बच्चों में कान के संक्रमण को न करें नजरअंदाज, जानें इसके उपचार
राष्ट्रनायक: छोटे बच्चे अक्सर कान में दर्द से परेशान रहते हैं, जिसके कारण वह रात को ठीक से सो नहीं पाते हैं और कान खींचकर रोते रहते हैं। कई बार माएं समझ नहीं पाती कि बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है। ऐसे में शिशु के कान की जांच करनी चाहिए, क्योंकि अक्सर छोटे बच्चों में कान का संक्रमण अधिक होता है। यदि समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो आगे चलकर परेशानी बढ़ सकती हैं।
क्यों होता है कान में संक्रमण?
विशेषज्ञों के मुताबिक, मौसम बदलने के कारण जिन बच्चों को ज्यादा दिनों तक सर्दी-जुकाम रहता है, उनकी नाक के पिछले हिस्से से कान तक आने वाली यूस्टेकियन ट्यूब ठीक से कान नहीं कर पाती जिसकी वजह से कान में संक्रमण या सूजन की समस्या हो सकती है। बच्चों में यह ट्यूब बहुत छोटी होती है जिसकी वजह से उन्हें कान में अधिक दर्द होता है। यदि संक्रमण का समय रहते इलाज न किया जाए तो कान में दबाव बढ़कर पर्दे में छेद हो सकता है।
संक्रमण के लक्षण: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब बच्चे को कान का संक्रमण होता है तो वह हमेशा चिड़चिड़ा हो जाता है और रोता रहता है। संक्रमण आमतौर पर 6 से 18 महीने के बच्चों में ज्यादा देखा गया है, वैसे यह किसी भी उम्र के बच्चे में हो सकता है, लेकिन चूकि शिशु बोल नहीं पाते, इसलिए उनमें कान के संक्रमण के लक्षणों की पहचान के लिए बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।
निम्न लक्षण दिखने पर बच्चे के कान की जांच करें यदि वह-
- बार-बार कान खींचता है।
- आमतौर पर दर्द की वजह से वह ऐसा करते हैं।
- बहुत अधिक रोता रहे।
- ठीक से सो नहीं पाता है।
- कान से तरल पदार्थ निकल रहा हो।
- बच्चे को ठीक से सुनाई न दें।
- सर्दी के बाद कान में दर्द होना।
कान में संक्रमण के प्रकार:
चाइल्ट स्पेशलिस्ट के अनुसार, कान में संक्रमण कई तरह के हो सकते है:
कान एक्यूट ओटाइटिस मीडिया
यह संक्रमण ज्यादा गंभीर नहीं होता है और तीन हफ्ते से कम समय में ठीक हो जाता है।
क्रॉनिक ओटाइटिस मीडिया
इसमें कान से तरल पादर्थ निकलता है और इस संक्रमण को ठीक होने में 6 हफ्ते से ज्यादा का समय लग सकता है।
कान की हड्डी में संक्रमण
यह संक्रमण गंभीर होता है और ज्यादा दिनों तक रह सकता है। इसमें कान की हड्डी में संक्रमण फैल जाता है। इसे ठीक करने के लिए आॅपरेशन करना पड़ता है।
कान के संक्रमण का उपचार
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, कान के संक्रमण का उपचार कई बातों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण कितना गंभीर है, बच्चे को कितनी जल्दी कान का संक्रमण होता है, संक्रमण कितने समय से है, बच्चे की उम्र, संक्रमण की वजह और क्या इससे बच्चे को सुनने में दिक्कत हो रही है आदि। सभी बच्चों में कान का संक्रमण अलग तरह का होता है इसलिए उनका उपचार भी अलग तरीके से किया जाता है। कुछ मामले में डॉक्टर सिर्फ दर्द के लिए दवा देते हैं और संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। जबकि कुछ मामलों में एंटीबायोटिक से भी इलाज किया जाता है, लेकिन यदि संक्रमण वायरस के कारण होता है तो एंटीबायोटिक्स नहीं दिया जाता है।
कंचन सिंह
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