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अपराध का गढ़ बनता गोपालगंज, सवालों के जद में प्रशासन

अपराध का गढ़ बनता गोपालगंज, सवालों के जद में प्रशासन

आर.के. सिंह। गोपालगंज 
गोपलगंज। विश्व जहां वैश्विक महामारी से जूझ रहा है एवं लोग सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं वहीं बिहार के गोपालगंज में आज स्थिति कुछ अलग ही है। जहां पूरे प्रदेश में कोविड 19 से बचाव के लिए लॉक डाउन किया गया है परन्तु अपराधियों के लिए इस लॉक डाउन या वैश्विक महामारी कोरोना जैसी घातक बीमारी का कोई असर नहीं देखने को मिल रहा है। ऐसी महामारी की स्थिति में भी गोपालगंज में अपरधियों के हौसले आसमान छू रहे है एवं इस जिले में अपराध का आलम ये है कि अपराधी दिन दहाड़े हत्या जैसी घटनाओं को आसानी से अंजाम से रहे है। जैसा की कुछ दिन पूर्व ही हथुआ में तीन लोगों की अपराधियों ने गोली मर कर हत्या कर दी जिसमे कुचायकोट बाहुबली विधायक अमरेन्द्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के भाई सतीश पांडेय एवं उनके भतीजे जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया गया तत्पश्चात हथुआ के ही मुन्ना तिवारी की भी अपराधियों द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई। ताजा मामला शुक्रवार दोपहर विक्रमपुर पंचायत के मुखिया शैलेश ओझा पर जानलेवा हमले का है जिसमें मुखिया बाल – बाल बचे।

सवालों के घेरे में प्रशासन की कार्यशैली
आए दिन हत्या एवं विभिन्न प्रकार के अपराधों ने गोपालगंज प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है। अपराध पर लगाम लगाए जाने की बात करने वाली पुलिस आज केवल दिखावे मात्र की ही कार्यवाही कर रही है। पुलिस एवं कानून का खौफ अपराधियों में लेशमात्र का भी नहीं है। ऐसा लगता है जैसे गोपालगंज पुलिस केवल तमाशा देखने के लिए रह गई है एवं पुलिस के आला अधिकारियों की कार्यशैली भी सवालों से परे नहीं है। आखिर क्या कारण है की अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा एवं पुलिस का डर अपराधियों में देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में प्रशासन अपराध पर नियंत्रण करने में पूर्णतः विफल नजर आ रहा है एवं ऐसी परिस्थिति में प्रशासन के ऊपर उंगली उठना लाजिमी ही है। अब देखना दिलचस्प होगा की गोपालगंज पुलिस अधीक्षक एवं पूरा प्रशासन अपराध को रोकने के लिए किस प्रकार के तरीकों का प्रयोग करता है।