- गड़खा हनुमान नगर में 27 वां वार्षिक सत्संग सम्मेलन संपन्न
- पांच दिनों तक भक्ति सागर में खूब गोता लगाए भक्तगण
मृतुंजय तिवारी की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
गड़खा (सारण)। एकाग्रता से ही संपूर्ण आनंद प्राप्त हो सकता है। दु:खों से भरी इस दुनिया में वास्तविक संपत्ति धन नहीं संतुष्टता है। उक्त बातें यूपी के बाल संत अद्वैत वेदांत मणि शांडिल्य ने गड़खा हनुमान नगर में आयोजित 27 वें वार्षिक सत्संग सम्मेलन में सुधि श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि भक्ति के आगे छल कपट नहीं लता। विवेक की खोज है सत्संग। संत वैराग्यानंद जी महाराज ने कहा कि युक्ति से मुक्ति मिलती है।जीवन में भक्ति की भूख जगनी चाहिए। रोग की प्रेरणा से रोगी डाक्टर के पास जाता है। जीवन में संयोग व वियोग दोनों होनी चाहिए।बेटी के लिए संयोग व वियोग होना होनी चाहिए। विग्यान विकास कर रहा है मगर आंख बंद करके। विद्याभूषण महाराज ने कहा कि रामकथा केवल भूतकाल को ही उजागर करती है।यह कथा मानव जीवन के वर्तमान रूप को भी प्रकाशित करती है। इस दिब्य कथा में मानव जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी बताया गया है। समाज को सुन्दर,सुव्यवस्थित व सुशांत बनाने वाला साधन रामकथा के समान दूसरा कुछ नहीं है। सारण की कथा वाचिका सुश्री प्रिया प्रभाकर, रामायणी मीरा सिन्हा, शत्रुघ्न दास, सर्वानंद महाराज ने अपने कथा से श्रोताओं को अह्लादित कर दिया।कीर्तनकार रामप्रवेश सिंह कीर्तन सम्राट पवन कुमार तिवारी की मनोरम झांकी आकर्षण के केन्द्र रहे। मंच संचालन राजेश उपाध्याय व धन्यवाद ज्ञापन राधाशरण सिंह ने किया।
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