राष्ट्रनायक न्यूज

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मौसम के बदले मिजाज से तेलहनी और दलहनी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को किसान चिंतित

मौसम के बदले मिजाज से तेलहनी और दलहनी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को किसान चिंतित

संजय कुमार सिंह की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

बनियापुर (सारण)। बिगत दो दिनों से मौसम के बदले मिजाज को देख किसान चिंतित दिख रहे है। आसमान में बादल छाए रहने के साथ- साथ पुरवा हवा चलने की वजह से लाही (पौधों को हानि पहुँचने वाले कीट) का प्रकोप बढ़ गया है। ऐसे में तेलहनी और दलहनी फसलो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को लेकर किसान अपने को असहज महसूस कर रहे है। हालाँकि जिन किसानो ने सरसो की अगात बुआई की है, उनकी सरसो की फसल में दाने लगने प्रारंभ हो गए है। मगर धान की कटनी करने के बाद तेलहनी फसलो की देर से बुआई करने वाले अथवा बहुफसली बिधि के तहत गेहूँ की फसल के साथ सरसो की बुआई करने वाले किसानो को इस बात की चिंता सता रही है की अभी -अभी सरसो के पौधों में फूल लगनी शुरू हुई है। ऐसे में पुरवा हवा चलने की वजह से लाही गिरने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। लंबे समय से कृषि कार्य में अनुभव रखने वाले संघर्षशील किसान मदन सिंह, बाबूलाल राय, पशुपतिनाथ सिंह, अजय सिंह आदि ने बताया की लाही के प्रकोप से पौधे सुख जाते है और उनमे लगे दाने काले पड़ जाते है। जो किसी कम के नहीं रहते है। इस मौसम में तेलहनी और दलहनी फसलों के बेहतर उत्पादन के लिये नियमित रूप से धूप खिलने के साथ-साथ पछुआ हवा का चलना उपयुक्त माना जाता है। कई किसानों ने बताया कि इधर मौसम दोरस होने से खरपतवारी नाशी दवाओं के छिड़काव कार्य पर भी विराम लग गया है। जिससे रवि फसलों में खरतवार में बृद्धि हो रही है। वही कुहासे के प्रभाव से आलू की फसल को भी क्षति होने की बात बताई जा रही है। मौसम प्रतिकूल होने की वजह से ज्यादातर किसान आलू के पौधों पर समय से फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव नहीं कर सके। जिस वजह से आलू की लती (पौधे) जलने से फसल काफी प्रभावित हुई है। जिससे किसानों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। वही आगात आलू की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि जो कुछ उत्पादन हुआ है। उसका भी उचित मूल्य नहीं मिल पाने से परेशानी उठानी पड़ रही है।