राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। हर गांव की गली चौराहों पर कुत्ता मिले या ना मिले नेता जरूर मिल जायेंगें। ऐसे कुत्ता जितना वफादार है उससे कहीं ज्यादा नेता वफादार होता है क्योंकि नेता एक विवेकशील प्राणी है। इस मुल्क को आजाद कराने में तरक्की के रास्ते पर लाने में देश के महान नेताओं का बहुत बड़ा योगदान है। आज के अधिकांश नेताओं ने नेता शब्द को कलंकित कर दिया है।महामारी की इस संकट की घड़ी में देश के नेताओं का जो योगदान होना चाहिए आम जनता के प्रति वह कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। इनकी जनता के प्रति भक्ति सेवा वफादारी सिर्फ चुनाव के समय ही दिखाई देता है।कुछ नेता पप्पू यादव की तरह अपवाद हो सकते हैं। अभी बिहार विधानसभा के चुनाव से पहले बारिश और बाढ़ के कारण जनता तबाही के दौर से गुजर रही थी तो बहुत सारे नेताओं और समाजसेवियों ने बढ़-चढ़कर सेवा का भाव जनता के प्रति दिखाया था। मई में बिहार राज्य त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने वाला था तो नेता जी लोग गांव गांव जाकर जनता के प्रति सेवा भक्ति वफादारी प्रतिदिन प्रदर्शित कर रहे थे और दान पूण्य भी कर रहे थे । साथ ही साथ हाथ जोड़ रहे थे और पैर भी पढ़ रहे थे । ऐसा लग रहा था जैसे पंचायत चुनाव ने नए नए देश भक्त समाजसेवी जनता के मशीहा को मानो जन्म दे दिया है। ये लोग पंचायत चुनाव जनता के सेवा और विकास के लिए लड़ रहे हैं,सरकारी फण्ड और अपने विकास के लिए नही। लेकिन जब नेताओं और समाजसेवियों को पता लगा की पंचायती चुनाव कोरोना महामारी के कारण टल सकता है तो सभी ने गांव और गलियों की जनता से नाता ही तोड़ दिया। गांव के गरीब बेरोजगार असहाय जनता इस कोरोना महामारी के लाचारी में राह में टक टकी लगाए बेचारी की तरह बैठी है।
नेता जी लोग जनता को दोष देते हैं कि वोट के लिए जनता जाति धर्म दारु, मंशा,और रुपया के आधार पर वोट करती है,वोटर लोभी और बिकाऊ हो गये हैं। यह बात कुछ सत्य भी है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या 20 प्रतिशत से भी काम है और 80 प्रतिशत से ज्यादा जनता ईमानदारी से वोट करती है। अगर ईमानदार नेताओं का प्रतिशत 80 से ज्यादा होता तो आज कहीं भी देश मे अशिक्षा बेरोजगारी कुपोषण भुखमरी दिखाई नही देता। बिहार मे लोक सभा,विधान सभा और पंचायती चुनाव से सम्बद्ध 80 प्रतिशत भी नेता अगर ईमानदार होते तो आज इस कोरोना महामारी की संकट की घड़ी मे हर शहर की गली और हर पंचायत के गांव चौराहे पर कुत्ता मिलता या नही मिलता मगर निःस्वार्थ भाव से इंशानियत्त की सेवा करता हुआ सोनू सूद जैसा समाज सेवी और पापु यादव नेता जरूर मिलता। कोरोना महामारी नेताओं समाज सेवियों को इंशानियत्त और जनता के प्रति अपने आप को साबित करने का एक अवसर दिया है । जनता को भी नेताओं को परखने का मौका दे दिया है। उम्मीद की जाती है आने वाला समय जनता और नेताओं का सही भविष्य निर्धारित करेगा।
लेखक, बिक्रम चौधरी पत्रकार (बनियापुर)।
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