राष्ट्रनायक न्यूज

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मातम के साये में ” ईद मुबारक “

राष्ट्रनायक न्यूज। ईद, खुशियों और एक दूसरे से गले मिलने का त्योहार है।एक वो समय था जब ईअहमदद के मौके पर, क्या हिन्दू क्या मुसलमान , सभी एक दूसरे को गले लगाकर ईद का मुबारकबाद देते थे।अब समय ने काफी करवट ले ली है।2014 के बाद तो इन दोनों समुदायों के बीच नफरत और संदेह इतना न बढा़ने का प्रयास किया गया कि वो दिन अब सपना समान महसूस होता है, जब दोनों कौम के लोग एक दूसरे से कहा करते, “भैया ईद मुबारक , आपको भी ईद का बहुत बहुत मुबारकबाद”।चलिये सेवईयों का आनन्द लिया जाय।
बची खुची कसर इस महामारी ने पूरी कर दिया।अब जैसे ही गले मिलने एवं  हाथ मिलाने का छण आता है, चिकित्सकों की चेतावनियाँ तथा कोरोना का दहशत सामने आकर खडी़ हो जाती हैं।मन खिन्नता से लबलबा उठता है।काश हमारे देश के रहनूमाओं ने स्वास्थ विशेषज्ञों की चेतावनियों पर ध्यान दिया होता तो लोग बे मौत मारे नहीं जाते।स्वास्थ व्यवस्था की अगर प्राथमिकता दी गयी होती तो आक्सीजन और दवा के बगैर लोग तड़पते हुए दम नहीं तोड़ते।अस्पतालों में मौत दर मौत का सिलसिला, सायकिलों,ठोलों और रिक्शा पर अपने मृत परिजन को ढो़ता हुआ युवक, मरघट में जलती हुई लाशों की कतारें, नदियों में तैरती मैयत का अलमनाक मंजर, ईद की खुशियाँ काफूर कर देती हैं।ये मौतें स्वभाविक नहीं हैं बल्कि सरकार की कूव्यवस्था द्वारा हत्या ही है।नरसंहार कहना भी अनुचित नहीं हो सकता।इस गमगी़न माहौल में सेवईयों का आनन्द, ईत्र का सुगंध और नये कपडो़ की चमक भला किसको रास आयेगी ?
फिर भी ईद तो मनायी ही जायेगी।लोग एक दूसरे को मुबारकबाद भी देगे, लेकिन वो मेले नहीं नज़र आयेंगे जिसमें बच्चों की किलकारियाँ गुँजती थी।एक गाँव से दूसरे गाँव जाकर सेवईयों का लूत्फ उठाने वाली वो झुंड भी नज़र नहीं आयेगी  ।
आपदा में अवसर तलाशने वाले, हे महामानव द्वय ! आपने देश को कहाँ पहुँचा दिया ? जनता से तो आपने वादा किया था कि खुशियों का भंडार लायेंगे।लेकिन आप तो ऐसी कहर बरपा कर रहे हैं जिससे सभी त्योहारों की खुशियों पर धूल जम गयी है।
आईये, ईद के पाक मौके पर हम अपने दिलों को मिलाये।दिलों के टूटे हुए तार जोडे़।हर किसी का हौसला अफ़जाई करें और एक दूसरे का दर्द बाँटने के वादों के साथ  मुबारकबाद का गुलदश्ता पेश करें।
मेरी तरफ से भी आप तमाम दोस्तों , हमदर्दों यहाँ तक कि विरोधियों को भी मुबारक ईद का बहुत बहुत मुबारकबाद ” अपना खयाल भी रखिये- जनता का हमदर्द भी  बनिये ”
लेखक,अहमद अली

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