संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। काफी खर्च और कड़ी मेहनत के बाद भी मक्के का उत्पादन औसत से काफी कम होने से किसानो को आर्थिक क्षति उठानी पर रही है। किसानो का कहना है की मार्च महीने की शुरुआत में ही तेज पछुआ हवा चलने के कारण बार-बार सिंचाई करने के बाद भी पौधे पीले पड़ने लगे। ऐसी स्थिति में ज्यादातर भुट्टो में या तो दाने ही नही लगे और जो दाने लगे भी वो पुष्ट नही हो सके। वही सुखाड़ जैसी स्थिति उतपन्न होने से बार-बार सिंचाई करने के बाद भी हर समय मिट्टी ने नमी का अभाव बना रहा।इस वजह से समय से पूर्व ही पौधों सूखने लगे।वही रही सही कसर नीलगायो ने पूरी कर दी। किसानों का कहना है कि दोपहर और रात दोनों समय खेतो मे पहुँच नीलगाय द्वारा फसल रौंदे जाने से मक्के का फसल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इससे पहले की फसल तैयार होती तबतक इन आवारा जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुँचना शुरू कर दिया गया। जिससे उत्पादन पर ब्यापक पैमाने पर असर पड़ा है।
लागत खर्च भी निकालना हुआ मुश्किल
किसानो का कहना है की फसल के उत्पादन को देख लागत खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया है। आम तौर पर मक्के की उपज प्रतकट्ठा 70-80 किलोग्राम होता है जो इसबार बमुश्किल 20-25 किलो ही हो रहा है। तेज पछुआ हवा के कारण भूमि से नमी गायब होने की वजह से खर्च की परवाह किये वगैर चार बार सिंचाई की गई, फिर भी उपज काफी काम होने से किसान अपने को असहज महशुस कर रहे है। ऐसे में मक्के की उपज ने किसानो की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कर्ज की अदायगी कैसे होगी और आगामी खरीफ फसल के लिये पूंजी का प्रबंध कहा से होगी को लेकर किसानो के माथे पर चिंता की लकीर खींच गई है।


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