राष्ट्रनायक न्यूज। देश में कोरोना वायरस का कहर अभी जारी है। हालांकि इस सप्ताह कोरोना वायरस के नए मामलों में स्थिरता देखी गई। लेकिन मृतकों के आंकड़ों में वृद्धि लगातार जारी है। सरकार की ओर से कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। लेकिन देश में सरकार के खिलाफ इस समय नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है। सिर्फ यही दशार्ने का प्रयास हो रहा है कि कोरोना से लड़ाई में भारत विफल हो रहा है। सोशल मीडिया पर लगातार कोरोना वायरस को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है और सरकार की जमकर आलोचना की जा रही है। यही नहीं, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी मजाक बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया के जरिए विपक्षी दल अपना एजेंडा सेट करने में लगे हुए हैं। सरकार की ओर से भी सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता दिखाई जा रही है। लेकिन अफवाह और नकारात्मक माहौल अपने चरम पर है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि इस तरह के अफवाह फैलाकर महामारी के दौर में हम समाज को क्या दे रहे हैं? अफवाह और नकारात्मक माहौल बनाकर हम कोरोना के खिलाफ अपने देश की लड़ाई को कमजोर नहीं कर रहे हैं? कहा गया है कि अगर खुद सकारात्मक रहोगे तभी किसी चीज पर विजय हासिल कर पाओगे। ऐसे में जिस तरह से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार को लेकर नकारात्मकता फैलाई जा रही है इससे कहीं ना कहीं कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर हो रही है। प्रभासाक्षी अपने साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इसी बात को लेकर चर्चा की। इस कार्यक्रम में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे।
इसके अलावा प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के महत्व और कोरोना के हालात की विस्तृत समीक्षा की गयी। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन नवंबर 2022, प्रधानमंत्री आवास दिसंबर 2022, उपराष्ट्रपति एंक्लेव सितंबर 2022, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र अप्रैल 2023, सांसदों का कक्ष मार्च 2024, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जून 2024 और केंद्रीय सम्मेलन केंद्र दिसंबर 2026 तक तैयार कर लिया जाना है। विपक्ष सहित कई अन्य संगठन इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इस पर आने वाली 20 हजार करोड़ रुपए की राशि को सभी भारतीयों को मुफ्त टीका लगवाने में खर्च किया जाये। विपक्ष महामारी के इस दौर में सेंट्रल विस्टा परियोजना को लगातार रद्द करने की मांग कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि भविष्य में अपनी वाहवाही के लिए सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना को हर हाल में पूरा करना चाहती है। विपक्ष की मांग है कि सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर खर्च होने वाला राशी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उपयोग करें।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने देश में कोरोना रोधी टीकाकरण की धीमी गति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह अप्रत्याशित मानवीय तबाही की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से यह आग्रह भी किया कि देश में सभी लोगों को मुफ्त टीका लगाने के लिए अभियान चलाया जाए। येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘पिछले छह हफ्तों में टीकाकरण में 67 फीसदी की गिरावट आई है। प्रधानमंत्री मोदी किस लिए हैं? वह अप्रत्याशित मानवीय तबाही की अगुवाई कर रहे हैं। अब बड़े पैमाने पर मुफ्त टीकारण का अभियान शुरू किया जाए।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोका जाए, गरीबों को आर्थिक सहायता दी जाए और 35 हजार करोड़ रुपये की राशि टीकाकरण पर खर्च किया जाए।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत रक्षा क्षेत्र के शीर्ष अधिकारियों और कर्मियों के लिए एक बड़ा ‘‘डिफेंस एंक्लेव’’ (रक्षा परिवृति) तैयार किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने दी। उनके मुताबिक उपराष्ट्रपति आवास और उसके आसपास की इमारतों को तोड़कर ‘‘डिफेंस एंक्लेव’’ के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। उपराष्ट्रपति का नया आवास साउथ ब्लॉक के निकट होगा। वर्तमान में रक्षा मंत्री, रक्षा राज्य मंत्री, रक्षा सचिव, सेना प्रमुख, नौ सेना प्रमुख और कई थ्री-स्टार रैंक के अधिकारियों का कार्यालय साउथ ब्लॉक में है। नौ सेना, सेना और वायु सेना के कार्यालय भी लूटियन क्षेत्र सहित मध्य दिल्ली के विभिन्न इलाकों में है। एक सूत्र ने पीटीआई-को बताया, ‘‘वर्तमान में रक्षा मंत्रालय के कई स्थानों पर विभिन्न कार्यालय हैं। अब उनका अपना एक बड़ा ‘डिफेंस एंक्लेव’ होगा। इसका निर्माण 2026 तक पूरा होगा और यह केंद्रीय सचिवालय के तहत निर्मित होने वाली 10 इमारतों का हिस्सा होगा।’’ सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन, राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में नया केंद्रीय सचिवालय, प्रधानमंत्री का नया आवास और कार्यालय के साथ उपराष्ट्रपति एंक्लेव का निर्माण किया जाना है।
भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘‘गिद्धों की राजनीति’’ उजागर हुई है। एक ‘‘टूलकिट’’ का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘‘अपमानित और बदनाम’’ करने की कोशिश की है। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर ‘‘फर्जी टूलकिट’’ तैयार करने का आरोप लगाया और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित सत्ताधारी दल के कुछ अन्य नेताओं के विरूद्ध राजधानी दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज कराई। ‘‘टूलकिट’’ एक प्रकार का दस्तावेज होता है जिसमें अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बिंदुवार मुद्देहोते हैं।अभियान को धार देने के लिए इन्हीं मुद्दों पर विरोधियों को घेरने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है। हाल ही में किसान आंदोलन के दौरान भी एक टूलकिट सामने आया था जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी। कथित टूलकिट मामले में कांग्रेस पर हमला करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि समाज को बांटने, अन्य के खिलाफ ‘‘जहर उगलने’’ में कांग्रेस को महारत हासिल है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘जब देश कोविड-19 के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है तो भारत कांग्रेस के इस रवैये को भी देख रहा है। मैं कांग्रेस से आग्रह करूंगा कि वह टूलकिट मॉडल से आगे निकले और कुछ रचनात्मक करे।’’
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्वीट कर कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘देश कोरोना के विरूद्ध जंग लड़ रहा है। मैं समझा सकती हूं कि विपक्ष सरकार पर हमला करना चाहेगा लेकिन वह इस स्तर तक जाएगी और इसके लिए राजनीति अवसरवाद का व्यवसायीकरण और मौत का व्यापार करेगी, कभी सोचा नहीं था।’’ भाजपा प्रवक्ता पात्रा ने दावा किया कि कांग्रेस ने महामारी के समय ऐसे ही ‘‘टूलकिट’’ के जरिए सरकार के घेरने के लिए विभिन्न माध्यमों से देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) ने महामारी को प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल करने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया। कांग्रेस कार्यकतार्ओं को कोरोना के नये स्ट्रेन को मोदी स्ट्रेन का नाम देने का निर्देश दिया। विदेश पत्रकारों की मदद से भारत को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई।’’ पात्रा ने कहा कि कोरोना का जो नया स्ट्रेन आया है उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारतीय स्ट्रेन कहने से मना कर दिया है लेकिन कांग्रेस इसे ‘‘इंडियन स्ट्रेन’’ और उससे भी आगे बढ़कर ‘‘मोदी स्ट्रेन’’ के नाम से प्रसारित करने में लगी है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह बहुत ही दुखद है। कहीं न कहीं देश को पूरे विश्व में अपमानित और बदनाम करने के लिए एक वायरस को भारत के नाम, प्रधानमंत्री के नाम पर प्रतिपादित करने की चेष्टा है। मुझे लगता है यह कांग्रेस पार्टी के असली चेहरे को दशार्ता है।’’ भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आज वह दस्तावेज उनके हाथ आया है जिसके सहारे राहुल गांधी रोज सुबह उठकर ट्वीट करते थे। उन्होंने दावा किया, ‘‘इस टूलकिट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी को बार बार पत्र लिखें। आपने देखा होगा, कभी सोनिया जी चिट्ठी लिख रही हैं कभी कोई और लिख रहा है। ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। सब कुछ एक डिजायन के तहत हो रहा है, जिसका ब्योरा इस टूलकिट में है।’’
केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में महामारी के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोके जाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह याचिका काम को रुकवाने के लिए एक ह्लबहानाह्व है। दूसरी तरफ याचिकाकतार्ओं ने दलील दी कि उनकी रूचि सिर्फ परियोजना स्थल पर काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा और नागरिकों के जीवन की रक्षा में है तथा उन्होंने परियोजना की तुलना द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक जर्मन यातना शिविर ह्लआशवित्जह्व से की। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष करीब तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान याचिका को खारिज करने और परियोजना का काम चालू रखे जाने के पक्ष में पुरजोर दलीलें दी गईं। पीठ ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है। इस परियोजना का ठेका प्राप्त करने वाली शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी जनहित याचिका में वास्तविकता की कमी होने का जिक्र करते हुए इसका विरोध किया और कहा कि वह अपने कर्मियों का ध्यान रख रही है। याचिकाकतार्ओं के दावों का विरोध करते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह याचिका असल में जनहित याचिका की आड़ में एक ह्लबहानाह्व है परियोजना को रोकने का जिसे वो हमेशा से रोकना चाहते थे। याचिकाकतार्ओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिये सिर्फ संदेश दे रहे हैं और अगर सरकार इसे नहीं देख सकती तो नागरिकों के जीवन के प्रति चिंता का यह ह्लअफसोसनाक प्रदर्शनह्व है।