राष्ट्रनायक न्यूज। कोरोना फिर फैल रहा है। लॉक डाउन की आहट फिर सुनाई देने लगी है। बीते कुछ महीनों में वैक्सीन आने की अच्छी खबरों के बीच महाराष्ट्र, केरल, गुजरात जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस चिंंताजनक हैैं। सवाल यह है कि आखिर कोरोना वायरस पूरी तरह खत्म होगा या नहीं? नए टीके बनाने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन उसकी प्रमाणिकता साबित होने में अभी वक्त लगेगा। दूसरे वायरसों की तरह कोरोना वायरस भी अमर है। वह न सिर्फ सक्रिय है बल्कि गुणात्मक रूप से संक्रमित हो रहा है। प्रतिबंध हटते ही ये फिर हमला करेगा।
तो क्या अमर है कोरोना वायरस?
कोरोना महामारी को ठीक समझने के लिए आपका वायरस की हरकतों को समझना होगा। वायरस एक कमाल की चीज है। ये हजारों लाखों साल तक नहीं मरता। प्रकृति में कहीं सोया रहता है। इसकी कमजोरी है कि यह खुद प्रजनन नहीं कर सकता। लेकिन जैसे ही उसे कोई जिन्दा सेल या कोशिका मिलती है, ये उससे अपने साथ जोड़ लेता है। और तब प्रजनन करता है। यह जीवित हो उठता है और अपने वंश को आगे बढ़ाने लगता है।
ये वायरस किसी सेहतमंद इंसान के शरीर में दाखिल होते ही उसे बीमार कर देता है क्योंकि वह तत्काल इंसान के सेल के मूल आरएनए और डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है। और इसके बाद संक्रमित सेल अपने जैसे संक्रमित सेल तैयार करने शुरू कर देते हैं जैसे उसके भीतर कोई फैक्ट्री लग गई हो।
रोचक है वायरस की कहानी?
दुनिया में ऐसे कई सारे वायरस हैं। जैसे प्लेग, चेचक, एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा, पोलियो आदि। इसी तरह दुनिया पर चेचक के वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस का हमला हुआ था। यह दुनिया का सबसे पुराने वायरसों में एक था। इसका इलाज तो नहीं मिला लेकिन इंसानों से उसका टीका जरूर खोज लिया। फिर 80-90 के दशक में पहचाने गए एड्स के एचआईवी वायरस ने सबको लगभग हिला दिया। बंदरों से मनुष्य में आया यह वायरस इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सीधा हमला करता है। लेकिन अच्छी बात थी कि ये वायरस खून, शरीरिक द्रव्य या वीर्य के जरिए ही एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमित होता है। इसलिए थोड़ा सतर्क और जागरूक रहकर ही इस वायरस से बचा जा सकता है। पर एचआईवी के साथ सबसे खतरनाक बात यह है कि यह जानलेवा है और लाइलाज रोग है। इनमें अब एक नया नाम जुड़ गया है कोरोना का।
एक बार वायरस शरीर में आ गया तो वह पाजिटिव से फिर निगेटिव कभी नहीं हो सकता। जैसा कोरोना में हो जाता है। सबसे दोस्ताना कोई वायरस है तो वह इन्फ्लूएन्जा वायरस है। जिसे हम सामान्यत: सर्दी जुकाम या फ्लू कह देते हैं। कहते हैं ये वायरस इंसानों में सुअर से आया। हालांकि 1918 में जब यह भारत में नया-नया पहचान में आया था तब इसने महामारी के रूप में तबाही मचा दी थी। तब लाखों लोग फ्लू से मर गए। इसमें वायरस खांसने या छींकने या हाथ मिलने से भी यह वायरस एक जिस्म से दूसरे जिस्म में चला जाता है। और इंसान के गले और नाक के स्राव में अपना अस्थायी ठिकाना बना लेता है। फिर कम से कम एक हफ्ते की छुट्टी समझिए।
शरीर में दर्द, बुखार, बार बार छींक आना, सूखी खांंसी, गला बैठ जाना, आंंख और नाक से पानी बहना और गले में दर्द का अनुभव तकरीबन सबने किया होगा। कभी-कभी रोगी को 101 से 103 डिग्री तक बुखार भी हो जाता है जो दो या तीन दिन से लेकर छह दिन तक बना रह सकता है। ये भी हो सकता है बुखार हो ही न। सच पूछिए तो यह बीमारी भी लाइलाज है। हां, दर्द और बुखार की दवाएं कुछ आराम दे देती है। धीरे- धीरे वायरस खुद ही मृत प्राय हो जाता है।
अब आइए बात करते हैं अपने नए मेहमान कोरोना वायरस के बारे में। ये कम्बखत अजीबोगरीब वायरस है। इसके बारे में वैज्ञानिक अभी ज्यादा नहीं जानते। यह वायरस सदियों से कहीं सोया हुआ था लेकिन चीन के किसी जीव संभवत: चमगादड़ में इसे कोशिका मिल गई और ये फिर जिन्दा हो गया। और वहीं से इंसानों में आ गया।
अब तक इंसान का शरीर इस नए वायरस से एकदम अनजान था, इसलिए सारी दुनिया हिल गई। यह कई मायनों में अब तक मिले वायरसों में सबसे ज्यादा खतरनाक है। पहली वजह ये कि ये अब तक मिले वायरसों में सबसे तेजी से संक्रमित होता है। दूसरा कारण यह कि यह सामान्य फ्लू यानी इन्फ्लूएन्जा से कहीं ज्यादा मारक है। दरअसल, यह इंसान पर यह बिलकुल वैसे हमला करता है जैसे इन्फ्लूएन्जा वायरस करता है। सर्दी जुकाम बुखार। लेकिन इस वायरस की तीव्रता इतनी ज्यादा है कि अगर रोगी कमजोर, बीमार या वृद्ध हो सांस लेने में दिक्कत पैदा करने के साथ वह उसके फेफड़े और किडनी को तबाह कर देता है। वह भी चन्द दिनों में। इसलिए वृद्धों की मृत्यु दर ज्यादा है।
अब तक कोई दवा नहीं बनी जो इस वायरस की तीव्रता या मारक क्षमता को रोक दे या धीमा कर दे। या कोई टीका नहीं बना कि यह वायरस आप पर हमला ही न कर पाए। हां अगर आप मजबूत हैं और आपमें रोग प्रतिरोधक क्षमता है तो ये वायरस आपके जिस्म में 14 दिन से ज्यादा नहीं रह पाएगा। सामान्य फ्लू की तरह आएगा और ठीक होकर चला जाएगा। लेकिन आपको डॉक्टरों की निगरानी में रहना होगा क्योंकि वही बता सकते हैं कि कोरोना आपके अंग तो तहस नहस नहीं कर रहा। लेकिन असल चिन्ता ये नहीं है। इस वायरस से इतनी जल्दी छुटकारा मिलना इतना आसान भी नहीं है।
हो सकता है कि अगले दो तीन महीनों में कोरोना का आतंक कुछ कम हो जाए। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि ये वायरस फिर कब अपना सिर उठा ले। अब दुनिया भर के वैज्ञानिक कोराना वायरस का टीका खोजने में जुट गए हैं। कहीं कहीं सफलता की खबरें भी आ रही हैं। लेकिन इनका अभी बड़े पैमाने पर ट्रायल होना बाकी है।


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