कोरोना संक्रमण को लेकर गर्भवती महिलाएं तनाव से रहें दूर, बरते सावधानी
- गर्भवस्था के दौरान विशेष देखभाल की हैं आवश्यकता
- फिल्में देखने और मनोरंजन की किताबें पढ़ने से कम हो सकता है तनाव
- अपनी समस्याओं को घर वालों से करें साझा
पूर्णियाँ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश मे लॉक डाउन की व्यवस्था लागू की गई है. ऐसे समय में गर्भवती महिलाएं अपने भविष्य की अनिश्चितता को लेकर काफ़ी तनाव में आ सकती है. लेकिन गर्भावस्था के दौरान बेहतर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत होती है. जिसके लिए गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान एवं दैनिक दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बेहतर खान-पान एवं तनाव मुक्त जीवनशैली के माध्यम से गर्भवती महिलाएं अपना ख्याल रखने के साथ गर्भस्थ शिशु को भी प्रतिकूल असर से सुरक्षित कर सकती हैं।
यद्यपि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की पुष्टि की है कि गर्भवती माताओं को किसी सामान्य व्यक्ति की तुलना में कोरोना से अधिक प्रभावित होने का खतरा नहीं हैं. लेकिन यदि गर्भवती महिला किसी जटिल स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित हो तो उन्हें भी संक्रमण के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. जिसमें महत्वपूर्ण सावधानियां बरतने की जरूरत होती हैं। जैसे नियमित रूप से साबुन से हाथ धोने, अधिक प्रभावित होनेवाली जगहों को छूने के बाद हाथों को सेनेटाइज़ करने, भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना एवं लोगों से भी दूरी बनाए रखने से संक्रमण का बचाव किया जा सकता है। वहीं पोषक आहार सेवन एवं तनाव मुक्त रहकर प्रसव संबंधित जटिलता से भी खुद का बचाव कर सकती है।
बार-बार अस्पताल जानें के बजाए फोन पर ले सलाह:-
पूर्णिया के सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने बताया की कोरोना संक्रमण के मद्देनजर गर्भवती महिलाओं को भी सावधानी बरतने की जरूरत है. अस्पताल में बार-बार जाने की बजाय संभव हो तो फोन के माध्यम से चिकित्सक के संपर्क में रहें। यदि किसी भी गर्भवती महिला में कोरोना के लक्षण जैसे बुखार, सर्दी-खाँसी, गले में दर्द हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें। गर्भवती महिला यदि किसी भी कारण से कोरोना संक्रमण का शिकार हो जाती हैं तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. विशेष चिकित्सकीय देखभाल के द्वारा प्रसव के दौरान सावधानी बरतकर नवजात तक संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. इन दिनों प्रसव के लिए महिला को गांव से अस्पताल तक ले जाने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। सुरक्षित प्रसव के लिए आशा एवं एएनएम को पहले से ही सूचित कर रखना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को ऐसे दौर में अधिक सकारात्मक होने की जरूरत है. साथ ही उन्हें तनाव मुक्त भी रहने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने बताया इन दिनों अपने आने वाले बच्चे के भविष्य की चिंता करने से गर्भवती महिलाएं और बच्चे की सेहत को नुकसान होगा। जितना आप वर्तमान में जिएंगी, अपने हर मिनट, घंटे और दिन को खुलकर जिएंगी, उतना बेहतर महसूस करेंगी। खुद को सकारात्मक बनाए रखने में अपने जीवनसाथी से मदद लें। अपने मन के डर को दबाने की जगह अपनी समस्या को परिवार या जीवनसाथी के साथ साझा करें।
गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ध्यान:
• तनाव मुक्त रहें एवं रात में अच्छी नींद लें
• आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें. दाल, हरी सब्जियां, मौसमी फल, चना एवं गुड, दूध, अंडे इत्यादि का रोज सेवन करें
• टीबी पर समाचार देखने की जगह मनोरंजक कार्यक्रम अधिक देखें
• घर से बाहर निकलने से परहेज करें
• परिवार के साथ अपनी मानसिक परेशानी साझा करें
• नकारत्मक सोच की जगह सकारात्मक सोचें
More Stories
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ीकरण को लेकर सीएचओ को दिया गया प्रशिक्षण
टीबी के अभिशाप को मिटाने के लिए पंचायतों को लिया जायेगा गोद
अब घर की दहलीज तक टीबी के संदिग्ध मरीजों की जांच की सुविधा उपलब्ध