राष्ट्रनायक न्यूज

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यूपी-बिहार में आधा दर्जन से अधिक बड़े दैनिक अखबार का संपादक रह चूके प्रसिद्ध विद्वान परमार अखिलेश का निधन, लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविदों में शोक

अरूण विद्रोही की रिर्पोट। राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण)। यूपी-बिहार में करीब आधा दर्जन से अधिक दैनिक अखबार में संपादक, उप संपादक एवं डेस्क इंचार्ज रह चुके प्रसिद्ध विद्वान पत्रकार राणा प्रमाण अखिलेश का असामयिक निधन हो गया है। उनके निधन से सारण प्रमंडल समेत बिहार यूपी के विभिन्न जिलों के लेखक पत्रकार साहित्यकार एवं शिक्षाविदों में शोक की लहर है। उनके निधन से पत्रकारिता एवं लेखन के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। वे वर्तमान में छपरा संस्करण मैं दैनिक भास्कर से जुड़कर पत्रकारिता के हुनर को चार चांद लगा रहे थे। लंबी बीमारी से ग्रसित होने के कारण उनका वैशाली जिले की हाजीपुर स्थित एक निजी अस्पताल में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। जानकारी के अनुसार कई महीनों से गॉलब्लैडर में स्टोन एवं जॉन्डिस की शिकायत थी, जिसका इलाज चिकित्सक से चल रहा था। इसी क्रम में गुरुवार को हाजीपुर चिकित्सक से दिखाने के लिए गए थे, जहां चिंताजनक स्थिति होने पर अस्पताल में भर्ती कर इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही शुक्रवार को करीब 10:00 बजे हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। मृत्यु की सूचना मिलते हैं सारण प्रमंडल समेत विभिन्न जिलों के पत्रकार, लेखक एवं साहित्यकारों में शोक व्याप्त हो गया। वे लगभग 61 वर्ष के थे। बता दें कि स्व. श्री परमार का काफी समय से दिघवारा की धरती से एक कर्मभूमि के रुप में लगाव रहा है। वह स्वतंत्रता सेनानी व दिघवारा म्यूनिसिपैलिटी के फाउंडर चेयरमैन रामचंद्र सिंह पथिक व रामजंगल सिंह इंटर कॉलेज के संस्थापक सचिव अशोक सिंह के काफी समय तक सन्निकट रहे और उन्हें स्नेह मिला है। साथ हीं रामजंगल सिंह काॅलेज में हिन्दी विभाग में कई वर्षों तक प्रोफेसर रहे इसके बाद विभागाध्यक्ष भी बने। वहीं इग्नू के अध्ययन केंद्र वाईएन कॉलेज, दिघवारा में कौंसलर, सृजनात्मक लेखन, विश्व संवाद केंद्र के पत्रकारिता प्रशिक्षक भी रहे। फिलहाल गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बाद कॉलेज से धीरे-धीरे दूरी बना लिये।

कई पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि

प्रसिद्ध विद्वान स्वर्गीय श्री परमार जी के निधन पर वरिष्ठ पत्रकार अमन कुमार सिंह, नागमणि महाराज व युवा पत्रकार के.के. सिंह सेंगर, अरूण विद्रोही, संजय पाण्डेय, अयुब रजा, संजीव शर्मा, संजय कुमार सिंह, पंकज कुमार सिंह, विकास कुमार, सुभाष प्रसाद, नित्यानंद प्रसाद, अनुज प्रतिक, विपिन कुमार, संत मुरारी स्वामी, मलय कुमार सिंह, अखिलेश कुमार, अखिलेश्वर पाण्डेय, संजय सिंह सेंगर, धर्मेन्द्र कुमार, आशिफ खान, सत्येन्द्र कुमार सिंह, मृतुंजय तिवारी, नीरज शर्मा, पंकज कुमार मिश्रा, राहुल कुमार सिंह, संजीत कुमार, अजय कुमार, सचिन सिंह राजपूत, पवन कुमार सिंह, धर्मेन्द्र जी, राकेश कुमार सिंह, कवि ए एच अंसारी जी, अजय कुमार, सहित दर्जनों पत्रकार ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पत्रकारिता जगत सहित व्यक्तिगत उन्हें परमार जी की असामयिक निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। उधर पंचायत निकाय विधान परिषद के भावी प्रत्याशी सुधांशु रंजन ने कहा कि प्रसिद्ध विद्वान एवं पत्रकार राणा परमार अखिलेश जी के निधन से मुझे व्यक्तिगत क्षति हुई है। उनके निधन की सूचना मिलने से सदमे में है। उन्होंने श्री परमार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहां की श्री परमार मेरे लिए आजीवन आदर्श बने रहेंगे।

पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए कई बार हुए है पुरस्कृत

स्व. श्री परमार जी को लेखक, पत्रकारिता बेहतर कार्य के लिए वर्ष 2012 में भिखारी ठाकुर सम्मान, सांस्कृतिक पत्रकारिता के लिए मिला था। इसी प्रकार 2013 में साहित्य सृजन व पत्रकारिता के लिए दिघवारा वैश्य समाज सम्मान, 2016 में सारण रत्न सम्मान के अलावा अंजुमन तरक्की -ए-उर्दू वाराणसी द्वारा हबीब-ए उर्दू खिताब से नवाजा गया था।

