राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

संस्कृत और कम्प्यूटर विषयक ववेबिनार में बोले डॉ सुभाष चंद्र, संस्कृत से प्रोग्रामिंग सीखना आसान

नई दिल्ली, (एजेंसी)। संस्कृत व्याकरण एवं कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के बीच बहुत अधिक समानताएं हैं। संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी की संरचना एवं इसके अनुदेश बिल्कुल वैसे हैं जैसे आजकल किसी भी उच्च स्तरीय कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा में होती है। इसमें सूत्रों का प्रयोग एवं अन्य विशेषताएं इसे कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के अत्यन्त करीब बताती हैं। तकनीकी शब्दों का प्रयोग, अधिकार की अवधारणा, सूचना निरूपण, डेटाबेस की अवधारणा, अनुवृत्ति की अवधारणा, डोमेन विशिष्ट भाषा की अवधारणा, एकाधिक मॉड्यूल की अवधारणा आदि प्रमुख विशेषताएं हमें किसी भी कम्प्यूटर प्रोग्राम में भी देखने को मिलती हैं यह बात दिल्ली विश्वविद्यालय के आचार्य डॉक्टर सुभाष चंद्र ने नेहरू नगर स्थित पी.जी.डी.ए.वी.(सान्ध्य) महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की संस्कृत परिषद् द्वारा 24 फरवरी को “संस्कृत और कम्प्यूटर” विषयक ववेबिनार में मुख्य वक्ता व अतिथि के रूप में कही।

कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि संस्कृत भाषा प्राचीन तो है ही साथ में आधुनिक भी है। हमें संस्कृत की प्राचीनता व नवीनता का सामंजस्य करना होगा तभी संस्कृत सर्वोपयोगी होगी। यह रोचक है वह लचीली भी है तभी तो संस्कृत का कोई भी शब्द आगे पीछे करने से अर्थ में परिवर्तन नहीं आता। इसीलिए इसे वैज्ञानिक कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम भाषा मानते हैं। डॉ. सुभाष ने कहा कि पाणिनि की संस्कृत व्याकरण की पुस्तक अष्टाध्यायी का स्ट्रक्चर कंप्यूटर के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें लगभग 4000 सूत्र हैं फिर भी किसी भी सूत्र में पुनरावृति नहीं है जैसे कि – ‘उपदेशेऽजनुनासिक इत् 1/3/2 के बाद’ हलन्त्यम्’ 1/3/3 है। यहां पर 1/3/3 में उपदेश व इत् ये पद अगले सूत्र 1/3/3 में भी ग्रहण किए जाएंगे परंतु पाणिनि द्वारा’ हलन्त्यम्’ 1/3/3 में वो पुन: नहीं लिखे गए अपितु उनको अनुवृत्ति के नियम से स्वीकार किया गया है। इन्होंने जावा,पाइथन,ू++ जैसी आधुनिक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा में संस्कृत भाषा के प्रयोग के विषय में विस्तृत जानकारी दी व बताया कि जो संस्कृत व्याकरण जानता है उसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने में आसानी होगी। कंप्यूटर में संस्कृत के महत्व को नासा के वैज्ञानिक रिकब्रिक्स ने 1985 में अपने लेख में बताया था।

वेबिनार का संचालन संस्कृत परिषद के संयोजक डॉ योगेश शर्मा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंकुर त्यागी ने किया। इस अवसर पर पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुरेश शर्मा, डॉ पुनीत चांदला, संस्कृत विभाग की डॉ श्रुति शर्मा, डॉक्टर रक्षिता की गणमान्य उपस्थिति रही। इनके अतिरिक्त हिंदी, राजनीति, गणित,बी.कॉम, अंग्रेजी,कंप्यूटर आदि विषयों तथा अन्य कॉलेज के आचार्य व छात्र भी उपस्थित रहे।

You may have missed