मांझी (सारण)। रमजान का महीना शुरू होने से पहले विगत 2 वर्षों से बिछड़ी सयमुन निशा (शमशुन) के मिलने से परिवार में खुशी की लहर है। 51 वर्षीय सयमुन निशा पिछले 2 वर्षों से अपने परिवार से बिछड़ी हुई थी। जिसे उनके परिवार से 9 अप्रैल को ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ, चेन्नई के द्वारा मिलाया गया। जब सयमुन निशा का बेटा मोहम्मद आजाद और बड़ी बहन कमरुन निशा अपने पड़ोसी एजाजुल हक के साथ लिट्ल हार्ट्स, वेट्टूवनकेनी, चेन्नई सयमुन निशा को वापस घर लाने के लिए पहुंचे। 12 अप्रैल को सायं काल में सयमुन निशा अपने निवास स्थान सारण जिला के मांझी मियां पट्टी वापस पहुँच गईं। जिसे मिल कर परिवार के सभी लोग बहुत खुश दिखे।
सयमुन निशा 2 वर्ष पूर्व अपनी बड़ी बहन कमरुन निशा के घर रिविलगंज प्रखंड के जलालपुर से लापता हो गई थी। वह 10 जनवरी 2019 को बड़ी बहन के घर से अपने बेटे मोहम्मद आजाद को ढूंढ़ने की बात पड़ोसियों से बता कर कोलकाता चली गई थी। वह मानसिक रूप से अस्वस्थ थी। उसके लापता होने की वजह से परिवार वालों का बुरा हाल था। परिवार ने सयमुन निशा को खोजने के लिए इश्तेहार (इनाम की राशि के साथ) का भी सहारा लिया। लेकिन सयमुन निशा को नहीं खोजा जा सका। मानसिक अस्वस्थता के कारण पता नहीं वह कैसे तमिलनाडु पहुंच गई। असहाय स्थिति में 5 सितम्बर, 2019 को वहां की कानथुर थाना पुलिस चेन्नई द्वारा लिट्ल हार्ट्स संस्था में भर्ती कराया गया ताकि इनका गुजर-बसर हो सके। जहां से एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करता है से संपर्क किया गया। उसके बाद एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग ट्रस्टी मनीष कुमार ने सयमुन निशा से 15 मार्च 2020 को बात की और परिवार का पता जानने का प्रयास किया। मगर वह परिवार के बारे में ठीक से नहीं बता पायी। काफी पूछने के बाद इन्होंने अपने घर का पता केवल मांझी बताया। उसकी भाषा और बोलने के लहजे से यह पता चल गया कि वह बिहार के भोजपुरी भाषा बोलने वाले क्षेत्र से हैं। फिर यह पता लगाया जा सका कि सारण जिले में मांझी एक प्रखंड है। जस्ट डायल के माध्यम से मांझी के स्थानीय व्यवसायियों को कॉल करने के क्रम में जब ‘हार्डवेयर ऐंड फर्नीचर मार्केट’, मांझी के मोबाइल नंबर पर मनीष कुमार के द्वारा कॉल किया गया तो वहाँ से स्थानीय मनोज कुमार सिंह का मोबाइल नंबर मिला। बात करने के बाद सयमुन निशा की फोटो और सम्बंधित विवरण दिया गया। मांझी में संचालित अनुभव जिंदगी का नामक सोशल ग्रुप के द्वारा सयमुन निशा के परिजनों को 15 मार्च 2020 को हीं ढूंढ निकाला गया। मगर कोरोना थोड़ा और कम होने का इंतजार करते-करते परिजनों को वापस घर लाने में काफी विलम्ब हुआ। इस बीच परिवार वालों का सयमुन निशा से फोन पर संपर्क करवाया जाता रहा। एनजीओ के मनीष कुमार ने रेल के आरक्षण से लेकर आगमन-प्रस्थान तक की पूरी जानकारी सयमुन निशा के परिवार को दी ताकि वे लोग सुरक्षितपूर्वक आकर सयमुन निशा को वापस घर ले जा सकें। परिजनों से मिलाने में एस्पाइरिंग लाइव्स की संस्थापक फरीहा सुमन व कन्वेनर इसक्कु मुथु डॉस का भी बहुमूल्य सहयोग रहा। आज जहां परिवार में वृद्ध व बुजुर्गों की कद्र कम होती जा रही है और पारिवारिक बंधन टूटता जा रहा है। वैसी परिस्थिति में बिछड़ी विक्षिप्त महिला को लेने परिजन जब चेन्नई पहुंचे तो एनजीओ टीम ने काफी खुशी जाहिर की। सयमुन निशा के पति का देहांत हो चुका है। सोमवार की शाम वह अपनी बड़ी बहन के घर पहुंच गई। लौटने के बाद सयमुन निशा अपनी बड़ी बहन के यहाँ रहना जारी रखेंगी।


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