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सोलर पैनल घोटाले से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में सरिता एस. नायर को दोषी करार, हुई 6 वर्ष की कठोर कारावास 

दिल्ली, एजेंसी। अंतत: कानून ने अपना काम कर दिखाया। सोलर पैनल घोटाले से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में अदालत ने सरिता एस. नायर को दोषी ठहराते हुए 6 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। केरल के कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूडीएफ सरकार के दौरान यह घोटाला हुआ था। सरिता इस चर्चित घोटाले में दूसरी आरोपी हैं। जबकि बीजू राधाकृष्णन पहला आरोपी है। कहानी शुरू होती है 2012 से। कोझिकोडे निवासी अब्दुल मजीद की ओर से दोनों आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी ?कि उन्होंने कार्यालय और घर में सोलर पैनल स्थापित करने के अलावा उनकी कम्पनी को फ्रैंचाइजी देने के लिए लगभग 43 लाख रुपए लिए थे, इसके बावजूद न तो अनुबंध को पूरा किया गया और न ही धन वापिस किया गया। मामला केवल 43 लाख का नहीं है। केरल में बड़े घोटालों से उसका नाम जुड़ा रहा। उसकी स्टोरी किसी थ्रिलर से कम नहीं है। सरिता नायर की पोल खुलने पर केरल की राजनीति में तूफान मच गया था। सरिता ने खुद प्रैस कांफ्रैंस करके खुलासा किया था कि नेता, मंत्री, सांसद, ?विधायक और उनके प्राइवेटर सैक्रेटरी तक केवल सेक्स की वजह से घोटाले में उसकी मदद करते थे। सरिता की कहानी की शुरूआत केरल के चेनगन्नूर जिले के छोटे से देहात में हुई। सरिता अंग्रेजी और गणित में हमेशा टॉप करती रही।

सरिता ने इलैक्ट्रानिक्स, कम्युनिकेशन, एयरक्राफ्ट मेंटेनैंस तथा इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल कर लिया। इसके बाद वह अपराध के चक्रव्यूह में ऐसी फंसी कि फिर बाहर ही नहीं निकल सकी। अपने पहले पति को तलाक देकर उसने एक प्राइवेट लेन-देन वाली कम्पनी में नौकरी कर ली। वह अपने दोस्त की मदद से कम्पनी के लिए लाखों रुपए लाती थी लेकिन उसने एक गलती कर दी उसने कम्पनी का काफी पैसा अपने दोस्त को दिया, जिसे लेकर वह फरार हो गया। इस मामले में सरिता फंस गई और उसे जेल जाना पड़ा। जेल में रहते हुए उसकी मानसिकता ही बदल गई। पढ़ी-लिखी लड़की रातोंरात अमीर बनने के सपने देखने लगी। फिर उसने अपने लिव इन पार्टनर बीजू राधाकृष्णन के साथ मिलकर काम करना शुरू कर ?दिया। दोनों चेगन्नूर में नाम बदलकर अपना काम आनलाइन करते थे। 2010 में दोनों पकड़े गए। जेल में ही सरिता ने बीजू की बेटी को जन्म दिया। जेल जाने के बाद सरिता समझ गई कि उसे बड़ा खेल खेलने के लिए राजनीतिक सम्पर्कों की जरूरत है। सरिता नंदिनी नायर बन गई। खुद का चार्टेड एकाउंटैंट बताने लगी। बीजू खुद को स्ट्रेटजिक इन्वेस्टर बताता था। लोगों से ठगी का खेल शुरू हुआ। दोनों ने अपने कार्यक्रमों में राजनीतिज्ञों को आमंत्रित करना शुरू कर दिया।

उन्होेंने राजनीतिज्ञों के साथ फोटो खिंचवा कर अपना दायरा बढ़ा लिया और समाज में ऐसी प्रतिष्ठा बना ली कि उनकी राजनीतिक पहुंच काफी दूर-दूर तक है।? फिर लक्ष्मी नायर बनकर उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चांडी से मुलाकात की। सरिता और बीजू ने सोलर पैनल बिजनेस पर एक रिपोर्ट तैयार करके ओमन चांडी को दी। उन्होंने टीम सोलर की ओर से एक राहत कोष में दान करने की बात की। उन्होंने मुख्यमंत्री के प्राइवेट स्टाफ से सम्पर्क बना लिया। राज्य के कई मंत्रियों सहित बहुत से राजनीतिज्ञों तक पहुंच बना ली। केरल के मंत्री की सोलर प्रोजैक्ट में काफी दिलचस्पी थी। सोलर प्रोजैक्ट हासिल कर उसने करोड़ों का घपला किया। सरिता ने खुद स्वीकार ?किया कि उसकी सुन्दरता उसके वरदान और अभिशाप दोनों साबित हुए। यह उसकी सुन्दरता ही थी जिसकी वजह से कई नेता उसके करीबी थे। ज्यादातर मंत्री से लेकर सांसद और विधायक और उनके निजी सचिव भी केवल फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए उसकी मदद करते थे।

सरिता नायर की कहानी ने एक बार फिर उन राजनीतिज्ञों की पोल खोल दी है जो अपनी हवस को मिटाने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और फिर उन्हें बचाने के लिए हर तरह का संरक्षण देते हैं। सरिता नायर के सोलर स्कैम मामले में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चांडी को न्यायिक आयोग के समक्ष पेश होना पड़ा था और 14 घंटे से ज्यादा गवाही दी थी। सवाल यह है कि एक महिला किस तरह नाम बदल-बदल कर अपनी रानीतिक पहुंच बनाती रही। यह पूरी कहानी भी राजनीतिज्ञों और अपराधियों की सांठगांठ की कहानी है। राजनीतिज्ञ अपनी ऐशो आराम की जिन्दगी व्यतीत करने के लिए समाज में अपने लिए मोहरे बनाते हैं, उनका शोषण करते हैं, फिर उन्हें जेल भिजवा देते हैं। अपराध चक्रव्यूह में कोई भी फंसा हुआ हो उसमें से निकलने के लिए इच्छा शक्ति चाहिए लेकिन अनैतिकता से भरे समाज में सकारात्मक ढंग की सोच पैदा ही नहीं होती। अंतत: लोगों को जेल जाना ही पड़ता है। सरिता और बीजू तो जेल काट लेंगे। उन लोगों का क्या जो दुनिया की नजर में अब भी पाक-साफ हैं। दंड तो इन लोगों को भी मिलना चाहिए।

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