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कोरोना को मात देने के लिए यह है सरकार का प्लान, ऑक्सीजन संकट से उबरेगा भारत?

नई दिल्ली, (एजेंसी)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि एक महीने में राष्ट्रीय राजधानी में 44 ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जाएंगे। यह फैसला दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी को देखते हुए लिया गया। उन्होंने कहा कि टैंकरों की कमी है और इसलिए समस्या को कम करने के लिए बैंकॉक से 18 टैंकर आयात किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21 रेडी-टू-यूज ऑक्सीजन प्लांट फ्रांस से आयात किए जा रहे हैं। केंद्र द्वारा आठ ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जबकि 36 अगले एक महीने में दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित किए जाएंगे। इनमें से 21 प्लांट फ्रांस से और 15 प्लांट देश के भीतर से आते रहे हैं। 10 मई के भीतर 1200 आईसीयू बेड अस्पतालों में लगाए जाएंगे।

केजरीवाल ने कहा, पिछले सप्ताह दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को एक हद तक नियंत्रित किया गया है, स्थिति में काफी सुधार हुआ है। आक्सीजन को लेकर जिस तरह के दिल्ली के अस्पतालों की पिछले कुछ दिनों में स्थिति देखी गयी इससे अब स्थिति में मामूली सुधार है। अस्पतालों में ऑक्सीजन पंहुचाई जा रही हैं। दिल्ली के अस्पतालों ने मंगलवार को कहा कि वे आपूर्ति के मामले में तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में हैं और मरीजों के लिए एंट्री को फिर से खोल दिया है।

केजरीवाल का कोविड कंट्रोल प्लान: दिल्ली में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की किल्लत के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह हुई ऑक्सीजन की किल्लत की भरपाई कर ली गई है और बीते दो दिन में हालात में काफी सुधार हुआ है। केजरीवाल ने ऑक्सीजन ब्रीफिंग के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार अगले महीने विभिन्न अस्पतालों में 44 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करेगी, जिनमें से 21 संयंत्र फ्रांस के आयात किये जाएंगे। केन्द्र सरकार 30 अप्रैल तक आठ ऑक्सीजन संयंत्र लगाएगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली को पांच ऑक्सीजन टैंकर उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार से बैंकाक से ऑक्सीजन टैंकर लाने के लिये वायुसेना के विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। बुधवार के टैंकर दिल्ली आने शुरू हो जाएंगे।

कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘‘राष्ट्रीय संकट’’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भटकीपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है। पीठ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे।’’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र और आप सरकार से पूछा कि जब कोविड-19 रोगियों को व्यापक रूप से रेमडेसिविर दवा लेने की सलाह दी जा रही है तो फिर राष्ट्रीय राजधानी में इसकी किल्लत क्यों है। केन्द्र सरकार ने जब बताया कि रेमडेसिविर का सेवन केवल अस्पतालों में किया जा सकता है तो अदालत ने कहा कि जब अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिये ऑक्सीजन और बिस्तर ही उपलब्ध नहीं है तो वे कैसे इस दवा का सेवन करेंगे। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत के औषधि महानियंत्रक कोइस मामले में पक्षकार बनाते हुए उनके वकीलों को दिल्ली में दवा की किल्लत के बारे में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल कोभी ऐसा ही निर्देश दिया गया और अदालत ने इस मामले की सुनवाई भोजनावकाश के बाद के लिये स्थगित कर दी गई।

आपको बता दे कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच, शहर और उसके उपनगरों में चिकित्सा सुविधाओं ने पिछले हफ्ते सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर तमाम दलीले दी गयी हैं। सरकारों की काफी आलोचना भी की गयी है। कुछ ऐसे भी वीडियो और हकीकतों को देखा गया जिस पर आंखें विश्वास नहीं कर रही थी। आस्पतालों में लोग सांसों के लिए तरसते देखें गये। हालात ऐसे हैं कि सांसे टूटती हैं तो शवों को जलाने और दफ्न करने के लिए शमशान घाट नहीं हैं। पूरा शमशान घाट लाशों से पटा हुआ हैं। चारों तरफ केलव जलती चिताएं ही देखी जा सकती हैं। बाहर देखा जाए तो परिजनों अपनों के शव को लेकर दाह संस्कार करने की लाइन में लगे हैं। हालात बहुत ही भयानक हैं।

केंद्र ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर 10 मीट्रिक टन और 20 मीट्रिक टन क्षमता के 20 क्रायोजेनिक टैंकरों का आयात किया है और ऑक्सीजन टैंकरों की कमी से निपटने के लिए इसे राज्यों को आवंटित किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि विभिन्न राज्यों में उत्पादन संयंत्रों से तरलीकृत चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) का उत्पादन एक सतत प्रक्रिया है और एलएमओ को उपलब्ध कराने में देश के पूर्वी हिस्से से अन्य हिस्सों में चिकित्सीय ऑक्सीजन के परिवहन में क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी बाधा बन रही है। ऑक्सीजन परिवहन के लिए 20 मीट्रिक टन और 10 मीट्रिक टन क्षमता के 20 क्रायोजेनिक कंटेनरों का आयात किया गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिकार प्राप्त समूह-दो के मार्गदर्शन में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के साथ विचार-विमर्श कर इन कंटेनरों को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली में आपूर्ति के लिए आवंटित किया है। भारत फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है और कोविड-19 के मामले बढ़ने से कई राज्यों में चिकित्सीय ऑक्सीजन और बेड की कमी हो गयी है।

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