- एसएफआई के 16 वें जिला सम्मेलन में पारित हुए कई छात्रोपुयोगी प्रस्ताव
छपरा(सारण)। शिक्षा के लिये सरकार की नीतियों का अहम रोल होता है , जिससे नयी पीढि़यों के भविष्य का निर्माण होता है।वर्तमान या अतीत की सरकारों की नीतियाँ इस दिशा में प्रेरणादायक नहीं रही है, बल्कि उनके वर्गीय स्वार्थों का पोषक ही रही है।नयी शिक्षा नीति वास्तव में शिक्षा को दो फांर करने वाली ही साबित हो रही है।क्योंकि साधन सम्पन्न लोगों के बच्चे जिनके पास सारी सुविधाएं हैं उन्हें तो कुछ लाभ मिल ही जायेगा।विपन्नता के मारे बच्चों का भविष्य अन्धकारमय होगा। कई राज्य सरकारें सिलेबस से स्वतन्त्रता सेनानियों , समाज सुधारकों की जिवनियाँ हटा कर उनकी जगह ऐसे लोगों की जीवनी पढ़ने को दे रही है, जिनका कोई योगदान आजादी के जंग में नहीं रहा है।नतीजा भयावह होगा, कि बच्चे इतिहास के उत्प्रेरक तथ्यों से वंचित रह जायेंगे। ये कदम शिक्षा के भगवाकरण का पहला चरण है। शिक्षा का नीजीकरण के साथ ही बाजारीकरण से भी गरीब छात्रों के भविष्य को आंधकारमय होने वाला है।।अतः मुझे उमम्मीद है कि ये सम्मेलन उन तमाम सरकारी नीतियों के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर आन्दोलन का रास्ता अपनायेगा जिन शैक्षणिक नीतियों से उजाला कम अंधेरों का खतरा अधिक है।उपरोक्त बातें एस एफ आई के 16 वें जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर डाॅ. दिनेश पाल ने कही।
एस एफ आई के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव द्वारा झंडोत्तोलन किया गया फिर शहीद बेदी पर पुष्पांजली के बाद सम्मेलन का संचालन रुपेश राज, सरताज खाँ और तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने किया।सम्मेलन राजेन्द्र कालेज के परीक्षा भवन में आयोजित था।
इस अवसर पर एस एफ आई के पूर्व राज्याध्यक्ष और माँझी के विधायक डाॅ. सत्येंद्र यादव मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित थे।उन्होंने वर्तमान राज्य सरकार की विफलताओं का वर्णन करते हुए कहा कि आज पूरे बिहार में शिक्षा का माहौल प्रदूषित हो गया है।शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता बिहार के भविष्य को डूबो देने वाला है।ये सरकार सुशासन के नाम पर लाठी की सरकार बन के रह गयी है।छात्र जब भी अपनी माँग लोकतांत्रिक ढ़ग से भी उठाते है, उन्हें लाठी का सामना करना पड़ रहा है तथा मुकदमा दर मुकदमा थोप दिया जा रहा है। मैं अपने स्तर से इस प्रयास में हूँ कि सारण के बच्चों को समुचित शिक्षा व्यवस्था मिल सके ताकि उनका भविष्यवाणी उज्ज्वल हो।
सम्मेलन का समापन राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने किया ।उन्होंने शिक्षा के बाद बेरोजगारी की समस्या पर चिन्ता जाहिर करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार का, प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को नौकरी देने का वादा था।जो आज युवकों को पौकौडा़ तलने का उपदेश दे रही है। उन्होंने एस एफ आई
के कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमने हमेशा शिक्षा को रोजगारोन्मुखी एवं वैज्ञानिक बनाने पर जोर दिया है।, लेकिन देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री जिस तरह अंधविश्वास की बाते बोलते हैं उससे बच्चों के मानस पटल पर गहरा कूप्रभाव पर रहा है तथा वे वैज्ञानिक सोंच से बंचित हो जाते हैं, जिससे समाज विकास में बाधा उत्पन्न होती।उन्होंने कालेजों में व्याप्त छात्रो की मूलभूत सुविधाओं मे कटौती पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि पेय जल, सायकिल स्टैंड, शौचालय तथा कामन रुम का सर्वथा अभाव है और विश्वविद्यालय की आखों पर पट्टी बंधी हुई है।समय से परीक्षा और रिजल्ट का प्रकाशन न होना यहाँ भी बडी़ समस्या है।इसके विरुद्ध सतत आन्दोलन चलाया जा रहा है।उन्होंने 13 प्राध्यापकों के निलम्बान तथा वायस चान्सलर को नीतीगत फैसले लेने पर रोक को गैरजनतांत्रिक और शैक्षणिक कार्य को चौपट करने वाला बताया।
सम्मेलन में लगभाग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लेते हुए दर्जनों प्रतिनिधियों ने बहस में भी भाग लिया।
प्रस्ताव – स्कूल , कालेजों में छात्रों की मूल भूत समस्याओं , शैक्षणिक सत्र की अनियमितता , शिक्षा का नीजीकरण, बाजारीकरणा तथा भगवाकरण के विरुद्ध , वैज्ञानिक शिक्षा व्यवस्था के पक्ष में , जयप्रकाश विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता , शिक्षकों के निलम्बन का विरोध एवं शिक्षा पर सरकार की अदुरदर्शिता आदि विषयों पर प्रस्ताव पारित किये गये।
अन्त में 21 सदस्यीय जिला कमिटी का गाठान किया गया।सर्वसम्मत रुपेश राज को अध्यक्ष एंव शादाब मजहरी को जिला सचिव निर्वाचित किया गया।इनके अलावा उपाध्याय संतोष कुमार, मनीष कुमार, विकास कुमार, गोलू कुमार तथा संयुक्त सचिव सरताज खाँ, रिजवान आलमा, निषा कुमारी और शाहिद रजा निर्वाचित हुए।इनके अलावा दीपक कुमार, दीपक अर्नेस आदि भी चुने गये।
सम्मेलन को सुनील यादव, डा० राजेश कुमार , डा० रंजीत कुमार तथा मोबस्सीर हुसैन ने अभिनन्दन किया। सम्मेलन की तैयारी में राहुल सांकृत्यायन विचार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन , सचिव उमेश यादव, कोषाध्यक्ष लक्षमण कुमार, तस्लीम तनहा वीरेन्द्र सिंह का अहम योगदान रहा।


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