राष्ट्रनायक न्यूज।
पटना: यूं तो केंद्र सरकार ने एक मई से ही देश में 18 पार वालों के टीकाकरण का ऐलान किया था, मगर टीके की उपलब्धता न होने के कारण बिहार में यह टीकाकरण नौ मई से शुरू हो सका। 12वें दिन इस आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाए जाने का आंकड़ा 10 लाख की संख्या तक पहुंच सका। अगर रफ्तार यही रही तो राज्य में 18 पार वालों को टीका लगने में करीब दो साल लगेंगे। राज्य में 18 से 44 साल वाले लोगों की संख्या देखें तो यह करीब साढ़े पांच करोड़ है। इस आयु वर्ग के लोगों को टीकाकरण से पहले कोविन या आरोग्य सेतु एप पर पंजीकरण कराना होता है। इसी दौरान उन्हें टीका लगने का स्लॉट बताया जाता है। राज्य में 18 पार वालों के टीकाकरण की रफ्तार बहुत धीमी है। दरअसल इस रफ्तार का सीधा संबंध राज्य में टीके की उपलब्धता से है। केंद्र सरकार ने जब एक मई से देश में 18 से 44 साल वालों का टीकाकरण शुरू करने की घोषणा की थी तो बिहार सहित देश के तमाम ऐसे राज्य थे, जिनके पास टीका ही नहीं था।
टीका बनाने वाली कंपनियों ने भी एक मई से पहले सप्लाई देने से हाथ खड़े कर दिए थे। टीका उपलब्ध होने पर नौ मई से यहां टीका लगना शुरू हुआ। पहले दिन 60 हजार 615 लोगों को टीका लगाया गया। 12 दिन में टीकाकरण का आंकड़ा 10 लाख तक पहुंचा। इस रफ्तार से एक महीने में करीब 25 लाख लोगों को टीका लग पाएगा। यानी साढ़े पांच करोड़ लोगों को टीका लगाने में लगभग 22 महीने का वक्त लगेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सहित तमाम विशेषज्ञ एजेंसियों ने तीसरी लहर की भी चेतावनी दे दी है। उससे पहले अधिकाधिक लोगों को टीका लगना जरूरी है। जाहिर है ऐसे में टीकाकरण की रफ्तार और तेज करनी होगी। नौ मई से शुरू हुए 18 पार वालों के टीकाकरण का अभी तक का आंकड़ा देखें तो सर्वाधिक टीके 14 मई को लगाए गए। उस दिन 97 हजार 92 लोगों को टीका लगाया गया, जबकि 15 मई को भी 96 हजार 792 लोगों का टीकाकरण किया गया।


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