राष्ट्रनायक न्यूज

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चुनाव आयोग के कड़े निर्देश!

दिल्ली, एजेंसी। कोरोना संक्रमण के भयंकर दौर में इसे विरोधाभास से ऊपर त्रासदी ही कहा जायेगा कि आज भी प. बंगाल के कुछ चुनाव क्षेत्रों में अंतिम चरण का मतदान हो रहा है और उत्तर प्रदेश में भी त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों के चुनाव का अंतिम चरण है। इस स्थिति को चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश की सरकार टाल सकती थी मगर जन स्वास्थ्य के प्रति उत्तरदायित्व हीनता का भाव हमारी समूची प्रशासनिक प्रणाली का स्थायी अंग इस तरह बना हुआ है कि हम इसे ‘हादसों’ की तरह लेने के आदी बन चुके हैं परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि देश का चुनाव आयोग नींद से जागा है और उसने मतगणना वाले दिन 2 मई के लिए कठोर नियमावली जारी की है जिससे कोरोना संक्रमण भीड़ का लाभ उठा कर और ज्यादा न फैल सके। चुनाव आयोग ने 2 मई के लिए जो नियमावली जारी की है उसके तहत कोई भी विजयी प्रत्याशी विजय जुलूस नहीं निकाल सकेगा। इसके साथ ही चुनावों में विजयी घोषित प्रत्याशी के साथ केवल दो व्यक्ति ही उसका निर्वाचन प्रमाणपत्र लेने जा सकेंगे। निश्चित रूप से ये कदम स्वागत योग्य हैं परन्तु मतगणना केन्द्रों पर प्रत्येक प्रत्याशी के एजेंट का होना जरूरी होता है जिससे मतों की गिनती में पूरी पारदर्शिता रह सके।

इन एजेंटों के मतगणना केन्द्रों पर बैठने की व्यवस्था भी इस प्रकार होनी जरूरी है जिससे उचित दूरी बनी रह सके और सभी एजेंट कोरोना नियमों का पालन करें। इस बारे में केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल, पुडुचेरी व असम के जिलाधीशों को सख्त रवैया अपनाते हुए कोरोना शिष्टाचार को लागू करना होगा किन्तु साथ ही यह ध्यान भी रखना होगा कि मतगणना में किसी भी प्रकार की अनियमितता न होने पाये। क्योंकि जब कोरोना काल में ही चुनाव हुए हैं तो किसी भी सूरत में मतों की गिनती में किसी प्रकार की गड़बड़ी कोरोना के नाम पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

यह दायित्व चुनाव आयोग का ही है कि जब उसने ऐसे संक्रमण काल में चुनाव कराये हैं तो वह चुनावों की पवित्रता पर किसी भी प्रकार की आंच न आने दे लेकिन राजनीतिक दलों का भी यह प्रथम कर्त्तव्य बनता है कि वे उपने कार्यकतार्ओं को अनुशासन में रहने की ताकीद इस तरह करें कि मतगणना का कार्य निर्बाध गति से चलता रहे और वे कोरोना नियामवली का पालन करने में कोई कोताही न बरतें। इसके साथ यह भी बहुत जरूरी है कि मतगणना करने वाले सरकारी कर्मचारियों की पूरी सुरक्षा की जाये और उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी आवश्यक सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध करायी जाये।

इसमें कोई भी विस्मय की बात नहीं है कि उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत चुनाव करा रहे शिक्षकों, कर्मचारियों व अधिकारियों को चुनावों के चलते कोरोना संक्रमण का शिकार होना पड़ा है और कई लोगों की मौत तक हो चुकी है। इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि राज्य के शिक्षण कर्मचारी संघ ने राज्य के चुनाव आयोग को पत्र लिख कर मांग की है कि पंचायत चुनावों की मतगणना स्थगित कर दी जानी चाहिए।

इन चुनावों की मतगणना भी 2 मई को ही होनी है। संघ ने अपने पत्र में चेताया है कि मतगणना के दिन कोरोना नियमाचार का पालन करना संभव नहीं होगा। पहले ही चुनावों के चलते राज्य के कई खंड शिक्षा अधिकारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कई की मौत भी हो गई है। चुनाव ड्यूटी पर संक्रमित हुए लोगों के मृत होने पर उनके परिजनों को पर्याप्त आर्थिक मदद देने की मांग भी इस पत्र में की गई है। इससे भी ऊपर प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन व राज्य कर्मचारी संघ ने तो चुनाव आयोग से बचे चरण के चुनाव स्थगित तक करने की मांग की है। इसे हम विडम्बना ही कहेंगे कि पंचायत चुनावों के चलते राज्य कर्मचारी संघ यह मांग करता रहा कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात सभी कर्मचारियों को कोरोना किट देकर ही यह काम कराये मगर उनकी इस मांग को अनसुना कर दिया गया।

सवाल अब यह खड़ा हो रहा है कि मतगणना वाले दिन के लिए कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम बांधने में जरा सी भी लापरवाही न की जाये। यदि अब भी लापरवाही की जाती है तो माना जायेगा कि हम संवेदनहीनता की सीमाएं लांघ कर भी अपनी पीठ थपथपाना चाहते हैं। यह सर्वथा अनुचित है और लोकतन्त्र में इसके लिए कतई गुंजाइश नहीं है। जरूरी है कि हम सभी मिल कर कोरोना पर नियन्त्रण पाने के सभी उपायों का पालन करें और लोकतन्त्र का सिर भी ऊंचा रखें। जिन राज्यों में भी चुनाव हुए हैं वहां की निवर्तमान सरकारों का भी कर्त्तव्य बनता है कि वे चुनाव आयोग से मतगणना के इंतजाम और ज्यादा पुख्ता करने के लिए कहें जिससे यह काम करने वाले कर्मचारियों का जीवन पूरी तरह सुरक्षित रह सके। हम भूल जाते हैं कि चुनाव सम्पन्न कराने वाले कर्मचारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उनके दायित्व निर्वाह पर ही लोकतन्त्र की जीवात्मा निर्भर करती है।

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