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सर्दियों के मौसम में बच्चों और नवजात का निमोनिया से करें बचाव

  • बच्चों को सर्दी से बचाने को पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाने चाहिए
  • खानपान का रखें विशेष ख़्याल
  • सर्दियों के मौसम में बच्चों और नवजात बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कमजोर

किशनगंज। सर्दियों के मौसम में बच्चे, नवजात शिशुओं को बीमारियों से बचाव के लिए खास ख्याल रखना होगा। बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाने चाहिए। उनके खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

सर्दी में बच्चों का खास ख्याल रखना आवश्यक

सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया कि सर्दी में बच्चों का खास ख्याल रखना आवश्यक है। खासकर एक साल के कम उम्र के बच्चे एवं नवजात शिशुओं का। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बच्चे आसानी से विभिन्न बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। बच्चों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं। टोपी, दस्ताने एवं मोजे भी पहना कर रखें। ठंडे फर्श पर नंगे पैर न चलने दें। रात के समय बच्चों का कमरा हल्का गर्म होना चाहिए। खासकर नवजात शिशु पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। कमरे का तापमान ऐसा हो कि माता-पिता को कंबल की ज्यादा आवश्यकता न हो। आवश्यकता पड़ने पर कमरे में हीटर का इस्तेमाल भी करना चाहिए। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रफत हुसैन ने बताया निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन पांच साल से छोटे बच्चों व 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इसलिए निमोनिया का असर जल्द होता है। बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकोकल कॉन्जुंगेट वैक्सीनन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है तथा जिले में सम्पूर्ण टीकाकरण हेतु ए एन एम के द्वारा संपूर्ण टीकाकरण का कार्यक्रम आंगनवाड़ी केंद्रों में भी किया जाता है।

सम्पूर्ण टीकाकरण सर्दी में निमोनिया को करेगा दूर

डॉ. रफत हुसैन ने बताया बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है।

ये हैं जरूरी टीके:

  • जन्म होते ही – ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
  • डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
  • ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
  • साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
  • नौ से 12 माह में – मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
  • 16 से 24 माह में: – मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2

ये भी हैं जरूरी:

  • 5 से 6 साल में – डीपीटी बूस्टर 2
  • 10 साल में – टिटनेस
  • 15 साल में – टिटनेस
  • गर्भवती महिला को – टिटनेस 1 या टिटनेस बूस्टर
  • बच्चा छह महीने से कम का है, तो 6 महीने तक नियमित रूप से केवल स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है।

बच्चे को बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रफत हुसैन ने बताया कि नवजात शिशु में निमोनिया के बहुत से लक्षण दिखायी नहीं देते। इसलिए अगर शिशु को हल्का बुखार आए या जुकाम हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ठंड के मौसम में बच्चों को हरी सब्जियां, फल, सब्जियों का शोरबा, दूध से बनी चीजें और मेवे खिलाने चाहिए। ठंड में बच्चे पानी कम पीते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कब्ज की शिकायत हो सकती है। इसलिए समय-समय पर गुनगुना पानी देते रहें। बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन गरम कपड़ों के साथ।

ऐसे करें बचाव :

  • जिन बच्चों को सांस लेने की दिक्कत होती है, उन्हें धूल, धुएं और फ्लावरिंग से दूर रखें।
  • दो या तीन गरम कपड़े पहनाएं, क्योंकि कपड़ों के बीच जो एयर होती है वह भी ठंड से बचाव करती है।
  • बच्चों की खुराक संतुलित रखें और ठंडा खाना बिल्कुल न दें।
  • विंटर डायरिया होने पर बच्चे को उबला हुआ खाना, तरल खाद्य पदार्थ (लिक्विड डाइट) और अधिक से अधिक ओआरएस दें।
  • मां का दूध पीने वाले बच्चे को ऊपर का दूध न पिलाएं

नवजात की ऐसे करें देखभालः
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रफत हुसैन ने बताया कि नवजात शिशुओं को ठंड में हाइपोथर्मिया होने की संभावना रहती है। जैसे ही बच्चा पैदा हो उसे मुलायम कपड़े से पूरा पोंछने के बाद दूसरे कपड़े से ढक दें। नवजात को पर्याप्त कपड़े पहनाएं। बच्चे को मां की गोद से लगा दें और उसे मां का दूध पिलाएं। डॉ. रफत हुसैन ने बताया कोरोना काल में बच्चों को जहां निमोनिया से बचाना जरूरी है, ठीक उसी प्रकार कोरोना संक्रमण से बचाव करना भी अभिभावकों की जिम्मेदारी है। भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। साथ ही संक्रमण से बचाने के लिए कोविड-19 के

इन नियमों का पालन करना जरूरी है :

  • अस्पताल जाने के लिए बिना मास्क के घर से बाहर न निकले
  • अस्पताल में टीका दिलाते समय शारीरिक दूरी का पालन करें
  • टीका दिलाते समय बच्चों को अपने गोद में रखें
  • छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें
  • घर में बाहर से आने वाले लोगों से बच्चों को दूर रखें

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