ईपीएफ में जमा सीमा के फैसले पर पुनर्विचार नहीं
नई दिल्ली, (एजेंसी)। सरकार ने साफ किया है कि बजट में ईपीएफ में ढाई लाख से ज्यादा सालाना जमा करने के बाद मिलने वाले ब्याज को टैक्स दायरे में लाने के फैसले में कोई बदलाब नहीं किया जाएगा। उसका मानना है कि इससे लगभग एक फीसद लोग ही प्रभावित होंगे, लेकिन उन लोगों पर रोक लग सकेगी जो एक से दो करोड़ रुपए तक इसमें निवेश कर साढ़े आठ फीसद का तयशुदा ब्याज लाभ ले रहे थे। आम बजट के बाद बजट के प्रावधानों को लोगों को समझाने में जुटी सरकार उसके विभिन्न मुद्दों पर संवाद कर रही है। वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारी के अनुसार सरकार कृषि उपकर लगाए जाने से एपीएमसी मंडियों को बढ़ावा मिलेगा और संबधित कृषि ढांचा मजबूत होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे राज्यों का राजस्व कम नहीं होगा। पेट्रोल डीजल समेत पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों हो रही बढ़ोतरी पर सरकार का मानना है कि इससे मिलने वाले राजस्व से केंद्र व राज्य दोनों को लाभ मिलता है। हालांकि केंद्र का हिस्सा फिक्स है, जबकि राज्यों का हिस्सा बढ़ता रहता है। कीमतों के बढ़ने पर राज्यों का हिस्सा बढ़ता है। पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर कि इससे टैक्स कम होने से लोगों को लाभ भी मिलेगा, सरकारी पदाधिकारी ने कहा कि यह फैसला जीएसटी परिषद को लेना है, जिसमें राज्यों की सहमति जरूरी है।


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