राष्ट्रनायक न्यूज

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3 मार्च से 10 मार्च तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया निर्णय

  • 32 लाख बच्चों को कुपोषण दूर करने के लिए एक वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
  • पोषक क्षेत्रों में बच्चों को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली

पूर्णिया (बिहार)। 26 फरवरी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार व समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद के द्वारा संयुक्त रूप से जारी पत्र के आलोक में बिहार के 01 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम पूर्णिया सहित 12 अन्य ज़िलों में 3 से 10 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। कम उम्र के बच्चों में कुपोषण को दूर करने व खून की कमी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की कृमि से मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी। अधिकांश बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित हो जाती है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाने वाले 01 से 05 वर्ष तक के लक्षित बच्चें व स्कूल जाने वाले 06 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। कार्यक्रम के दौरान वैश्विक महामारी कोविड-19 द्वारा निर्गत आवश्यक दिशा-निर्देशों जैसे- कम से कम 6 फीट की सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का प्रयोग, सैनिटाइजर का उपयोग करना अतिआवश्यक होगा। सदर अस्पताल स्थित डीआईओ सभागार में टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा, डीआईओ डॉ सुभाष चंद्र पासवान, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ सुरेंद्र दास, ज़िला पंचायती राज पदाधिकारी, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, डब्ल्यूएचओ के जोनल समन्वयक डॉ दिलीप कुमार, आईसीडीएस की डीपीओ शोभा रानी, यूएनडीपी के वीसीसीएम सोमेश सिंह, ज़िले के सभी एमओआईसी, सीडीपीओ, बीएचएम, बीसीएम, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, सहित कई अन्य स्वास्थ्य विभाग व आईसीडीएस के अधिकारियों ने भाग लिया।

03 से 10 मार्च तक को मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, चलाया जाएगा विशेष अभियान: सीएस

सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया पूर्णिया सहित 13 अन्य जिलों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले 01 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता एवं विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षित शिक्षकों की निगरानी में सभी विद्यालयों में दोपहर में भोजनावकाश के समय बच्चों को कृमि नाशक दवा खिालाई जाएगी। इस दवा के सेवन से वंचित रहने वाले बच्चों को चिह्नित कर उन्हें विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाकर दवा खिलाई जाएगी।

दवा का सेवन कराते समय बरतनी होगी यह सावधानी: डीआईओ

ज़िले के सभी प्रखंडों में लगभग 32 लाख बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी हैं। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा और वह नियमित रूप से दवा खा रहा है, जिसमें कोई भी बच्चा सर्दी ,खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलानी है। साथ ही अगर कोई बच्चा वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आया है तो इसकी पुष्टि करनी पड़ेगी। उन बच्चों को दवा नहीं खिलानी हैं। 01 से 02 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चुरा बनाकर पानी के साथ, 02 से 03 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चुरा बनाकर पानी के साथ तथा 03 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलाया जाना सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का मुख्य उद्देश्य:

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए ज़िले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा (कृमि नाशक) देना है।

पेट में कीड़ा होने से कुछ पल के लिए पड़ सकता हैं प्रतिकूल प्रभाव:

सबसे अहम बात यह हैं कि दवा खिलाने वाले कार्यकर्ता अपने ही सामने बच्चों को चबाकर दवा खिलाएंगे। जिन बच्चों के पेट में कीड़े की अधिकता होगीं उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली सा लक्षण देखने को मिलेंगे। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे ही दवा खाने के बाद जी मचलना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान जैसे महसूस हो सकता है , लेकिन इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव दिखाई पड़ सकता है। इस दौरान बच्चों को आराम करने की सलाह देने के साथ ही उसे बिस्तर पर सोने को कहें। उसके बाद 10 मिनट में ही समस्या अपने आप दूर हो जाएगी।