गड़खा के भूईगांव बसंत गांव के निवासी थे परमार अखिलेश

प्रसिद्ध लेखक व पत्रकार राणा प्रमाण अखिलेश मूलतः सारण जिले के गड़खा प्रखंड के भूईगांव बसंत गांव निवासी व शिक्षाविद, कवि, लेखक डॉ. राजेश्वर सिंह राजेश के आंगन में परमार जी का जन्म 8 अप्रैल 1961 को हुआ। वह हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर की शिक्षा बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर व बीपीएड, अमरावती विद्यापीठ, अमरावती (महाराष्ट्र) से शिक्षा ग्रहण किए। दिघवारा स्थित राम जंगल सिंह इंटर कॉलेज में अध्यापन के अलावा, बिहार सहित यूपी व उतराखंड के विभिन्न जनपदों में पत्रकारिता के शीर्ष पदों को सुशोभित किए।

इन अखबारों में कर चूके हैं कार्य

जानकारी के अनुसार 1985 से 1990 तक पटना से प्रकाशित हिन्दी दैनिक नवभारत टाइम्स, पाटलिपुत्र टाइम्स, जनशक्ति, दैनिक आज आदि समाचार पत्रों के लिए संवाददाता रहे। 1991 में दैनिक जनवार्ता (वाराणसी, उ.प्र.) में प्रशिक्षु उप संपादक सहित वाराणसी नगर में संवाद संकलन व संपादन भी किए। वह 1992 में सान्ध्य दैनिक समाचार ज्योति (वाराणसी, उ. प्र.) में मुख्य नगर संवाददाता तथा उर्दू दैनिक तनवीरे-नव का समाचार संपादक सन् 1995 तक किए। 1996 से 1997 तक दैनिक हमारा फ़ैसल (सहारनपुर, उप्र) में मुख्य उपसंपादक रहे। 1998 से 2002 तक दैनिक जागरण, देहरादून (उतराखंड) में उप संपादक (प्रादेशिक डेस्क), दैनिक जागरण, आगरा (उप्र) में उप संपादक, (जनरल डेस्क, प्रथम पृष्ठ), नगर संवाददाता, हरिद्वार, रुड़की में रहे। सन 2004 से 2017 तक दैनिक जागरण, पटना (बिहार) के लिए लिए भी संवाद संकलन, संपादन और प्रेषण किए। संप्रति: दैनिक आज, दैनिक जनादेश एक्सप्रेस, पवित्र भारत, दस्तक प्रभात, सन्मार्ग, हमारा मैट्रो, न्यूज सबकी पसंद, परिधि समाचार, जनमत की पुकार, नव बिहार दूत, दैनिक भारत, संजीवनी समाचार सहित वेब पोर्टल श्रीनारद मीडिया, अम्बालिका न्यूज, राष्ट्रनायक न्यूज़, दैनिक खोज खबर, न्यूज फैक्ट, आईडिया सिटी, प्रत्येक न्यूज, पाठक न्यूज आदि के लिए अवैतनिक व अंशकालिक समाचार संकलन व प्रेषण के अलावा समय प्रसंग (हिन्दी मासिक), यूथ आइडल (हिन्दी मासिक), पारस (हिन्दी मासिक) में अवैतनिक संपादक रहे।

एक नजर में पुरस्कार और सम्मान:

  • सम्मान: भिखारी ठाकुर सम्मान 2012,
  • सांस्कृतिक पत्रकारिता के लिए
  • 2013 में साहित्य सृजन व पत्रकारिता के लिए दिघवारा वैश्य समाज सम्मान
  • सारण रत्न सम्मान 2016
  • अंजुमन तरक्की- ए-उर्दू वाराणसी द्वारा हबीब-ए उर्दू खिताब
मेरी नजर में : “माैत जीवन का पड़ाव है, अंतिम सत्य है। लेकिन आप छाेड़ कर बीच मझधार में यू चले गये। ये न ताे मुझे अभी विश्वास हाे रहा है न आगे कभी हाेगा। मेरे शब्द लड़खड़ा रहे हैंं। मैं अभिव्यक्त नहीं कर रहा हूं भईया। वैसे तो आप सारण नहीं बल्कि पत्रकारिता जगत के गुरु थे। आपने मुझे कलम पकड़ना सिखाया। जीवन में उतार-चढ़ाव में भी जीना सिखाया। ये ऋण मैं कभी नहीं चुका पाउंगा। दैनिक भास्कर में जब मैं आया तो आपका शुरु से आज तक  मार्गदर्शन मिलता रहा। कार्यालय के कार्य से निवृत होने के बाद आधी रात तक घंटों दुनिया और साहित्य या किसी अन्य विषय पर आपसे बाचीत हर रोज होना, यह मुझे काफी खलेगी। काश!…..वह वक्त ठहर गया होता। आपकी हृदय गति नहीं रुकती। दुनिया को मैं क्या बताऊं….सुबह मांगा तो ग़म का अंधेरा मिला, मुझको रोता सिसकता सवेरा मिला……….आप मेरा आजीवन आदर्श रहेंगे। बस एक बात जरुर ….दिल में यादों की नश्तर की चादर पर एक तमन्ना हमेशा दिल में मसलती रहेगी…………………….………अफसोस…राणा परमार अखिलेश भैया अब नहीं रहे।”
अमन कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ, दैनिक भास्कर, छपरा कार्यालय