- हाईड्रोसील के मरीजों का सर्वें कराकर मिशन मोड में होगा ऑपरेशन
- सिविल सर्जन ने जारी किया आदेश
छपरा। छपरा में अब हाइड्रोसील के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगे दर ऑपरेशन करने से छुटकारा मिलेगा। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पहल शुरू कर दी है। जिले के पांच सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को चिन्हित किया गया है। जहां पर हाइड्रोसील के मरीजों का निशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। छपरा सदर अस्पताल में सदर प्रखंड, रिवीलगंज, जलालपुर, लहलादपुर, बनियापुर, नगरा, गरखा स्वास्थ्य केंद्र के मरीजों का सर्जरी होगा। सदर अस्पताल में सर्जन डॉ अश्वनी कुमार, डॉ अखिलेश्वर कुमार, डॉ स्वेत शिखा के द्वारा ऑपरेशन किया जायेगा। अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर में सोनपुर, दरियापुर, दिघवारा के मरीजों का ऑपरेशन होगा। यहाँ सर्जन डॉ शशांक सौरभ और डॉ सौम्या को जिम्मेदारी दी गयी है। वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों परसा में परसा, मकेर, अमनौर स्वास्थ्य को सबंद्ध किया गया है। यहाँ पर डॉ सुमन कुमार ऑपरेशन करेंगे। रेफरल अस्पताल मढ़ौरा को मढ़ौरा, मशरक, तरैया, पानापुर, इसुआपुर को टैग किया गया है। यहाँ सर्जन डॉ कृष्ण चंद्र और डॉ चंदन कुमार सर्जरी करेंगे। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मांझी को भी हाईड्रोसील के मरीजों के ऑपरेशन के लिए चयन किया गया है। यहाँ मांझी और एकमा के मरीजों का ऑपरेशन होगा। सर्जन डॉ आशुतोष कुमार को जिम्मेदारी दी गयी है।
मिशन मोड में होगा मरीजों का ऑपरेशन
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिले में फाइलेरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हाईड्रोसील के मरीजों का ऑपरेशन के लिए मिशन मोड में अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। ऑपरेशन के लिए 5 स्वास्थ्य संस्थानों को चिन्हित किया गया है जहां सर्जन के द्वारा ऑपरेशन होगा। इस अभियान में डेवलपमेंट पार्टनर पिरामल स्वास्थ्य, सिफार का भी सहयोग लिया जायेगा।
मरीजों का होगा सर्वें
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में हाईड्रोसील के मरीजों का सर्वें कर चिन्हित किया जायेगा और चिन्हित स्वास्थ्य संस्थानों पर सर्जरी सुनिश्चित किया जायेगा। सर्वें के लिए आशा कार्यकर्ता, बीसीएम और केटीएस को जिम्मेदारी दी गयी है।
दो प्रकार का होता है हाइड्रोसील
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि हाइड्रोसील मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। जिसमें पहला कम्युनिकेटिव जबकिं दूसरा नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील शामिल हैं। कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील होने पर अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती है और इसमें सूजन एवं दर्द होता है। हर्निया से पीड़ित मरीज में कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील का खतरा अधिक होता है। वहीं नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली बंद होती है और बचा हुआ द्रव शरीर में जमा हो जाता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में अधिक देखने को मिलता है और कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।
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