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इमरान खान की दिखावे की कार्रवाई भी आतंक के खिलाफ नहीं आई काम, अमेरिका से पड़ी तगड़ी मार

इमरान खान की दिखावे की कार्रवाई भी आतंक के खिलाफ नहीं आई काम, अमेरिका से पड़ी तगड़ी मार

नई दिल्ली, (एजेंसी)। दुनियाभर में आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तान समय-समय पर घेरा जाता रहा है। कई खूंखार आतंकी पाकिस्तान सरकार की शरण में काफी आरामदायक जिंदगी गुजारते हैं। इसकी वजह से भारत-अमेरिका जैसे देशों के सामने पाकिस्तान की छवि लगातार गिरती रही है और उस पर लगभग हर वैश्विक मंच से हमला बोला जाता रहा है। आतंकवाद के मसले पर एफएटीएफ द्वारा ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद से आर्थिक मार झेल रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को करारा झटका लगा है। अमेरिकी प्रशासन ने लश्कर-ए-तैय्यबा के साथ-साथ सात अन्य आतंकवादी समूहों की समीक्षा की है और उस पर लगाए गए विदेशी आतंकवादी संगठन का तमगा बरकरार रखा है। अमेरिका ने सबसे पहले साल 2001 में लश्कर-ए-तैय्यबा को आतंकवादी संगठन करार दिया था।

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह आॅर्डर तब सामने आया है, जब अगले महीने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें इस बारे में चर्चा की जाएगी कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ कितने कड़े कदम उठाए हैं। ग्लोबल वॉचडॉग अब तक इस्लामाबाद के उन तर्कों से सहमत नहीं दिखाई दिया है, जिसमें दावा किया जाता है कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग पर लगाम कसने के लिए कदम उठाता रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है। इसकी वजह से दुनियाभर से पाक को मिलने वाली आर्थिक मदद पर चोट पहुंची है। पिछले साल अक्टूबर में हुई अंतिम समीक्षा में एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस पेलीर ने आगाह किया था कि पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए जिंदगीभर का समय नहीं ले सकता है और बार-बार विफल होने के चलते उसे ब्लैकलिस्ट में भी डाला जा सकता है।

पाकिस्तान को साल 2018 में एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी वाली संस्था ने पाया था कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित करने में विफल रहा है। इन सबके बावजूद भी अभी तक पाकिस्तान ने आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है और भारत व अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है। हालांकि, पिछले महीने पाकिस्तान ने एफएटीएफ को खुश करने के लिए कुछ दिखावटी कदम जरूर उठाए थे।

पाकिस्तान ने पिछले कुछ समय में सिर्फ दिखावे के लिए कुछ आतंकवादियों को कोर्ट से सजा दिलवाई है। लेकिन, पड़ोसी देश का यह सच है कि उनकी जेलों में भी आतंकी बड़े आराम से रहते हैं। पिछले हफ्ते पाकिस्तान की एक अदालत ने लश्कर-ए-तैय्यबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकवाद से जुड़े वित्तपोषण के मामले में 15 साल जेल की सजा सुनाई थी। वहीं, एक अन्य जज ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके लिए पाकिस्तान दावा करता रहा है कि वह कई सालों से देश में है ही नहीं।

आतंकवादियों पर की गई कथित कार्रवाई को लेकर भारत पड़ोसी देश को आड़े हाथों लेता रहा है। नई दिल्ली ने हाल ही में आतंकियों को सजा सुनाए जाने के बाद कहा था कि दोनों पर आतंकवाद से जुड़ा चार्ज नहीं लगाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, ”पाकिस्तान का यह एक्शन एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए किया गया लगता है।” वहीं, भारतीय विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि लश्कर-ए-तैय्यबा को एक आतंकी संगठन के रूप में जारी रखने का अमेरिकी सरकार का फैसला बताता है कि इस्लामाबाद द्वारा उठाए गए कॉस्मेटिक कदमों के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है।

पड़ोसी अपने देश में फल-फूल रहे आतंकवादियों के पक्ष में खड़ा रहता है। वहीं, पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति को लश्कर के जकी-उर-रहमान लखवी को उसके बैंक खातों से 1.5 लाख रुपये निकालने की अनुमति दिलवाने के हफ्तों बाद अमेरिका का यह आदेश आया है। पिछले साल, पाकिस्तान ने लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के लिए भी ऐसी ही रियायत हासिल की थी, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकवादी है। वहीं, अमेरिका ने अपने आदेश में पाकिस्तान स्थित लश्कर-इ-झांगवी को भी विदेशी आतंकवादी संगठन की लिस्ट में शामिल किया है।

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