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पंचायत निकाय चुनाव के 3 माह पहले प्रमुख और उपप्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव से राजनीति सरगर्मी तेज, चाय-चौपाल पर हो रही चर्चा

पंचायत निकाय चुनाव के 3 माह पहले प्रमुख और उपप्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव से राजनीति सरगर्मी तेज, चाय-चौपाल पर हो रही चर्चा

मुरारी स्वामी।गड़खा
विधानसभा चुनाव की राजनीति सरगर्मी अभी शांत भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर से गड़खा में पंचायत समिति की राजनीति सरगर्मी का पारा बढ़ गया है। पंचायत निकाय चुनाव के करीब तीन माह पहले गड़खा प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख पर पंचायत समिति सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लगा दिया है। इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के चाय-चौपालों में चर्चा का विषय बन गया है। कोई विधानसभा राजनीति से जोड़कर देख रहा है तो कोई पंचायत निकाय चुनाव से। बहरहाल, गड़खा की राजनीति बड़ा ही दिलचस्प हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे चर्चाओं की माने तो निवर्तमान प्रखंड प्रमुख एवं उपप्रमुख राजद के पूर्व विधायक सह पूर्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी के समर्थक है। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में राजद ने मुनेश्वर चौधरी को अपना उम्मीद्वारा नहीं बनाया, तो श्री चौधरी ने पार्टी बदलते हुए जनअधिकारी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और पराजित हुए। राजद ने सुरेन्द्र राम को गड़खा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीद्वार बनाया और पहली ही पारी में सुरेन्द्र राम ने चुनाव जीत लिया। गड़खा में राजनीतिक समीकरण बदलने के बाद पंचायत निकाय चुनाव के करीब तीन माह पहले प्रमुख और उप प्रमुख पर अविस्वास लगने से राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज हो गया है।

बीडीसी ने अपना विकास के नाकामी को छुपाने के लिए लगाया अविश्वास

राजनीति के जानकारों की माने तो पंचायत निकाय चुनाव 2021 में मार्च से लेकर मई के बीच में होने वाली है। ऐसे में पंचायत समिति सदस्यों द्वारा अपने क्षेत्रों में व्यापक रूप से विकास का काम नहीं किया गया। जिसे छुपाने, खुद को बचाने के उद्देश्य से प्रमुख और उप प्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव लगाई गई है। ताकि जनता से पंचायत चुनाव में बच सकें।

प्रमुख और उप प्रमुख पर अविश्वास, हाई वोल्टेज ड्रामा तो नहीं

गड़खा प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद राजनीतिक पंडित अपने अनुसार अनुमान लगा रहे है। जानकारों की माने तो इसी माह में विधानसभा का चुनाव संपन्न हुआ है और अगले तीन माह बाद पंचायत निकाय चुनाव है। ऐसे में नवनिर्वाचित विधायक द्वारा इस चुनाव में राजनीतिक हस्तक्षेप करने की उम्मीद कम है। हालांकि चुनाव हार चुके निवर्तमान विधायक भी अपनी राजनीति जमीन को समाप्त नहीं होने देंगे। इस सूरत में ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि प्रखंड प्रमुख और उप प्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव महज हाई वोल्टेज ड्रामा बनकर रह जाएगा या फिर परिवर्तन होगा।

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