अस्पताल में मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को मिला प्रशिक्षण
- नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्यूएएस ) के तहत तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का हुआ समापन
- स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को अपनी कार्यशैली में सुधार एवं गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखने की मिली जानकारी
- ज़िले के सभी अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा मुहैया कराना पहला लक्ष्य
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
पूर्णिया (बिहार)। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर चिकित्सीय व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्यूएएस) योजना की शुरुआत हुई थी। जिसको लेकर नेशनल हेल्थ सिस्टम्स रिसोर्स सेंटर, राज्य स्वास्थ्य समिति एवं केयर इंडिया की राज्य स्तरीय टीम के द्वारा संयुक्त रूप से तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन केयर इंडिया के सभागर में हुआ। इस छः सदस्यीय प्रशिक्षण में केयर इंडिया के जिला तकनीकी अधिकारी डॉ देवब्रत महापात्रा, सदर अस्पताल की स्वास्थ्य प्रबंधक सिंपी कुमारी, डॉ अनिल कुमार शर्मा, सदर अस्पताल के ओटी इंचार्ज डॉ सुधांशु सौरभ, जीएनएम अंशु कुमारी व ज्योति सुमन ने भाग लिया।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को अपनी कार्यशैली में सुधार के साथ गुणवत्ता पर रखना होगा विशेष ध्यान: सीएस
सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया क्वालिटी एश्योरेंस के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की सेवा, रोगी के अधिकारों का सम्मान, उपलब्ध संसाधनों की समीक्षा, सहायक सेवाओं की उपलब्धता पर भी ध्यान देना जरूरी है। इसके साथ ही मुख्य रूप से ऑपरेशन थियेटर व प्रसव कक्ष के अंदर या आसपास सफ़ाई पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि अस्पताल परिसर पूरी तरह से संक्रमण मुक्त हो। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को अपनी कार्यशैली में सुधार के साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान देना पड़ेगा। ज़िले के सभी अस्पतालों को निजी अस्पतालों के समकक्ष लाने का लक्ष्य रखते हुए इस दिशा में हमारी टीम लगातार प्रयासरत है। नेशनल क्वॉलिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड प्रोग्राम के तहत सरकारी अस्पतालों में हर तरह की सुख सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है । सिविल सर्जन ने बताया कि सभी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज मिले, सुविधाएं और संसाधन भी आधुनिक हों इसके लिए अस्पताल को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड के मानकों पर खरा उतरना आवश्यक होता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सभी तरह के अस्पताल प्रशासन को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । अगर दिशा और दशा सुधर गई तो अस्पताल और मरीजों के लिहाज से काफी बेहतर हो जाएगा। इसमें विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सक और विशेषज्ञों सहित टेक्नीशियनों और नर्सिंग स्टॉफ की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण हो जाती है , क्योंकि इसमें प्रोसेसिंग, दस्तावेजों का संधारण, अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं पर बेहतर काम करना होगा। इसमें भवन, रिकॉर्ड्स, उपकरण पर भी फोकस करना होगा।
ज़िले के सभी अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा मुहैया कराना पहला लक्ष्य: डीपीएम
ज़िला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा राष्ट्रीय स्तर पर जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल, अनुमंडल स्तर पर अनुमंडलीय अस्पताल, रेफ़रल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज़ कराने के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने के बाद ही इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी। उसके बाद नई तकनीक वाले उपकरण आने से जिलेवासियों को ज़्यादा फायदा मिलेगा। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड का एसेसमेंट प्रशिक्षण के बाद स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी तरह की व्यवस्थाएं को पहले की अपेक्षा और ज्यादा दुरुस्त किया जाएगा। सभी जगह बिल्डिंग और उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता है। कुछ जगह कर्मचारियों की कमी की समस्या है लेकिन उसको भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। हर तरह के मानकों पर खरा उतरने की पहल शुरू कर दी गई है।
अस्पताल में मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए दिया गया प्रशिक्षण: डिटीएल
जिला स्तर पर केयर इंडिया के नेतृत्वकर्ता आलोक पटनायक ने तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण के संबंध में बताया कि नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्यूएएस) केंद्र सरकार एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया है। एनक्यूएएस प्रोग्राम के तहत अस्पताल में मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए कई तरह के मानक तय किए गए हैं। इनमें अस्पताल परिसर में साफ-सफाई, बायो-वेस्ट निस्तारण, मरीजों की देखभाल, संक्रमण की रोकथाम, ओपीडी में आने वाले मरीजों से चिकित्सक का व्यवहार, वार्ड में अवांछित गतिविधियों पर लगाम लगाना, मरीजों की निजता और चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण देना आदि शामिल हैं । इस योजना की निगरानी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी भी बनाई गई है। राज्य स्तर पर तीन कमेटियां इसके क्रियान्वयन पर नजर रखती हैं।
सदर अस्पताल परिसर में बराबर कराई जाती है सफाई: सिंपी
सदर अस्पताल की अस्पताल प्रबंधक सिंपी कुमारी ने बताया सदर अस्पताल में ज्यादातर ग़रीब और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे एक मरीज के साथ कम से कम चार-पांच परिजन भी होते हैं। मरीज़ के परिजनों के द्वारा रोकने के बावजूद खाने का सामान, प्लास्टिक, कपड़ा या कागज को यत्रतत्र फेंक दिया जाता है जिससे अस्पताल में बहुत गंदगी हो जाती है हैं। अस्पताल में सुबह से लेकर शाम तक हमारे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व सफाई कर्मियों के द्वारा अस्पताल की नियमित साफ-सफाई की जाती है , जिससे लोगों में संक्रमण की समस्या न हो और उन्हें स्वास्थ्य समस्या न उठानी पड़े।
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