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोमवार को दावा किया कि गोमूत्र अर्क का सेवन करने से कोविड-19 नहीं होगा, क्योंकि इससे फेफड़ों का संक्रमण दूर होता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रतिदिन गोमूत्र अर्क का सेवन करती हूं, इसलिए मैं कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुई और ना हाउंगी।’’ सांसद के बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि गोमूत्र से कोरोना के सफल प्रज्ञा के दावे को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गंभीरता से लेना चाहिए और सरकार को गोमूत्र चिकित्सा पर मेडीकल कॉलेज में गोमूत्र पीठ स्थापित करनी चाहिए। भोपाल के बैरागढ़ इलाके में रविवार शाम आॅक्सीजन सांद्रक जनता को समर्पित करने के बाद एक कार्यक्रम में प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘‘देसी गाय के गोमूत्र का अर्क हम अगर लेते हैं तो उससे हमारे फेफड़ों का संक्रमण दूर होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत तकलीफ में हूं, लेकिन प्रतिदिन गोमूत्र अर्क लेती हूं और इस कारण मुझे कोरोना के लिए कोई और औषधि नहीं लेनी पड़ रही है। ना ही मैं कोरोनाग्रस्त हूं, ना ही ईश्वर मुझे (संक्रमित) करेगा क्योंकि मैं उस औषधि (गोमूत्र अर्क) का उपयोग कर रही हूं।’’ प्रज्ञा के इस बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने तंज कसा, ‘‘समय-समय पर भाजपा की वैज्ञानिक बुद्धि संपन्न नेत्रियां देश को वैकल्पिक तरीकों से कोरोना का इलाज सुझाती रहती हैं। इस संदर्भ में भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का सुझाव सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और प्रदेश के किसी मेडिकल कॉलेज में ‘गोमूत्र पीठ’ की स्थापना करना चाहिए।’’
कोविड-19 के इलाज के लिए भारी मांग की वजह से बहुत ज्यादा कीमतों पर आॅक्सीजन कंसन्ट्रेटर बेचे जाने के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि वह इनकी एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय करने के लिए कोई तरीका क्यों निर्धारित नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि वह सरकार से आॅक्सीजन कंसन्ट्रेटर की कीमत रुपए या पैसे में तय करने के लिए नहीं कह रही बल्कि एक सिद्धांत तय करने के लिए कह रही हैं जिसके आधार पर इस उपकरण के लिए पैसे लिए जाएंगे। अदालत ने साथ ही कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि यह कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है जिसमें उसे हस्तक्षेप करना चाहिए तो असाधारण परिस्थिति क्या होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्पाद की कीमत की एक सीमा तय होनी चाहिए और यह असीमित नहीं हो सकता। कल को कोई चीनी विनिमार्ता कहेगा कि वह इसे पांच गुना कीमत पर बेचेगा तो हम उसकी तो मंजूरी नहीं दे सकते। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की एक पीठ ने कहा, सरकार होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि लोग उत्पाद खरीदने में सक्षम हों और उन्हें बहुत ज्यादा कीमत पर इसे खरीदना न पड़े। हम लोगों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। किसी उत्पाद की कमी का फायदा नहीं उठाया जा सकता। क्या आपको उपभोक्ताओं के बारे में नहीं सोचना चाहिए? पीठ ने सवाल किया कि सरकार कीमत तय करने के लिए कोई तरीका क्यों नहीं ला सकती।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक सशक्त माध्यम बताया और कहा कि बड़े पैमाने पर इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयास निरंतर जारी हैं। राज्यों और जिलों के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों पर बहुत ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि जब जिला कोरोना को हराएगा तभी देश कोरोना से जंग जीतेगा। उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण कोविड से लड़ाई का एक सशक्त माध्यम है, इसलिए इससे जुड़े हर भ्रम को हमें मिलकर दूर करना है। कोरोना के टीके की आपूर्ति को बहुत बड़े स्तर पर बढ़ाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।’’ मोदी ने कहा कि देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। उन्?होंने टीकों की बबार्दी को रोकने पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम केयर्स के माध्यम से देश के हर जिले के अस्पतालों में आॅक्सीजन संयंत्र लगाने पर तेजी से काम किया जा रहा है और कई अस्पतालों में इन संयंत्रों ने काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में इस समय कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो कुछ राज्यों में बढ़ भी रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कम होते आंकड़ों के बीच हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी लड़ाई एक-एक जीवन बचाने की है।’’
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