अम्बिका स्थान आमी के दान पात्र तोड़ चोरों ने उड़ा ली रकम, सीसीटी कैमरे खांघाल रही है पुलिस-प्रशासन
राणा परमार अखिलेश।दिघवारा
छपरा(सारण)। बिहार के तीन शक्ति पीठों में मूर्धन्य अंबिका स्थान, आमी के दानपत्र तोड़ रकम उड़ा ले गए चोर। बहरहाल, पुलिस-प्रशासन सीटीटी कैमरे खंघाल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना सोमवार की रात्रि की है। सुबह इस घटना की सूचना अंबिका महारानी न्यास परिषद के सचिव पंडित कामेश्वर तिवारी ने दी। दिघवारा थाना पुलिस बल सहित मंदिर परिसर में टूटे हुए दान पात्र की परीक्षण की। सीसीटी विशेषज्ञ व फिंगर प्रिंट भी लिए गए। अज्ञात चोरों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्जगी के साथ पुलिस अनुसंधान में जुट गई है। थानाध्यक्ष मिहिर कुमार ने कहा है कि मंदिर दान -पात्र से चोरी शर्मनाक घटना है। लाॅक डाऊन में मंदिर में पुजारियों के सिवा कोई दर्शन पूजन भी नहीं कर रहा है बहरहाल, सीसीटी कैमरे की जद में कोई भी होगा सुसंगत धराओं में निरुद्ध होगा और जेल जाएगा ।
दान -पात्र तोड़ कर चोरी की नहीं है,यह पहली घटना
बिहार के तीन शक्ति पीठों में मूर्धन्य अंबिका स्थान आमी पुजारियों की संपत्ति मानी जाती थी। आजादी के पूर्व और बाद बलिप्रथा प्रचलित थी। पूर्व में भैसे की बलि की लोक चर्चा रही है। बीच में बकड़े की बलि और बोका छोड़ने, खंसी लुटावन भी होते रहे। वैष्णवाचार्य ब्रह्मलीन स्वामी त्रिदंडी जी महाराज महाराज ने बलिप्रथा निषेध किया। किंतु साल में एक बार एक बकड़े की बलि होती ही है। दानपात्र पूर्व में भी थे, जिसके संरक्षक पुजारियों के जिम्मे थी। वर्ष 2005 में महारानी अंबिका भवानी न्यास परिषद का गठन हुआ। प्रमंडलायुक्त अशोक कुमार चौहान प्रथम और पदेन अध्यक्ष बने। सचिव पंडित कामेश्वर तिवारी, उपाध्यक्ष प्रोफेसर सिद्धेश कुमार सिंह, शिवपूजन राय, सुनील कुमार तिवारी आदि सदस्य बने। दानपात्र लगाए गए, मंदिर के कमरे खाली कराने विवाह आदि पंजीकरण के नियम निर्धारित हुए, किंतु मंदिर में लगे बोर्ड व दानपात्र दूसरे दिन ही टूट गए। फिलवक्त, दानपात्र में दानराशि भले ही कोई भक्त भूल से डाल दे, लेकिन चढावा पुजारियों को ही प्राप्त होते हैं। पुजारियों में एक सप्ताह में पूरे तिवारी परिवारों की बारी बारी से पूजन व आरती से लेकर चढावे तक एक एक सदस्य प्राप्त करते हैं। हाँ शरद व चैत्र नवरात्रि में आपस बोली लगाकर कोई पुजारी सात दिन का चढावा प्राप्त करता है और बोली की तयशुदा राशि सभी पट्टीदारों में विभक्त होता है। फिर भी दानपेटियों का टूटना रूका नहीं। वर्ष 2019 में दानपात्र शरद नवरात्रि के बाद खुले नहीं। फिर चैत्र नवरात्रि कैरोना ब्रेक डाउन में प्रतीकात्मक ही रहा। प्रदेश व सीमावर्ती उ.प्र. के श्रद्धालु, झारखंड आदि से भी नहीं आ सके। लिहाजा, कैरोना ब्रेक डाउन की क्षतिपूर्ति चोरों दानपात्र तोड़कर पूरी कर ली हो, तो आश्चर्य कैसा? बहरहाल, देखना तो यह है कि चोर है कौन? पुलिस अनुसंधान व सीसीटीवी फुटेज में कौन-सी और किसकी तस्वीर आती है? सीसीटीवी कैमरे सही है या चोरों छेड़ छाड़ की है? फिगर प्रिंट में क्या आता है? कही पूर्व प्रमंडलायुक्त, सोनपुर एसडीओ, दिघवारा, सीओ और पूर्व के थानाध्यक्षों की तरह प्राथमिकी दर्जगी, अनुसंधान और फिर साक्ष्य के अभाव में केस फाइनल तो नहीं होगा? यदि ऐसा हुआ भी तो आश्चर्य नहीं होगा। ‘अंबिका भवानी पंडों की कैद में’ कलम चलाने वाले एक कलमकार की कलम प्रदेश व देश के नंबर वन कहलाने वाले ने वापस ले ली है। पंडों की शाप के भय से तत्कालीन प्रमंडलायुक्त अशोक कुमार चौहान व तत्कालीन अंचलाधिकारी प्रभात कुमार व तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज कुमार भी दानपात्र तोड़ने वाले, पूजा पाठ, चढावा, विवाह आदि तालिक पट्ट गायब करने वालों की केस फाइनल हो गए।


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