गेहुँ, सरसों और, आलू की तैयार फसल से किसानों के चेहरे खिलें, सरकारी स्तर खरीद का प्रबंध नहीं होने से उठाना पड़ता है भारी नुकसान
संजय कुमार सिंह की रिर्पोट। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। बसंत पंचमी के बाद से मौसम में बदलाव होने से किसान भाई इन दिनों काफी उत्साहित दिख रहे है। पूजा पाठ बितने के बाद किसान दोगुने उत्साह के साथ अपने खेतो की ओर रुख कर कृषि कार्य मे जुट गए है। फिलवक्त किसान भाई गेहुँ की फसल में दूसरी सिंचाई को लेकर व्यस्त है।साथ ही खेतो में यूरिया और खरपतवार नाशी दवाओं के छिड़काव को लेकर किसान जी जान से जुटे हुए है। वही वसंत ऋतु में सरसों की लहलहाती फसल को देख किसान गदगद है।
मौसम साफ होने से किसानों में देखी गई खुशी:
दिन खुलने के साथ ही बुधवार से मौसम साफ होने से किसान भाई प्रसन्न दिख रहे है। अनुभवी किसानों का कहना है कि फिलवक्त सरसों और अरहर के पौधों में फूल लगे है। ऐसे में पछुआ हवा चलने से लाही का प्रभाव समाप्त होगा और पौधों में दाने पुष्ट होंगे। वही रवि के प्रमुख फसल गेहुँ में भी सर्द समाप्त होने से तेजी से बृद्धि होगी।हालांकि इस बार देर से बुआई होने के कारण अबतक गेहुँ के पौधों में आशा के अनुरूप बृद्धि नही हो पाई है। मगर अब मौसम में बदलाव से किसानों में गेहूं को लेकर बेहतर उपज की उम्मीद जगी है।
आलू की फसल तैयार,कीमत में आई गिरावट:
अगात आलू की खेती करने वाले किसानों की फसल करीब-करीब तैयार है। देर से बुआई करने वाले कुछ किसानो को छोड़ दे तो,लगभग किसानो के आलू के फसल तैयार हो चुके है। ऐसे में आलू की कीमत में तेजी से गिरावट आई है। कल तक जो किसान सब्जी के लिये 45-50 रुपये प्रति किलोग्राम आलू खरीदकर ला रहे थे। अब वही किसान अपनी उपजाई गई आलू को महज 09-10 रुपये प्रति किलोग्राम बेंचने को मजबूर है। हालांकि ठंड और पल्ला के बावजूद भी इस बार आलू की फसल काफी कम स्तर पर प्रभावित हुई है। किसानों की माने तो आलू की अगात खेती करने वाले किसानो को ज्यादा लाभ होने की बात बताई जा रही है। जबकि देर से बुआई करने वाले किसानो को इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है।
सरकारी स्तर पर समय से फसलो की खरीददारी नहीं होने से किसानों को उठाना पड़ता है, भारी नुकसान:
किसानों की तैयार फसल का सरकारी कार्य केंद्रों पर समय से खरीददारी शुरू नही होने से काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों ने बताया कि वर्तमान वितीय वर्ष में बिभागीय घोषणा के एक पखवाड़े बाद धान की खरीददारी तो शुरू हुई। मगर भुगतान की रफ़्तार मंद होने से ज्यादातर किसानों को कृषि कार्यो के निबटारे के लिये अपने फसल को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा। किसान मदन सिंह ने बताया कि सरकारी कार्य केंद्र पर धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। मगर मध्य दिसम्बर तक खरीददारी शुरू नही होने से महज 1000-1100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यपारियों के हाथ बिक्री कर कृषि कार्यों को निबटाना पड़ा।
केसीसी योजना के तहत ऋण मिलने में होती है, परेशानी:
किसानो ने बताया की समय पर कृषि कार्य संपन्न करने को लेकर किसानो के समक्ष पूंजी का अभाव न हो को लेकर सरकार द्वारा बैंको के माध्यम से किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया जाता है। जिसके लिये समय-समय पर प्रखण्ड मुख्यालय में शिविर का भी आयोजन किया जाता रहा है। मगर बैंककर्मियो की शिथिलता की वजह से ज्यादातर जरूरतमंद किसानो को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ज्यादातर किसानो ने बताया की सभी अहर्ता पूरा करने के बाद भी बिना नजराना दिये योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।नतीजतन किसानो को थक-हारकर ऋण के लिये साहूकारों के चुंगल में फसना पड़ता है।जहाँ व्याज सहित रकम चुकाने में कई बार किसानो को फजीहत भी झेलनी पड़ती है।
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