अरूण बिद्रोही की रिर्पोट। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के खिलाफ यूनाइटिड फोरम आफ बैक यूनियन के आह्वान पर जिले के सभी बैंक कर्मी व पदाधिकारी दूसरे दिन भी बैंक हड़ताल किया। बैंक कर्मियों व पदाधिकारियों के हड़ताल से सरकारी एवं गैरसरकारी क्षेत्र के सभी बैंक हड़ताल के कारण दो दिनों तक बंद रहा। हड़ताल के दौरान बैंकों के समक्ष पंजाब नैशनल बैंक ईम्पलाई यूनियन बिहार के उप महासचिव मनोज कुमार सिंह तथा बिहार प्रोविंसियल बैंक ईम्पलाई एसोसिएसन बिहार के सहायक सचिव एस एन पाठक, जयशंकर प्रसाद के नेतृत्व में बैंक कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बैंक कर्मी केन्द्र सरकार के नीजिकरण के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने गलत नीति अपनाकर बैंकाे का निजीकरण किया जा रहा है। जो न्यायसंगत नहीं है। जानकारी के अनुसार सरकारी क्षेत्र के सेन्ट्रल बैंक, ग्रामीण बैंक, एसबीआई, पीएनबी, बैँक ऑफ बरौदा, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक सहित सभी बैंकों के साथ-साथ सीएसपी, एटीएम तथा गैर सरकारी क्षेत्र के आईसीआईसी, एचडीएफसी, एक्सिस बैंक सहित बीएसएनएल के कर्मी व पदाधिकारी हड़ताल पर रहे। जिससे बैंकों में नकदी जमा-निकासी, चेक क्लियरेंस पुरी तरह से बाधित रहा। हड़ताल के वजह से भी बैंकों के एटीएम में पैसे नहीं थे। जिससे रूपये निकासी करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बैंक हड़ताल के क्रम में विरोध प्रदर्शन करने वालों में प्रदीप कुमार शशिभूषण, उमेश सिह, अरुण कुमार, पंकज शर्मा, राज कुमार मिश्र, मनीष कुमार, सुनील कुमार, कुमार सोनु, अमरजीत, मनोज ठाकुर, राधे सिह, गणेश सिंह, मनोज कुमार राय, इंन्दरजीत कुमार, मनोज कुमार निगम, आलोक सिहं, अमित सि़हं, सहित संजीत कुमार, राहुल सिंह, अमलेश तिवारी, रंजन कुमार, रत्नेश कु श्रीवास्तव सहित दर्जनों बैंक कर्मी शामिल थे।
बैंक हड़ताल से 700 करोड़ का करोबार हुआ प्रभावित
बैंकों के निजीकरण के खिलाफ यूनाइटिड फोरम आफ बैक यूनियन के आह्वान पर हुए दो दिवसीय हड़ताल का व्यापक असर रहा। हड़ताल के कारण सभी बैंक दो दिनों तक बंद रहे। जानकारों की माने तो दो दिनों तक बैँक हड़ताल से जिले में करीब 700 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। इसमें बैंकों में नकदी जमा-निकासी, चेक क्लियरेंस, एटीएम में रूपये डालने समेत अन्य कार्यो के बंद होने से करीब 700 करोड़ रूपये का कारोबार प्रभावित हुआ है।
बैंक बंद रहने से लोगों की हुई पेरशानी
निजीकरण के विरोध में बैंकों के हड़ताल से व्यवसायियों एवं आम लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। अपने छोटे-छोटे कार्यों के निबटरा करने को लेकर लोगांे को आस-पास के महाजनों से रूपये लेन-देन करना पड़ा। वहीं सबसे अधिक परेशानी मरीजों को देखने को मिला। जिन्हें रूपये नहीं होने के कारण दूसरे लोगों से रूपये लेकर ईलाज कराने पड़ा तथा रूपयों के अभाव में प्राथमिक उपचार से ही काम चलाना पड़ा है।
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