राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

एसडीओ निर्देश के बावजूद अनुमंडल अस्पताल में लापरवाही

एसडीओ निर्देश के बावजूद अनुमंडल अस्पताल में लापरवाही

  • अनुमंडल अस्पताल के डॉक्टर या कर्मी ही नहीं, गंदगी से मरीजों के परिजन भी हो जाएंगे बीमार
  • डॉक्टर के मूकदर्शक बने रहने से गरीब लाचार आम जनता में रोष

रजौली (नवादा)। रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में मरीज अपनी बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल आते हैं।जिससे कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके और वे बीमारी से निजात पाकर अपने घर भला चंगा होकर जाएं पर अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में हालात ठीक इसके विपरीत है।अस्पताल आने वाले मरीज एवं परिजन में यह आशंका है कि यदि वे अस्पताल जाएं तो पुरानी बीमारी के साथ-साथ कोई नई बीमारी भी ना उन्हें ग्रसित कर ले।अस्पताल परिसर कचरे का डंपिंग यार्ड बना हुआ है।यहां कब स्वस्थ व्यक्ति और स्वयं चिकित्सक भी बीमार हो जाए कहा नहीं जा सकता है।परिसर में जलजमाव की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ा रहता है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन इससे बेखबर प्रतिमाह साफ सफाई के नाम पर हजारों रुपए खर्च किए जा चर रहे हैं।सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी प्रतिदिन मेडिकल वेस्टेज उठाव के बाद भी मेडिकल वेस्ट परिसर में बिखरा रहता है।जिससे कई प्रकार के संक्रमण का खतरा हमेशा आने वाले मरीजों व उनके परिजनों को लगा रहता है। जलजमाव से निकलने वाली दुर्गंध इतनी अधिक है कि इधर से आने-जाने में मरीज सहित परिजन भी परहेज करते हैं।

अनुमंडल अस्पताल परिसर के चारों तरफ जंगलों का साम्राज्य है।अस्पताल में मेडिकल कचरे को भी परिसर में ही फेंका जाता है।जिससे अनेक प्रकार के संबंधित रोग उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। अनुमंडलीय अस्पताल के चप्पे-चप्पे में पसरी कीचड़ कचरे और जंगल कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहा है।वहीं कीचड़ युक्त पानी एवं जंगल को कालाजार, मलेरिया और डेंगू आदि बीमारी को आकर्षित करने के लिए काफी माना जाता है। नियमित सफाई के अभाव में अस्पताल रोगों का वाहक में तब्दील हो रहा है।ऐसे में अस्पताल प्रशासन कुंभकर्ण की नींद से कब जागेगी कहना कठिन है। अनुमंडल अस्पताल के परिसर के अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले दाहिनी तरफ पहले जंगल नजर आता है। जिसके कारण पूरे अस्पताल में मच्छरों का प्रकोप फैला हुआ है। जिस पर अब तक अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं गया है।अस्पताल प्रबंधन परिसर की साफ-सफाई को लेकर उदासीन बना हुआ है।

प्रस्तुति वार्ड में सही ढंग से सफाई नहीं होने से मरीज व परिजन बदबू से परेशान होते रहते हैं। हालांकि कहने का सभी वार्ड की सफाई बार-बार की जाती है। लेकिन अस्पताल परिसर की हकीकत कुछ और है। अस्पताल में नालों पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं होता है।जबकि ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हर दिन करना है।फिनायल से वार्ड की सफाई करनी है ताकि बदबू ना रहे।वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में कोई कार्यक्रम होने या अधिकारी के आने की सूचना पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव सफाई किया जाता है।अस्पताल परिसर में सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। अस्पताल में गंदगी का आलम है कि अस्पताल परिसर के चारों तरफ कचरा फैला हुआ रहता है। इस वजह से शाम में ही नहीं दिन में भी मरीज व उनके परिजन मच्छर से परेशान रहते हैं।गंदगी के ढेर हमेशा सूअरों को आमंत्रित करते रहती है। मरीज बताते हैं कि गंदगी के खिलाफ अस्पताल के कर्मियों से कई बार शिकायत भी की गई।लेकिन उनके द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया गया स्थिति ऐसी है कि यहां आने पर स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ जाए मरीज व परिजन वार्ड में घुसते ही नाक पर रुमाल के रख लेते हैं। चारों तरफ नालियों के पानी में सूअर की मौजूदगी अस्पताल प्रशासन की पोल खोल देता है। उचित साफ सफाई के बिना ही संबंधित एजेंसियां यहां से मोटी कमाई कर रही है। अस्पताल से मीटर की दूरी पर मुख्य द्वार के पास पानी गिरता नजर आता है। और जहां मरीज भर्ती होता है वह वार्ड रूम में भी पानी जमा रहने के कारण मरीजों के परिजनों को संक्रमित बीमारी फैलने का डर सताते रहता है यहां के ड्यूटी में तैनात डॉ श्याम नंदन प्रसाद से बातचीत करने पर वह बोले यहां यही रवैया रहता है मैं क्या करूं। अस्पताल के आसपास वातावरण में गंदगी फैल रही है।लोगों का कहना है कि इलाज कराने के लिए आते हैं लेकिन बीमार होकर जाते हैं मुख्यालय में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर लोग तरह-तरह के चर्चा कर रहे हैं। मरीज के परिजन अस्पताल परिसर में बने शौचालय के बारे में कहते हैं की स्थिति काफी बदतर है।उपचार कराने आए दर्जनों मरीजों ने बताया कि यहां की शौचालय का उपयोग करना तो दूर व शौचालय के समीप भी जाना पसंद नहीं करते हैं।शौचालय में इतनी गंदगी इस कदर रहती है इसका उपयोग यदि स्वस्थ लोगों द्वारा किया जाए तो वह भी मरीज बनकर ही निकलेंगे।रजौली बाजार से इलाज कराने आए व्यक्ति ने कहा कि अस्पताल के शौचालय में जाना बहुत हीं मुश्किल है।यहां दूर से बदबू आती है ओर ऊपर से पानी टपकता है। साथ कीवाड़ भी टूटे हुए हैं।जिससे महिला पुरुष शौचालय का उपयोग करना तो दूर बगल से गुजरना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।कड़ाके की ठंड में आनेवाले मरीजों के लिए ड्यूटी में रहे डॉक्टर एवं अन्य अस्पताल कर्मी कम्बल तक नहीं देते।प्रशासन जब मूकदर्शक बना रहे तो गरीब और लाचार आम जनता क्या करे।

क्या कहते हैं अधिकारी : सिवील सर्जन डॉ बिमल प्रसाद ने बताया कि अभी कोई फंड मेरे पास नही है।ताकी बनवा सकू और मरीज रूम की बात है तो मामला मेरे संज्ञान में आया है।अनुमंडलीय अस्पताल रजौली के उपाधीक्षक को जांच करने का आदेश दिया गया है। जांच के बाद कानून कार्रवाई की जाएगी।

You may have missed