर दिवाल से पिंडी रूप में बनी पीड़िया देवी का विसर्जन करेंगी। उस दिन घर के आंगन में सोरहिया नाम से भीतिचित्र भी बनाई जाने की परंपरा रही है।