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डा0 अम्बेडकर और राजनीति

  • 14अप्रैल, जन्म जंयती पर विशेष

पटना (बिहार)। भारतरत्न डा० भीमराव अम्बेडकर का समग्र जीवन संघर्ष तथा मानवीय अस्तित्व की सत्ता महत्ता तथा उसे कायम रखने के उपाय तथा उपयोगिता का सत्व और रस उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान में (उन अनुच्छेदों को छोड़कर जिसे जोड़ने के लिए उन्हें बाध्य किया गया था) सन्निहित तथा लिपिबद्ध है। भारतरत्न के प्रति उनकी जन्म जयंती के अवसर पर सच्ची तथा श्रेष्ठ श्रद्धाजंलि तो इस संविधान की संरक्षा और सुरक्षा ही हो सकती है; क्योंकि संविधान ही बाबा साहब की आत्मा है जिसे अमर कहा गया है। लेकिन 395अनुच्छेद वाले बाबा साहेब के संविधान में 104 को बदला जा चुका है और 20 प्रक्रियाधीन है। इतना के बाद इसके लिए जिम्मेदार जो भी सरकार या राजनीतिज्ञ बाबा साहेब की आत्मा का सम्मान करने ,श्रद्धांजलि देने या स्मरण में रखने का दाबा करता है, उनके चाल और चरित्र को समझने में न तो देशवासियों को भुल करनी चाहिए और ना ही कोई चूक। जब संविधान को भारत के भाग्य विधाता लोग स्वीकार नहीं करते और इसकी आत्मा की हत्या ही करना चाहते हैं तो संशोधन के इस नाटक की क्या आवश्यकता है। जब एक सौ चार अनुच्छेद को हटाया मिटाया जा चुका है तो शेष को भी मिटा कर अपना संविधान लागू कर ही लेना चाहिए। सामने तो आओ छलिये, छिप छिप कर छलने का क्या काम है! पहचान ले देश तेरी आत्मा सचमुच तुम कितना महान है! लेकिन बाबा साहेब की आत्मा संविधान के साथ ऐसे षंडयत्र करने वालों को कम से कम बाबा साहेब का राजनैतिक दुरुपयोग बंद कर देना चाहिए। वही वैसे लोगों के द्वारा बाबा साहेब के प्रति उनकी सही श्रद्धांजलि होगी। मैं मानवता के अधिकार के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले तथा तिल तिल अपनी आत्मा की आहुति देने वाले विश्व के महामानव बाबा साहेब को उनकी जन्म जंयती पर शत शत नमन करता हूँ और मानवता के उद्धार के लिए उनसे एक बार पुनः अवतार लेने की प्रार्थना करता हूंँ; क्योंकि बाबा साहेब जैसा सपूत जनने का बिड़वा (बीज) ही शायद इस मिट्टी से समाप्त हो गया है।

डा०प्रज्ञाचक्षु

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