राष्ट्रनायक न्यूज

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विश्व थैलेसीमिया दिवस पर विशेष

  • एड्रेसिंग हेल्थ इनइक्वलिटी एक्रोस द ग्लोबल थैलेसीमिया कम्युनिटी” है इस वर्ष की थीम
  • 2 वर्ष से कम आयु वाले शिशु को अधिक है खतरा

राष्ट्रनायक न्यूज।

पटना (बिहार)। थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है जो  मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है और हीमोग्लोबिन द्वारा ही पूरी शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुँचाने का काम होता है। हीमोग्लोबिन का कम स्तर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी करता है। इससे ग्रसित व्यक्ति के शरीर में रक्ताल्पता या एनीमिया की शिकायत हो जाती है। शरीर का पीलापन, थकावट एवं कमजोरी का एहसास होना इसके प्राथमिक लक्षण होते हैं। तुरंत उपचार ना होने पर बीटा थैलेसीमिया  के मरीज के शरीर में खून के थक्के जमा होने लगते हैं। थैलेसीमिया रोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वर्ष 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। “एड्रेसिंग हेल्थ इनइक्वलिटी एक्रोस द ग्लोबल थैलेसीमिया  कम्युनिटी” को इस वर्ष के थीम के रूप में चुना गया है।

क्या हैं कारण:

थैलेसीमिया की उत्पत्ति मानव जीन में असामान्यता से होती है। यदि नवजात शिशु के माता पिता में से कोई भी थैलेसीमिया से ग्रसित है तो शिशु में भी यह रोग होने की 25 प्रतिशत सम्भावना होती है। यदि नवजात के माता पिता दोनों इस रोग से ग्रसित हैं तो उनके पैदा होने वाले शिशु में इस रोग से ग्रसित होने की सम्भावना 50 प्रतिशत तक रहती है। पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए.के.जायसवाल हैं नवजात शिशु जो थैलेसीमिया से ग्रसित होता है उसमें जन्म के उपरांत कुछ महीनो के अन्दर ही एनीमिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। उम्र के अनुपात में शिशु के वजन में वृद्धि नहीं होती है व उसकी लम्बाई भी कम होती है। तुरंत उपचार न होने से नवजात शिशु कुपोषण का शिकार होता है। उसकी जान पर भी आफत हो सकती है। काफी मरीज जो इस रोग से ग्रसित होते हैं उन्हें कुछ कुछ समय पर खून चढ़ाने की जरूरत होती है और ऐसा लंबे समय तक चलने से मरीज के लीवर, ह्रदय एवं हार्मोन में जटिलताएं होने लगती हैं। थैलेसीमिया मूलतः अनुवांशिक होता है एवं पति पत्नी को शिशु के बारे में सोचने के समय पूरा रक्त जांच करवाना चाहिए जिससे आने वाले समय में किसी भी तरह की के जटिलता से बचा जा सके। अगर एनीमिया के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें व नजरअंदाज बिलकुल न करें।

लक्षण- थैलेसीमिया से ग्रसित शिशु या व्यक्ति में ये प्रारंभिक लक्षण नजर आते हैं-

  • शरीर एवं आँखों का पीलापन
  • पीलिया से ग्रसित होना
  • स्वभाव में चिडचिडापन
  • भूख न लगना
  • थकावट एवं कमजोरी का महसूस होना

क्या है उपचार:

थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को चेकअप के उपरांत उपचार किया जाता है। मरीज के शरीर में रक्ताल्पता के स्तर के अनुसार इलाज बताया जाता है और एनीमिया की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें खून चढ़ाने की सलाह दी जाती है। ज्यादा गंभीर ना होने पर मरीज को दवा खाने की सलाह दी जाती है एवं अत्याधिक गंभीर स्थिति  वाले मरीज को मज्जा प्रतिरोपण ( बोन मैरो ट्रांसप्लांट) की सलाह दी जाती है।

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