महावीर चौक अवस्थित डॉ शोभा सिंह के क्लिनिक में जच्चा बच्चा हुएं भर्ती
पंकज कुमार सिंह की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
मशरक (सारण)। कभी कही न कही आए दिन विचित्र बच्चों का जन्म हो रहा है।वही हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसका बच्चा पूरी तरह स्वस्थ पैदा हो लेकिन इस मां से एक ऐसा बच्चा मशरक पीएचसी में बुधवार की सुबह एक बच्चे का जन्म हुआ जिसे देख ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य महिला कर्मचारी डर गयी।वही परिजनों समेत जिसने भी देखा सभी ने आश्चर्य व्यक्त किया। बच्चे का एक आंख,एक कान और फटा नाक और फटा मुह हैं। बच्चे को देख इसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल छपरा रेफर कर दिया गया। लोगों में वह चर्चा का विषय बना रहा। परिजनों द्वारा गरीबी हालत देख उसे इलाज के लिए महावीर चौक बस स्टैंड के पास निजी क्लीनिक डॉ शोभा सिंह के पास ले गयी। महिला चिकित्सक ने महिला और बच्चे की हालत गंभीर रूप से देख इलाज जारी रखा। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित है।
मौके पर महिला चिकित्सक डॉ शोभा सिंह ने बताया कि बच्चे और मां की हालत लाने समय बेहद ही खराब थी जिसका इलाज किया गया।यह बीमारी हार्मोन की कमी और गर्भावस्था में खान पान और चिकित्सकीय जांच नही होने से होता है।वही परिजनों ने शर्मिंदगी से अपना परिचय नही दिया। महिला चिकित्सक शोभा सिंह ने बताया कि जीवन चक्र में मां की भूमिका सबसे बड़ा हैं यदि किशोरी स्वस्थ होगी तो परिवार भी स्वस्थ होगा। जैसे ही किशोरी या महिला को गर्भधारण करने की जानकारी मिले वो हिमोग्लोबिन (एचबी), एबीओ आरएच (ब्लड ग्रुपिंग) वीडीआरएल, यूरिन रूटीन, थाइरायड टेस्ट, शुगर टेस्ट व एचआइवी टेस्ट करवाएं । आठ से दस सप्ताह के बीच में पहला स्कैन होना जरूरी है। इसके बाद 16वें सप्ताह के बाद टेटनेस का टीका व लेवल-2 अल्ट्रासाउंड 17वें और 18वें सप्ताह में जरूर करवाना चाहिए। जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ है या नहीं। जबकि, 24 से 28वें सप्ताह के बीच में ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट व स्कैन जरूरी है। साथ ही गर्भ अवस्था के दौरान शिशु की मूवमेंट पर ध्यान रखना काफी जरूरी है। दिन में 12 घंटे में कम से कम दस बार शिशु का हिलना जरूरी है। वहीं तीनों समय के खाने के बाद बच्चा तीन बार मूव कर रहा है या नहीं, यह भी देखना चाहिए। अगर शिशु की मूवमेंट न महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से चेक करवाएं। गर्भावस्था के दौरान फल, सब्जियां, अनाज और कैल्शियम से भरपूर चीजें खाएं। बच्चे को आपके जरिये ही खाना पहुंचता है, इसलिए सेहतमंद खाने की कोशिश करें। तले हुए खाद्य पदार्थ लेने से बचें। हर दिन तीन बार खाना खाने की कोशिश करें। अगर आपको सीने में जलन की शिकायत (हार्ट बर्न) हो, तो थोड़ा-थोड़ा करके छह बार खाने की कोशिश करें। एनिमिया से बचने के लिए डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक आयरन के साथ पेरेंटल विटामिंस और फॉलिक एसिड लें, क्योंकि ये बच्चे को दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। दिन में कम से कम छह से आठ गिलास पानी जरूर पियें। साथ ही कुछ भी शारीरिक कार्य करने के बाद एक ग्लास पानी पियें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। शरीर में पानी की कमी या डीहाइड्रेशन से समय पूर्व डिलीवरी हो सकती है।
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