राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

पूर्णिया सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत सहित कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की हुई गहन जांच

पूर्णिया सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत सहित कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की हुई गहन जांच

  • अस्पताल के प्रसव रूम, ओटी, मेटरनिटी वार्ड, एसएनसीयू, सहित कई अन्य सुविधाओं की दो सदस्यीय टीम ने की जांच
  • अस्पताल स्थित प्लेटिनम प्रमाणित प्रसव केंद्र का राज्य स्तरीय टीम ने किया निरीक्षण
  • वर्ष 2018 में ही सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष का किया जा चुका है लक्ष्य प्रमाणीकरण
  • सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव को लेकर हो रही सार्थक पहल

पूर्णिया (बिहार) राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से लक्ष्य  कार्यक्रम के तहत प्रमाणीकरण के रूप में सदर अस्पताल स्थित प्रसव केंद्र को प्लेटिनम अवार्ड से वर्ष 2018 में सम्मानित किया जा चुका है। उसके रख रखाव की अद्दतन स्थिति के भौतिक निरीक्षण के लिए राज्य स्तरीय टीम ने गहन जांच की है। दो सदस्यीय टीम ने अस्पताल के प्रसव रूम, ओटी, मेटरनिटी वार्ड, एसएनसीयू, आयुष्मान भारत सहित कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की जांच की। इस टीम में आयुष्मान भारत के निदेशक (ऑपरेशन) आलोक रंजन एवं लक्ष्य सर्विलांस अंकेक्षक सह पीएमसीएच के चिकित्सक डॉ उमा शंकर मुख्य रूप से शामिल थे। मौके पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा, सदर अस्पताल स्थित एएनएम स्कूल की प्राचार्या मिनर्वा, लक्ष्य इनिसिएटिव सह यूनिसेफ के डिविजनल कंसल्टेंट शिवशेखर आनंद, केयर इंडिया के डिटीएल आलोक पटनायक, सदर अस्पताल की स्वास्थ्य प्रबंधक सिंपी कुमारी सहित कई अन्य भी थे। प्रसव से जुड़ी सेवाओं को बेहतर करने का लगातार प्रयास-टीम के सदस्य डॉ उमा शंकर ने बताया सदर अस्पताल स्थित प्रसव केंद्र में पहले से ही संस्थागत प्रसव को लेकर कई तरह के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिसके आलोक में स्थानीय स्तर पर प्रसव से जुड़ी सेवाओं को बेहतर करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए केयर इंडिया, यूनिसेफ़ के अलावा ज़िला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा लगातार निरीक्षण किया जाता और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए जाते हैं। टीम के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के अलोक में ज़िला स्वास्थ्य समिति के अधिकारी व कर्मी संस्थागत व सुरक्षित प्रसव को लेकर पूरी तरह से सजग रहते हैं। इस अवसर पर स्टाफ नर्स डिंपल कुमारी, अंशु कुमारी, गुलशन कुमारी, सबिता कुमारी, अर्चना कुमारी, प्रेमलता कुमारी, सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी उपस्थित थे।

प्रसव रूम, ओटी, मेटरनिटी वार्ड, एसएनसीयू, आयुष्मान भारत सहित कई अन्य सुविधाओं हुई गहन जांच: डॉ उमा शंकर

प्रसव गृह, ओटी, मेटरनिटी वार्ड सहित कई विभागों के निरीक्षण को आये लक्ष्य सर्विलांस अंकेक्षक सह पीएमसीएच के चिकित्सक डॉ उमा शंकर ने बताया सदर अस्पताल परिसर स्थित प्रसव केन्द्र का पहले से ही लक्ष्य प्रमाणीकरण हो चुका है, लेकिन उसका समय- समय पर निरीक्षण किया जाता है ताकि उसकी अद्दतन जानकारी मिलती रहे। यह पता चल सके कि पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हो रही हैं की नही। इस दौरान संस्थागत व सुरक्षित प्रसव के लिए उपलब्ध संसाधनों का काफ़ी गहनता पूर्वक निरीक्षण किया गया। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की आवश्यक फाइलों की गहन जांच की गयी। अस्पताल के अधिकारियों व कर्मियों से लक्ष्य प्रमाणीकरण से संबंधित सभी तरह के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। निरीक्षण के दौरान लेबर रूम से संबंधित फाइलों की भी अद्यतन जानकारी ली गई है। इसके लिए स्टाफ़ नर्स एवं स्वास्थ्य कर्मियों को पहले से बेहतर कार्य करने के साथ ही आने वाले मरीज व परिजनों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने की जिम्मेदारी भी दी गई है। आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा गया कि प्रसव के दौरान मग्सल्फ़, कैल्सियम ग्लूकोनेट, डेक्सामेथासोन, एम्पीसिलिन, जेन्टामाइसीन, मेट्रोनिदाजोल, हाइड्रोकोरटीसोन सक्सीनेट, नेफीदेपिन, मिथाइलडोपा जैसी दवाओं की आपूर्ति की उपलब्धता हर हाल में होनी चाहिए।

लक्ष्य द्वारा प्रमाणीकरण होने के बाद सुरक्षित प्रसव को मिलता हैं बढ़ावा: आलोक रंजन

आयुष्मान भारत निदेशक (ऑपरेशन) आलोक रंजन ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान मरीजों के द्वारा सबसे ज्यादा सरकारी अस्पताल का चयन किया गया है। क्योंकि निजी नर्सिंग होम या चिकित्सकों के प्रति जो विश्वास था वह इस काल में समाप्त हो चुका है। सबसे ज्यादा सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक, नर्स व कर्मचारियों के प्रति विश्वास बढ़ा है। लक्ष्य कार्यक्रम का मूल उद्देश्य यह होता है कि प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना और इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में पहले की अपेक्षा सुधार लाना होता है। जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिहाज से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे तो सदर अस्पताल स्थित प्रसव केंद्र में पहले से ही बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके बावजूद समय-समय पर लक्ष्य प्रमाणीकरण वाले अस्पताल का भौतिक सत्यापन किया जाता है। इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर व प्रसूता के लिए बनाये गए एसएनसीयू की  गुणवत्ता में सुधार लाना है।

अस्पताल प्रबंधन द्वारा संस्थागत प्रसव को लेकर किया जाता है  सार्थक पहल: आरपीएम

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा ने बताया लक्ष्य योजना के तहत भारत सरकार द्वारा प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण के लिए अलग से व्यवस्था की गयी है। जो मानक स्तर पर प्रसव से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद ही दी जाती हैं। हालांकि सदर अस्पताल स्थित प्रसव गृह को लगभग तीन वर्ष पूर्व ही प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन राज्य स्तरीय टीम के द्वारा साल में एक बार भौतिक सत्यापन के लिए टीम का गठन कर निरीक्षण किया जाता है। टीम के द्वारा अस्पताल स्तर पर क्वालिटी सर्किल टीम, जिला स्तर पर जिला गुणवत्ता यकीन समिति, रिजनल स्तर पर रिजनल कोचिंग टीम के स्तर से निरीक्षण के बाद ही निर्धारित मानकों के आधार पर कम से कम 70 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त होने के बाद इसे राज्य स्तर पर मान्यता  के लिए भेजा जाता है। इसके ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम के द्वारा प्रसव कक्ष और ओटी के निरीक्षण के बाद ऑडिट की  जाती  है। मुख्यालय के टीम द्वारा विभिन्न मानकों के निरीक्षण में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए। तभी राज्यस्तरीय टीम के द्वारा उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करती है। कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है।